Jeera Price: निर्यातकों की मांग कमजोर रहने से जीरा की कीमतों में गिरावट

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नई दिल्ली। चालू सप्ताह के दौरान जीरा की कीमतों में नरमी रही। हालांकि सप्ताह के अंत में निर्यातकों की पूछ-ताछ आने के कारण कीमतों में सुधार दर्ज किया गया। लेकिन कुल मिलाकर पूर्व सप्ताह की तुलना में चालू सप्ताह के दौरान जीरे के दाम दबे रहे।

निर्यात मांग कम होने के अलावा लोकल मांग भी बाजार में सीमित रही। सूत्रों का कहना है कि जीरा कीमतों में हाल-फिलहाल अधिक तेजी की संभावना नहीं है। क्योंकि इस वर्ष विदेशों में भी जीरा उत्पादन गत वर्ष की तुलना में अधिक होने के समाचार मिल रहे है।

उल्लेखनीय है कि भारतवर्ष के अलावा जीरा का उत्पादन टर्की, सीरिया, चीन, अफगानिस्तान में भी होता है। भारतवर्ष में जीरे की नई फसल जनवरी-फरवरी माह में शुरू हो जाती है जबकि विदेशों में नए मालों की आवक जुलाई-अगस्त माह में होती है। वर्तमान में विदेशों में नए जीरे की आवक हो रही है जिस कारण से भारतीय जीरे में निर्यात मांग कमजोर बनी हुई है।

पैदावार : गत सीजन में देश में जीरे के दाम 630 से 640 रुपए का रिकॉर्ड स्तर छू जाने के कारण चालू सीजन के लिए उत्पादक राज्यों में बिजाई का क्षेत्रफल बढ़ा और बिजाई के पश्चात मौसम भी फसल के अनुकूल रहा। जिस कारण से इस वर्ष देश में जीरा का उत्पादन एक करोड़ बोरी से अधिक का रहा।

जबकि गत वर्ष उत्पादक 55 से 60 लाख बोरी (एक बोरी- 55 किलो) का रहा था। इस वर्ष गुजरात में जीरा उत्पादन 46 से 47 लाख बोरी का रहा। जबकि राजस्थान में उत्पादन 55 से 56 लाख बोरी का होने के अनुमान लगाए गए हैं। गत वर्ष गुजरात में उत्पादन 23 से 24 लाख बोरी एवं राजस्थान में 36से 37 लाख बोरी का उत्पादन रहा था। विदेशों में भी इस वर्ष जीरा उत्पादन अधिक होने के समाचार मिल रहे।

चीन में उत्पादन 50 से 55 हजार टन (गत वर्ष 28से 30 हजार टन) होने के अनुमान है। जबकि टर्की में उत्पादन 14 से 15 हजार टन (गत वर्ष 7/8 हजार टन) के अलावा सीरिया में उत्पादन 40 से 45 हजार टन (गत वर्ष 20/25 हजार टन) माना जा रहा है। अफगानिस्तान में जीरा उत्पादन गत वर्ष की तुलना में लगभग दोगुना 35 से 40 हजार टन होने के समाचार मिल रहे हैं।

कीमतों में गिरावट
वर्तमान में उत्पादक केन्द्रों पर जीरे की दैनिक आवक काफी कम रह गई है लेकिन निर्यात मांग का अभाव एवं लोकल व्यपारियों की भी कमजोर खरीद के कारण कीमतों में गिरावट रही। चालू सप्ताह के दौरान उत्पादक केन्द्रों की मंडियों सहित खपत केन्द्रों पर भी जीरे के दाम 300 से 500 रुपए प्रति क्विंटल मंदे के साथ बोले गए हैं।

अधिक मंदा नहीं: कारोबारियों का कहना है कि जीरे की वर्तमान कीमतों में अब अधिक मंदा नहीं है। क्योंकि देश में अधिक पैदावार का मंदा बाजार में आ चुका है। किसानों ने भी अपनी जरूरत के हिसाब से माल निकाल दिया है। अब किसान भी भाव बढ़ने के पश्चात ही माल की बिकवाली करेगा। क्योंकि किसानों ने गत वर्ष के 630 से 640 रुपए के भाव भी देखें हैं। उत्पादक केन्द्रों की मंडियों में जीरे की दैनिक आवक भी घटने लगी है।

ऊंझा मंडी को छोड़कर अन्य मंडियों में आवक 500 से 600 बोरी की रह गई है। ऊंझा मंडी में औसतन दैनिक आवक 6 से 7 हजार बोरी की हो रही। राजस्थान की मेड़ता मंडी को छोड़कर नागौर, जोधपुर नौखा मंडी में आवक 400 से 500 बोरी की रह गई है। मेड़ता में आवक 1500 से 2000 बोरी की चल रही। जहां तक तेजी का सवाल है हाल-फिलहाल कीमतों में अधिक तेजी की संभावना नहीं है। क्योंकि किसानों के पास पर्याप्त स्टॉक है। भाव बढ़ने के साथ ही मंडियों में आवक बढ़नी शुरू हो जाएगी। कीमतों में अधिक तेजी आगामी दिनों में निर्यात मांग पर निर्भर करेगी।

निर्यात घटा; विगत 4 वर्षों से जीरा निर्यात में गिरावट दर्ज की जा रही है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2020-21 के दौरान जीरे का निर्यात 2,98,423 टन का रहा था जोकि वर्ष 2021-22 में घटकर 2,16,971 टन का रह गया। वर्ष 2022-23 में निर्यात 1,86,509 टन का रहा। वर्ष 2023-24 में भी निर्यात घटकर 1,65,269 टन पर आ गया है। जोकि विगत 6 वर्षों में सबसे कम हुआ है। चालू वित्त वर्ष 2024-25 के प्रथम माह अप्रैल में जीरे का निर्यात गत वर्ष से अधिक रहा, लेकिन मई में निर्यात घटा है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार अप्रैल – 2023 में जीरे का निर्यात 17084.88 टन का हुआ था जोकि अप्रैल-2024 में बढ़कर 39182.42 टन का हो गया। लेकिन मई माह के दौरान जीरा की कीमतों में तेजी आने के कारण निर्यात प्रभावित हुआ। मई 2024 में जीरा का निर्यात अप्रैल माह की तुलना में घटकर 22885 टन का रह गया। मई- 2023 में जीरा का निर्यात 24794 टन एवं मई 2022 में निर्यात 13372.75 टन का रहा था।