नई दिल्ली । बासमती चावल में निर्यातकों की मांग कमजोर रहने के कारण कीमतें उत्तरी भारत के राज्यों में लगभग स्थिर सुनी गयी है। विशेषज्ञों के अनुसार, सितंबर माह में बासमती चावल का निर्यात 2.47 लाख टन का ही रह गया, जबकि चालू वित्त वर्ष 2021-22 की पहली छमाही में निर्यात 19.49 लाख टन का हुआ है। विशेषज्ञ मानते है कि चालू वित्त वर्ष में बासमती चावल के कुल निर्यात में 5/10 फीसदी की कमी आने की आशंका है, जबकि वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान देश में बासमती चावल का कुल निर्यात 46.31 लाख टन का हुआ था।
बाजार के जानकार विशेषज्ञों के अनुसार, चालू खरीफ विपणन सीजन 2021-22 में अभी तक न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 209.52 लाख टन धान की खरीद हो चुकी है। जानकार विशेषज्ञ मानते है कि धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद चंडीगढ़, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मु और कश्मीर, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, तेलंगाना, राजस्थान, करेल, तमिलनाडू एवं बिहार से हो रही है।
जानकारों के अनुसार, दिल्ली धान बाजार में मंगलवार को पूसा 509 किस्म के स्टीम चावल की कीमत 6000/6500 रूपए और इसके सेला चावल की कीमत 5600/5900 रूपए प्रति क्विंटल पर स्थिर सुनी गयी है। इसी तरह से पूसा 1121 किस्म के स्टीम चावल की कीमत 7000/7500 रूपए और इसके सेला चावल की कीमत 6000/6500 रूपए प्रति क्विंटल पर सुनी गयी। इसी प्रकार, पूसा 1401 किस्म के बासमती चावल स्टीम की कीमत 6100/6300 रूपए प्रति क्विंटल पर स्थिर सुनी गयी।
जानकार मानते है कि आगे ब्याह-शादियों का सीजन शुरू हो रहा है, इसलिये बासमती चावल की कीमतों में हल्का सुधार तो आ सकता है, लेकिन बड़ी तेजी की उम्मीद नही है। वैसे भी देशभर के राज्यों में कोरोना के मामलों में कमी आ रही है तथा साथ ही गेहूं एवं चावल के फ्री आवंटन की स्कीम भी नवम्बर अंत में समाप्त हो रही है। हालांकि हाजिर बाजार में नकदी की किल्लत है, जिसका असर मांग पर रहेगा।
दूसरी ओर, पंजाब की तरनतारन मंडी में धान की 90 हजार कट्टों की आवक के बीच पूसा 1121 किस्म के धान की कीमत 3200/37770 रूपए और 1718 किस्म के धान की कीमत 3000/3400 रूपए प्रति क्विंटल पर स्थिर सुनी गयी।
हरियाणा की गोहाना मंडी में पूसा 1121 किस्म के धान की कीमत 3276/3606 रूपए और 1718 किस्म के धान की कीमत 3126/3356 रूपए, पूसा 1509 किस्म के धान की कीमत 3000 रूपए प्रति क्विंटल सुनी गयी। जानकार मानते है कि पूसा 1509 किस्म की आवक कम होने लगी है, जबकि पूसा 1121 और 1718 किस्म के धान की आवक अभी बनी रहेगी।