हैदराबाद। लालमिर्च की कीमतों में पिछले कुछ दिनों से तेजी-मजबूती का माहौल बना हुआ है क्योंकि एक तो इसकी फसल को लेकर चिंता जताई जा रही है और दूसरे, निर्यातकों तथा स्टॉकिस्टों की जोरदार मांग इसमें बनी हुई है।
कुछ ही दिनों के अंदर इसके दाम में 20-25 प्रतिशत का उछाल आ चुका है जबकि आगे इसमें कुछ और तेजी आने की संभावना है। वैसे वर्तमान समय का मूल्य स्तर गत वर्ष की समान अवधि से करीब 20 प्रतिशत नीचे है। लहसुन के दाम में पहले ही जोरदार बढ़ोत्तरी हो चुकी है।
आरंभिक चरण के दौरान लालमिर्च की बेहतर पैदावार एवं पर्याप्त आपूर्ति की उम्मीद व्यक्त की जा रही थी लेकिन बाद में फसल को हुए नुकसान तथा जोरदार निर्यात मांग के कारण इसका भाव तेज होने लगा।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार मिचौंग चक्रवाती तूफान के कारण तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना में तेज हवा के साथ जोरदार बारिश होने से लालमिर्च की फसल को काफी क्षति हुई जबकि कर्नाटक में वर्षा का अपेक्षाकृत अभाव रहने से फसल प्रभावित हुई।
इससे जहां एक ओर उत्पादन में गिरावट की आशंका पैदा हो गई वहीँ दूसरी तरफ निर्यातकों एवं स्टॉकिस्टों ने इसकी जोरदार खरीदारी आरंभ कर दी। चीन सहित अनेक देशों में खासकर तेजा वैरायटी की लालमिर्च की भारी मांग देखी जा रही है।
यद्यपि राष्ट्रीय स्तर पर 2022-23 सीजन के मुकाबले 2023-24 सीजन के दौरान लालमिर्च के बिजाई क्षेत्र में करीब 12 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है मगर प्राकृतिक आपदाओं के प्रकोप से फसल को हुए भारी नुकसान के कारण इसके कुल उत्पादन में करीब 5 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान लगाया जा रहा है।
समीक्षकों का कहना है कि लालमिर्च की कीमतों में आ रही तेजी से आंध्र प्रदेश, तेलंगाना एवं कर्नाटक जैसे शीर्ष उत्पादक राज्यों के किसानों को फायदा हो रहा है। प्रमुख मंडियों में लालमिर्च के नए माल की आवक शुरू हो गई है जबकि आगामी सप्ताहों के दौरान इसकी रफ्तार तेज होने की संभावना है। पीक आपूर्ति के समय कारोबार भी तेजी से बढ़ेगा।