विदेशी निवेशकों का भारतीय अर्थव्यवस्था में बढ़ने लगा भरोसा, जोखिम बरकरार

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नई दिल्ली। केंद्र सरकार की रिपोर्ट बतलाती है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में विदेशी निवेशकों का भरोसा बढ़ने लगा है। हालांकि वैश्विक उथल पुथल का दौर अभी थमा नहीं है। चीन की अर्थव्यवस्था भी जद्दोजहद कर रही है। अन्‍य पड़ोसी मुल्‍कों में भी हालात अच्‍छे नहीं हैं। इसका प्रभाव वैश्विक रूप से पड़ने की आशंकाएं हैं। यही नहीं विकसित देश भी अपनी अर्थव्‍यवस्‍था की मजबूती के लिए सख्‍त फैसले ले सकते हैं। इससे जोखिम भी बना हुआ है।

वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था में विदेशी निवेशकों का भरोसा फिर से बढ़ने लगा है और अगस्त महीने की 12 तारीख तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआइ) की तरफ से 2.9 अरब डालर का निवेश किया जा चुका है। रिपोर्ट के मुताबिक चालू वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में 13.6 अरब डालर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश रहा जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 11.6 अरब डालर का विदेशी निवेश किया गया था।

फरवरी आखिर में रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता का माहौल होने से निवेशक उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं से अपने पैसे निकालने लगे थे और भारत भी इससे प्रभावित हुआ था। वहीं, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सरकार का पूंजीगत व्यय 1.75 लाख करोड़ तक पहुंच गया जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 57 प्रतिशत अधिक है।

केंद्रीय वित्‍त मंत्रालय की तरफ से शुक्रवार को जारी जुलाई माह की आर्थिक रिपोर्ट के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के लिए अब विकास और महंगाई दोनों को लेकर चिंता कम हुई है। इसकी मुख्य वजह है कि गत जून से अगस्त माह में कच्चे तेल के दाम में अच्छी गिरावट हुई है। खुदरा महंगाई दर सात प्रतिशत से नीचे आ गई है और राजस्व संग्रह में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।