नई दिल्ली। बोआई के समय खराब मौसम के बावजूद उत्तर प्रदेश में एक बार फिर से आलू की बंपर पैदावार होने का अनुमान है। अच्छी फसल के बाद बाजार में नयी उपज के आते ही आलू की कीमत थोक मंडियों में गिरने लगी हैं।
बाहरी राज्यों से भी उत्तर प्रदेश में आ रहे आलू ने किसानों के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है। थोक मंडी में आलू की कीमतें लगातार गिर रही हैं। बीते दो सप्ताह में ही थोक मंडी में आलू की कीमत 25 से 40 फीसदी के बीच गिरी हैं।
आलू की सबसे अच्छी वैरायटी चिप्सोना और कुफरी के दाम उत्तर प्रदेश की थोक मंडियों में 1400 से 1600 रुपये के बीच हैं जबकि स्थानीय उपज का दाम बामुश्किल 700 से 800 रुपये कुंतल मिल रहा है।
प्रदेश में उद्यान विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इस बार भी आलू की पैदावार 160 लाख टन से ऊपर ही जाने का अनुमान है। स्थानीय फसल अभी बाजार में पूरी तरह से नहीं आयी पर मध्य प्रदेश और कर्नाटक से आलू की भरपूर आमद उत्तर प्रदेश की मंडियों में होने लगी है।
हाथरस में आलू के कारोबारियों का कहना है कि इस बार आलू की बोआई के समय हुई जोरदार बारिश के चलते फसल कमजोर होने की आशंका जतायी जा रही थी। हालांकि इस असर केवल कुछ हद तक अगेती फसल पर ही हुआ जबकि किसानों ने दोबारा बोआई कर नुकसान की भरपाई कर ली।
उनका कहना है कि वायदा बाजार में जो दाम लगाए जा रहे हैं उसके मुताबिक आने वाले तीन महीनों में भी दाम बढ़ने के आसार नहीं हैं। होली के आसपास भी आलू के सौदे 1200 रुपये कुंतल से ऊपर बुक नहीं हो रहे हैं।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आलू के थोक कारोबारी कमलेश सोनकर का कहना है कि बरेली, मैनपुरी और इटावा का मीडियम आलू 720 रुपये से लेकर 820 रुपये प्रति कुंतल मिल रहा है।
वहीं लखनऊ की थोक मंडी में मंगलवार को कुफरी बहार प्रजाति का अच्छा आलू 1440 रुपये कुंतल बिका है। मथुरा मंडी में आलू का रेट 770 तो कानपुर में 720 रुपये कुंतल चल रहा है। बाजार में सबसे ज्यादा दिखने वाला हाथरस का मीडियम आलू का दाम मंगलवार को 760 रुपये कुंतल चल रहा था। लखनऊ की दुबग्गा मंडी में आलू के आढ़ती आचार्य त्रिवेदी बताते हैं कि पछेती की स्थानीय फसल फरवरी के पहले हफ्ते से आना शुरू होगी जिसके बाद दाम और भी गिरेंगे।
उनका कहना है कि बीते दो सालों से कोल्ड स्टोरों की क्षमता भी नहीं बढ़ी है और बाहरी राज्यों में मांग भी ज्यादा नहीं है जिसके चलते यूपी के किसानों को अपनी उपज कम कीमत पर बेचना पड़ रही है। उन्होंने बताया कि आलू की सरकारी खरीद का भी ऐलान अभी नहीं हुआ है और यदि होता भी है तो दो लाख टन से ज्यादा के आसार नहीं है।
बता दें कि उत्तर प्रदेश में आलू की पछेती फसल की खुदाई अप्रैल के अंतिम सप्ताह तक चलती है जिसके चलते जनवरी से फसल आने का सिलसिला चार महीनों तक चलता है और कीमतें काबू में रहती हैं।