कोटा। जीवन का उद्देश्य नाम के पीछे दौड़ना नहीं, बल्कि काम का जीवन जीना है। मनुष्य को अपने जन्म का प्रयोजन समझना चाहिए और सही दिशा में प्रयास करना चाहिए। आध्यात्मिक प्रबंधन यही सिखाता है कि सही काम करने से ही स्थायी पहचान और सम्मान मिलता है। यह बात आदित्य सागर मुनिराज ने चंद्र प्रभु दिगंबर जैन मंदिर समिति द्वारा आयोजित नीति प्रवचन में गुरुवार को कही।
महाराज आदित्य सागर ने कहा कि मनुष्य की दौड़ एक अंधी दौड़ बन गई है, जो अपने जन्म के उद्देश्य को भूल चुका है। सही दिशा में दौड़ने से जीवन का उद्देश्य और लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने राजनीतिक नेताओं के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि जो बिना काम के केवल नाम के लिए चयनित होते हैं। ऐसे नेता समाज में योगदान नहीं देते।
आध्यात्मिक प्रबंधन यह सिखाता है कि जीवन को नाम के लिए नहीं, बल्कि काम के लिए जीना चाहिए। तभी संतोष और स्थाई तौर पर प्राप्त हो सकेगा। हमें दिखावे की दुनिया से बचकर असली मूल्य को समझना चाहिए। असली खुशी और संतोष काम में है, न कि दिखावे में। समाज में शिक्षा का महत्व है और इसे प्राप्त करने के लिए ईमानदारी से प्रयास करना चाहिए। केवल नाम के लिए नहीं, बल्कि ज्ञान के लिए पढ़ाई करनी चाहिए।
आपको आज मेहनत करनी है ताकि भविष्य में आराम से जीवन जी सकें। अगर आप आज सही दिशा में कदम बढ़ाते हैं, तो आने वाले वर्षों में सफलता आपके साथ होगी। उन्होंने कहा कि समाज में एकता और प्रेम को बनाए रखने के लिए हमें एक-दूसरे के प्रति वफादार रहना चाहिए। एकजुटता से ही हम सभी समस्याओं का सामना कर सकते हैं।
इस अवसर पर सकल जैन समाज के संरक्षक राजमल पाटौदी, रिद्धि- सिद्धि जैन मंदिर अध्यक्ष राजेन्द्र गोधा, सचिव पंकज खटोड़, कोषाध्यक्ष ताराचंद बडला, चातुर्मास समिति के अध्यक्ष टीकम चंद पाटनी, मंत्री पारस बज, कोषाध्यक्ष निर्मल अजमेरा, पारस कासलीवाल, राजकुमार पाटनी, जेनेन्द्र जज साहब सहित कई लोग उपस्थित रहे।