श्री सीमंधर दिगंबर जिनालय में विराजे मूलनायक, निकली निर्वाण कल्याणक शोभायात्रा

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पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव सम्पन्न

कोटा। Panchkalyanak Pratishtha Mahotsav: श्री 1008 महावीर दिगंबर जिनबिम्ब लघु पंचकल्याणक समिति तथा सकल दिगंबर जैन समाज कोटा की ओर से श्री 1008 महावीर दिगंबर जिनबिम्ब पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव के अंतिम दिन शुक्रवार को महावीर स्वामी का निर्वाण कल्याणक विधि विधान से सम्पन्न किया गया।

कार्यक्रम संयोजक महावीर पटवारी ने बताया कि कुंडलपुर नगरी, सिलिकॉन सिटी के पास, गोकुलधाम, बूंदी रोड कुन्हाड़ी पर श्री 1008 सीमंधर जिनालय कुंदकुंद कहान दिगंबर जैन मंदिर का निर्माण कराया गया है। पंच कल्याणक महोत्सव के उपरांत मन्दिर में सीमंधर भगवान की 41 इंच की वियतनाम पत्थर से बनी पद्मासन प्रतिमा स्थापित की गई।

वहीं चार अष्टधातु की भगवान आदिनाथ, महावीर स्वामी, भगवान नेमिनाथ, भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमाएं विराजमान की गई। इसके साथ ही कुंदकुंद देव और अमृतचंद देव के दो चरण भी स्थापित हुए। मंदिर में पांच आचार्यों के चित्र लगाए गए हैं।

वीरेंद्र कुमार हरसौरा परिवार की ओर से शिखर पर कलश और ध्वजा चढ़ाई गई। मन्दिर में चंवर, छत्र, यंत्र, घंटी, भामंडल कलश समेत जिनवाणी और पांच ताम्रपात्र भी स्थापित किए गए। भगवान को 64 चंवर चढ़ाए गए। मंदिर का उद्घाटन महावीर प्रसाद, विमल जैन, दिनेश जैन, सुनील धनोप्या परिवार द्वारा किया गया।

इससे पहले शांति जाप एवं नित्य पूजा, दशभक्ति पाठ, निर्वाण का दृश्य, निर्वाण कल्याण पूजा, शांति यज्ञ, प्रवचन, शोभायात्रा आदि के कार्यक्रम भी संपन्न किए गए। इस दौरान जुलूस के साथ श्रीजी को मन्दिर तक लेकर गए। निर्वाण कल्याणक शोभायात्रा में महिलाएं कलश लेकर मंगल गान गाती हुई चल रही थी।

पुरुष धर्म ध्वजा लेकर चल रहे थे। बैंड पर संगीतमय धुन बज रही थी। इस अवसर पर महिलाएं केसरिया तथा पुरुष श्वेत वस्त्र धारण कर चल रहे थे। इस अवसर पर 250 से अधिक समाज बंधुओं का सम्मान किया गया। कार्यक्रम में पुलिस अधिकारी पारस जैन, भगवत सिंह हिंगड़, अंकित4 जैन, प्रेम भाटिया, महावीर पटवारी, भानु जैन हरसौरा, भानु जैन पाटनी समेत कईं लोग मौजूद रहे।

जैन समाज का 53वां मंदिर
मंदिर का निर्माण जामनदास मेहता के सहयोग से कुंदकुंद कहान दिगंबर जैन ट्रस्ट सिलिकॉन सिटी के द्वारा कराया गया है। कोटा में जैन समाज का 53वां मंदिर है। मंदिर 1170 वर्ग फीट क्षेत्र में बना है। जिसका शिखर 21 फीट का है। जिस पर साढे 5 फीट की पीतल की ध्वजा लगाई गई है।