नई दिल्ली। गेहूं के बाद अब चावल की कीमतों में उछाल देखा जा रहा है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के अनुसार, इसकी अखिल भारतीय औसत खुदरा कीमत पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 6.31 प्रतिशत की तेजी के साथ 37.7 रुपये प्रति किलो हो गई है। इससे आम आदमी की जेब पर बोझ बढ़ने के आसार हैं। हालांकि राहत की बात यह भी है कि केंद्र के पास 396 लाख टन चावल का विशाल भंडार मौजूद है जिससे कीमतों को काबू पाने में काफी मदद मिलेगी।
विश्लेषकों के मुताबिक चावल की कीमतों में उछाल की कई वजहें हैं। दरअसल धान की फसल की बुवाई में कमी की खबरें लगातार आ रही हैं। ऐसे में चावल की आपूर्ति को लेकर चिंताएं पैदा हो गई हैं। बताया जाता है कि इन्हीं चिंताओं के कारण गेहूं के बाद अब चावल की कीमतें बढ़ रही हैं।
क्या कहते हैं सरकार के आंकड़े: कृषि मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़े बताते हैं कि इस खरीफ सत्र के 18 अगस्त तक 343.70 लाख हेक्टेयर रकबे में धान की बुवाई का रिकार्ड है। पिछले साल की इसी अवधि के दौरान 374.63 लाख हेक्टेयर में धान की बुवाई हुई थी। इन आंकड़ों से जाहिर है धान की बुवाई का रकबा घटा है।
धान की बुवाई दक्षिण पश्चिम मानसून की शुरुआत के साथ ही जून में शुरू होती है। इस बार मानसूनी बारिश में कमी के कारण उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, ओडिशा, तेलंगाना समेत अन्य राज्यों में खेती का रकबा कम होने की सूचना दी गई है। पिछले हफ्ते तक धान बुवाई 8.25 फीसद कम देखी गई।
उत्पादन कम होने की आशंका: देश के कुल चावल का उत्पादन का 80 फीसद खरीफ के मौसम से आता है। विशेषज्ञों का कहना है कि धान बुवाई के रकबे में कमी के चलते चावल उत्पादन में कमी आने की आशंका है। खरीफ सत्र 2022-23 के लिए चावल उत्पादन 11.2 करोड़ टन के निर्धारित लक्ष्य से कम रहने की संभावना है।
गेहूं की कीमतों में भी तेजी: रिपोर्ट के मुताबिक बीते 22 अगस्त को गेहूं का अखिल भारतीय औसत खुदरा मूल्य करीब 22 फीसद बढ़कर 31.04 रुपये प्रति किलो हो गया था। पिछले साल इसी अवधि के दौरान गेहूं की कीमत 25.41 रुपये प्रति किलो थी। गेहूं में तेजी के चलते आटा का औसत खुदरा मूल्य भी बढ़ा है। आटे का औसत खुदरा मूल्य 17 फीसद से बढ़कर 35.17 रुपये प्रति किलो हो गया है। पिछले साल इस अवधि के दौरान यह 30.04 रुपये प्रति किलो था।