नई दिल्ली। Medical Students Suicide:लोगों का इलाज करने वाले डॉक्टर खुद मानसिक परेशानियों से जूझ रहे हैं। बीते वर्षों में देश में बढ़ते मेडिकल स्टूडेंट्स के सुसाइड के मामले चिंताजनक हैं। MBBS और PG Medical की पढ़ाई कर रहे छात्र छात्राओं के आत्महत्या के आंकड़ों ने नेशनल मेडिकल कमीशन को भी सकते में डाल दिया है।
लेकिन बड़ा सवाल ये है कि आखिर ये मेडिकल स्टूडेंट्स सुसाइड क्यों कर रहे हैं? ऐसी कौन सी बातें हैं जो उन्हें परेशान कर रही हैं? इसका हल ढूंढने के लिए NMC ने बड़ा कदम उठाया है।
NMC क्या कर रहा है?
- देश के मेडिकल छात्रों में अवसाद और आत्महत्या के बढ़ते मामलों को देखते हुए, राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने एक टास्ट फोर्स बनाया है। इसमें 15 सदस्य हैं।
- टास्क फोर्स को 31 मई तक एक डिटेल रिपोर्ट तैयार करके सौंपने के लिए कहा गया है।
- इस रिपोर्ट में मेडिकल छात्रों के बीच मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों और आत्महत्याओं से जुड़ी जटिलताओं पर प्रकाश डाला जाएगा।
- ये प्रक्रिया पारदर्शी हो और जवाबदेही सुनिश्चित हो सके, इसके लिए 31 मई तक हर महीने प्रोग्रेस रिपोर्ट भी जमा की जाएगी।
- कार्यभार और संदर्भों के अनुसार, टास्क फोर्स मेडिकल छात्रों के मानसिक स्वास्थ्य और आत्महत्या पर मौजूदा शोधपत्रों और आंकड़ों का अध्ययन करेगी।
- चुनौतियों के कारणों का विश्लेषण करेगी। साथ ही मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और आत्महत्या को रोकने के लिए साक्ष्य-आधारित रणनीतियों का प्रस्ताव भी देगी।
- इसके अलावा, समिति उन मेडिकल कॉलेजों का दौरा भी करेगी, जहां आत्महत्या की घटनाएं सामने आई हैं।
- इसका अंतिम लक्ष्य मेडिकल छात्रों के बीच Mental well-being को बढ़ावा देने के लिए योग्य सिफारिशें तैयार करना है।
- इस मिशन को सुचारू रूप से चलाने के लिए टास्क फोर्स नियमित रूप से बैठकें करेगा। ये बैठकें जरूरत के हिसाब से ऑनलाइन या आमने-सामने हो सकती हैं।
- साथ ही, जरूरत के अनुसार इस समिति में विशेषज्ञों को भी शामिल किया जा सकता है। इससे स्टडी में और तेजी आएगी और रिपोर्ट भी समय पर बनकर तैयार हो सकेगी।
5 साल में 119 मेडिकल स्टूडेंट्स ने किया सुसाइड
रिपोर्ट के मुताबिक पिछले पांच साल में मेडिकल की पढ़ाई करते हुए 119 छात्रों ने आत्महत्या कर ली। इनमें से 64 एमबीबीएस स्टूडेंट थे और 55 मेडिकल पीजी की पढ़ाई कर रहे थे। इसके अलावा, 1166 छात्रों ने बीच में ही मेडिकल की पढ़ाई छोड़ दी। देशभर के विभिन्न मेडिकल कॉलेजों में रैगिंग और आत्महत्या के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। ये समस्या उन छात्रों में भी देखी जा रही है जो नीट परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं.