राठौड़ ने बजट पूर्व चर्चा में पशुपालकों व कृषकों की आय दोगुनी करने के सुझाव दिए

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कोटा/जयपुर। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने शुक्रवार को मुख्यमंत्री कार्यालय में किसानों, पशुपालकों और डेयरी संघ के प्रतिनिधियों के साथ बजट पूर्व चर्चा की। इस दौरान कोटा-बूंदी सहकारी भूमि विकास बैंक एवं कोटा सहकारी भूमि विकास बैंक के अध्यक्ष चैन सिंह राठौड़ किसानों व पशुपालकों हित में कई सुझाव ज्ञापन के माध्यम से सौपे।

राठौड़ ने बताया कि मुख्यमंत्री दुग्ध उत्पादक संबल योजना के अंतर्गत अनुदान राशि 5 रुपये से बढ़ाकर 10 रुपये किया है। ताकि किसानों की आय दोगुनी हो सके। उन्होने उन्नत नस्ल के जानवर उपलब्ध करवाने के लिए मुर्रा नस्ल के पहाड़ एवं गिर नस्ल की गाय एवं सांड पर 50 प्रतिशत राशि सरकार द्वारा एवं 50 प्रतिशत राशि समिति द्वारा वहन किये जाने का सुझाव दिया।

ज्ञापन में साइलेज एवं पौष्टिक आधार पर 50 प्रतिशत राशि सरकार द्वारा एवं 50 प्रतिशत राशि संघ द्वारा वहन करने, कोटा दुग्ध संघ में शत प्रतिशत अनुदान राशि पर पशु आहार उत्पादन संयंत्र की स्थापना करने, गांवों में वेटनरी कैंप आयोजित करने, सरकार द्वारा दवाईयो के लिये अनुदान देने, पशुपालकों को निशुल्क ट्रेविस उपलब्ध कराने, दुग्ध समिति के पशुपालकों को पशु आवास के लिए टीन शेड लगवाने, साईलेज उत्पादन संयंत्र की स्थापना, कोटा-बूंदी दुग्ध संघ में दुग्ध की अधिक आवक को देखते हुए एक पाउडर प्लांटके लिए शत प्रतिशत अनुदान देने, शत प्रतिशत अनुदान पर आइसक्रीम प्लांट की स्थापना की मांग शामिल है।

राठौड़ ने अपने सुझावों में कहा कि किसानों को डेयरी फार्म खोलने पर सरकारी बैंक से सब्सिडी के लोन कि व्यवस्था होनी चाहिए। जनरल को 25 प्रतिशत, एससी एसटी को 35 प्रतिशत, महिला को 35 प्रतिशत तक अनुदान दिया जाए। पशुपालको को अनुदान में विद्युत चालित एवं हस्तचालित कुट्टी मशीन उपलब्ध कराई जाए।

वन टाइम सेटलमेंट
कोटा सहकारी भूमि विकास बैंक अध्यक्ष राठौड़ ने कहा कि कृषकों के ऋण 15-20 वर्षों से अधिक अवधि से बकाया चल रहे हैं। अधिकतर प्रकरणों में दोषी ऋणियों की बैंक में रहन शुदा कृषि भूमि की नीलामी करने पर प्रकरण विचाराधीन है। राज्य सरकार के निर्देशानुसार कृषि ऋणों की भूमि नीलामी पर रोक होने के कारण नीलामी कार्यवाही नही की जा रही है। बैंक में 30 जून 2023 के पश्चात् एकमुश्त समझौता योजना की अवधि नहीं बढ़ाई गई है। एकमुश्त समझौता योजना के लागू हुए अपेक्षित वसूली परिणाम नहीं आ रहे हैं। इसलिए ओटीएस योजना लागू करने की मांग की है।