कोटा। ALLEN_’Yoddha’ Sessions: एक योद्धा कभी हारता नहीं है, वो लगातार प्रयास करता है और मंजिल एक दिन मिल ही जाती है। यह कहना है परमवीर चक्र विजेता सूबेदार मेजर ऑनरेरी कैप्टन योगेन्द्र सिंह यादव का।
एलन कॅरियर इंस्टीट्यूट प्राइवेट लिमिटेड में इंजीनियरिंग व मेडिकल की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों को मोटिवेट करने के उद्देश्य से कोचिंग संस्थान के विभिन्न कैम्पस में कैप्टन यादव द्वारा योद्धा सेशन आयोजित किए जा रहे हैं।
जवाहर नगर स्थित सत्यार्थ व समुन्नत कैम्पस एवं लैंडमार्क सिटी स्थित सम्यक कैम्पस में पिछले तीन दिनों में आठ सेशन आयोजित किए जा चुके हैं, जिसमें 10 हजार से ज्यादा विद्यार्थियों ने शामिल होकर लाइफ के सक्सेस टिप्स लिए।
कैप्टन यादव ने विद्यार्थियों को जिंदगी को सकारात्मकता के साथ जीने का संदेश दिया। सेशंस को प्रेसिडेंट कोटा विनोद कुमावत ने भी संबोधित किया। इस दौरान सीनियर फैकल्टीज, कैम्पस प्रिंसिपल एवं बिल्डिंग इंचार्ज भी मौजूद रहे।
लाइफ में तीन ‘पी’ होना जरूरी है
ऑनरेरी कैप्टन योगेन्द्र सिंह यादव ने कहा कि लाइफ में तीन ‘पी’ होना जरूरी है। इसके आधार पर आगे बढ़ोगे तो कभी पीछे देखने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। पहला ‘पी’ है परपज… यानी उद्देश्य। आप जो भी काम कर रहे हैं, उसका उद्देश्य आपको पता होना चाहिए कि आप किसलिए इस काम को कर रहे हैं। जैसे मुझे बचपन से मेरा उद्देश्य स्पष्ट था कि मुझे सेना में जाना है। दूसरा ‘पी है पैशन…. यानी जुनून। आप डॉक्टर-इंजीनियर, जो भी बनना चाहते हैं, उस लक्ष्य को पाने के लिए आपमें जुनून होना जरूरी है। जैसे कारगिल युद्ध के दौरान मेरे दिल-दिमाग पर जुनून सवार था कि टाइगर हिल पर तिरंगा फहराना है। तीसरा पी है ‘परफॉर्मेन्स’ यानी प्रगति… आपकी प्रगति….. परपज के लिए पैशन के साथ काम करेंगे तो परफॉर्मेन्स अपने आप आ जाएगी। ये तीनों पी एक-दूसरे के पूरक हैं।
मोबाइल से दूर रहिए
ऑनरेरी कैप्टन यादव ने कहा कि मोबाइल का सदुपयोग करें, दुरुपयोग नहीं। सुबह जल्दी उठिए लेकिन उसके लिए रात्रि में जल्द सोना जरूरी है। देर रात तक मोबाइल चलाएंगे तो सुबह जल्दी कहां से उठेंगे। सोशल साइट्स के अंधाधुंध इस्तेमाल से आप केवल दिग्भ्रमित होते हैं।
19 वर्ष की आयु में परमवीर चक्र
कैप्टन योगेन्द्र यादव को कारगिल युद्ध में टाइगर हिल के लिए हुई जंग में वीरता के लिए देश के सर्वोच्च सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। 4 जुलाई 1999 को सूबेदार मेजर यादव ने जो बहादुरी दिखाई, वह भारतीय सेना के इतिहास में सुनहरे अक्षर में अंकित है। देश में अब तक 21 योद्धाओं को यह सम्मान मिला है, जिसमें सबसे कम उम्र के कैप्टन योगेन्द्र यादव हैं, उन्हें मात्र 19 वर्ष की उम्र में यह सम्मान मिला। 21 में से 14 को मरणोपरांत तथा 7 को जीवंत यह सम्मान दिया गया। वर्तमान में परमवीर चक्र प्राप्त करने वाले तीन योद्धा जीवित हैं, जिनमें से कैप्टन यादव एक हैं। कारगिल युद्ध में योगेन्द्र सिंह यादव को 15 गोलियां लगी थी, इसके अलावा उनके शरीर पर दो हैंड ग्रेनेड के घाव थे और एक हाथ बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुका था। बावजूद इसके यादव ने अपनी यूनिट के साथ टाइगर हिल पर तिरंगा फहराकर फतह हासिल की थी। उनका करीब एक साल तक सैन्य अस्पताल में इलाज चला था।