कोटा दशहरा 2022 : म्हाने लागे छे के छोरी आती जाती होगी… मुकुट मणिराज

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file photo

अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा कवि सम्मेलन

कोटा। राष्ट्रीय मेला दशहरा में सोमवार को मायड़ भाषा की गूंज सुनाई दी। दशहरा मैदान में स्थित विजयश्री रंगमंच पर अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। इस दौरान मायड भाषा में एक से बढ़कर एक कविताओं ने श्रोताओं को मुग्ध कर दिया। देर रात तक श्रोता काव्य पाठ सुनने के लिए डटे रहे।

कवि सम्मेलन की शुरुआत एडीएम सिटी बृजमोहन बैरवा, युआईटी सचिव राजेश जोशी, अरुण भार्गव, डॉ. निलेश जैन, कांग्रेस ब्लॉक अध्यक्ष लालचंद शर्मा, ओबीसी कांग्रेस अध्यक्ष विनोद पारेता, मेला, समिति अध्यक्ष मंजू मेहरा, उप महापौर पवन मीणा, कवि सम्मेलन संयोजक अनिल सुवालका, सदस्य इसरार मोहम्मद, अजय सुमन, भगवती कुमारी, मेला अधिकारी गजेंद्र सिंह, सहायक मेला अधिकारी मुख्य अभियंता प्रेमशंकर शर्मा, पार्षद कमल मीणा, प्रकाश जैन ने दीप प्रज्ज्वलन कर की। संचालन मुकुट मणिराज ने किया।

शुरुआत में विष्णु विश्वास ने सरस्वती वंदना ” थारा चरणा मं म्हारो ध्यान, आज बिराजे म्हारे घट मं…” की प्रस्तुति दी। इसके बाद तो कवियों ने एक से बढ़कर काव्य पाठ से श्रोताओं को वाह वाह कहने पर मजबूर कर दिया।

इसके बाद दुर्गा शंकर धांसू ने सत्यानाश जावगो चीन को… सुनाकर खूब गुदगुदाया। रमेश राजस्थानी ने व्यंग्य के माध्यम से ठेठ देशी भाषा में लोगों को लोटपोट कर दिया। मुकुट मणिराज ने ” गदरागी चंपा की डाली अर मदमाती होगी, म्हाने लागे छे के छोरी आती जाती होगी…” सुनाकर दाद लूटी। गोरस प्रचंड ने “गंडखडा चाट रियो रे थाली..” सुनाई। विश्वामित्र दाधीच ने करोना रे फेर मत आजे रे, म्हारे देश में सारी धरती बोझ्या मरगी, महामारी का क्लेश मं…” सुना कर कोरोना महामारी की बुरी यादें ताजा की।

अंबिकादत्त चतुर्वेदी ने नुगरा का पद ” काचा गार का ककस्या..” सुनाया। रघु राज सिंह कर्मयोगी ने “मेलो कोटा को लाग्यो छे बे नजीर, जावेगी मोटर गाड़ी में…” सुनाई तो तालियों की गड़गड़ाहट से परिसर गूंज उठा। अखिलेश अखिल ने “हल कुली का दम सुं विश्वगुरु भारत बण पायोजी..” के द्वारा किसान का बखान किया।

दुर्गादान सिंह गौड़ ने ” यूँ तो बंशी बांस छे राधा, पण ई में म्हारा सांस छे राधा, म्हारे लेखअ खास छे राधा, अब या थारे दास छे राधा..” गीत के द्वारा श्रृंगार रस की प्रस्तुति दी। देर रात तक कवि सम्मेलन में दुर्गादान सिंह गौड़, मुकुट मणिराज, विश्वामित्र दाधीच, बाबू बंजारा, कैलाश मंडेला, दुर्गाशंकर धांसू, पवन गोचर, विष्णु विश्वास, गौरस प्रचंड, गोविंद हांकला, अंबिका दत्त चतुर्वेदी, रामनारायण हलधर, मुरलीधर गौड़, प्रेम शास्त्री, भेरूलाल भास्कर, गिरिराज आमेठा, हरीश हिंदुस्तानी, मनोज गुर्जर, दिनेश बंटी, दीपिका माही, आयुषी राखेजा, प्रहलाद सिंह, अखिलेश बंटी, आरसी आदित्य, जगदीश निराला, रमेशचंद्र खंडेलवाल, गोरीशंकर सोनगरा, मनदीप सिंह, रमेश राजस्थानी, जगदीश भारती, चंपालाल राव, रघुराज कर्मयोगी, मदन मदहोश, आनंद हजारी ने काव्य पाठ किया।