सेवा भाव सीखना हो तो हनुमान जी से बेहतर गुरु कोई नहीं: पंडित विजयशंकर मेहता

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उत्तर काण्ड के वर्णन के साथ ही श्रीराम कथा का समापन

कोटा। Shri Ram Katha: राष्ट्रीय मेला दशहरा – 2024 के अंतर्गत श्रीराम रंगमंच पर चल रही श्रीराम कथा में अंतिम दिन व्यासपीठ से पं. विजयशंकर मेहता ने उत्तर कांड का भावपूर्ण वर्णन किया। उन्होंने कहा कि काल की गति को स्वीकार करना ही पड़ता है। आप दूसरे का हित करें, ईश्वर आपका भी हित करेगा। सेवा भाव सीखना हो तो हनुमान जी से बेहतर गुरु कोई नहीं है।

उन्होंने हनुमान जी और भगवान राम के प्रसंग के माध्यम से अपनी क्षमताओं के बेहतर उपयोग तथा अपने साथ के लोगों के बेहतर साथ और समर्पण की कला सिखाई। पंडित मेहता ने इस भाग दौड़ भरे जीवन में शांति पाने के उपाय भी बताए। उन्होंने कथा के समापन पर कहा उदासी, बेचैनी और दुर्गुण छोड़कर जाना। हर सांस पर श्रीराम को याद करिए।

उन्होंने कहा कि ईश्वर से निकटता का अनुभव ही उपवास है। राम का गुण गाने वाले परम गति पाते हैं। जीवन में खुशहाली की प्राप्ति ही परम गति है। बचपन में नींव मजबूत हो जाए तो जवानी लडखड़ाती नहीं। हनुमानजी की तरह तन से सक्रिय रहें व मन से विश्राम करें, लेकिन वर्तमान परिदृश्य इसके उलट है। जिसका सुधार होना चाहिए। सजगता में लक्ष्य, ऊर्जा व समय तीनों का ध्यान रखना चाहिए।