बिना हेपटाइटिस नियंत्रण के कैसे मिलेगी सबको स्वास्थ्य सुरक्षा?

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कोविड महामारी के दौरान, यह सबको स्पष्ट जो गया है कि सतत विकास के लिए सबकी स्वास्थ्य सुरक्षा कितनी अहम है। जब हेपटाइटिस-बी से टीके के ज़रिए बचाव मुमकिन है, जाँच-इलाज मुमकिन है, हेपटाइटिस-सी का न सिर्फ़ जाँच-इलाज सम्भव है बल्कि पूर्ण उपचार भी मुमकिन है, तब कैसे 35 करोड़ लोगों से अधिक को हेपटाइटिस-बी और हेपटाइटिस-सी से जूझना पड़ रहा है और हर 20 सेकंड में 1 असामयिक मृत्यु हो रही है?

भारत समेत दुनिया की सभी देशों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा 2015 में यह वादा किया है कि 2030 तक दुनिया से हेपटाइटिस का उन्मूलन हो जाएगा। पर अनेक देश, 2030 तक हेपटाइटिस उन्मूलन के लक्ष्य की ओर 2020 वाले लक्ष्यों को पूरा नहीं कर पाए। हालाँकि यह श्रेयस्कर है कि एशिया पैसिफ़िक क्षेत्र के कुछ देश ऐसे हैं जिन्होंने 2020 के लक्ष्यों को सफलतापूर्वक पूरा किया है जैसे कि बांग्लादेश, भूटान, नेपाल, थाइलैंड, सिंगापुर, मलेशिया आदि। इन देशों ने 90% से अधिक नवजात शिशु को, हेपटाइटिस-बी से बचाव के लिए टीकाकरण उपलब्ध करवाने का लक्ष्य 2020 तक पूरा किया है जो सराहनीय है।

एंड-हेपटाइटिस-2030 (endhep2030.org) के सह-संस्थापक वांगशेंग ली, ने कहा कि हेपटाइटिस कार्यक्रम, किसी भी व्यापक जन-स्वास्थ्य कार्यक्रम का एक ज़रूरी भाग होना चाहिए। यदि सशक्त राजनीतिक इच्छाशक्ति और सामूहिक नेतृत्व रहेगा तो यह सम्भव है कि एशिया पैसिफ़िक के देश 2030 तक हेपटाइटिस को समाप्त कर सकें।

वेंगशेंग ली, 6वें एशिया पैसिफ़िक महापौर महासम्मेलन को सम्बोधित कर रहे थे (एपीकैट-समिट)। लगभग 80 शहरों के महापौर, सांसद और अन्य स्थानीय नेतृत्व प्रदान कर रहे लोगों ने घोषणापत्र भी सर्वसम्मति से जारी किया जिसका कुछ बिंदु हेपटाइटिस से सम्बंधित हैं। इन स्थानीय नेताओं ने यह वादा दोहराया कि गर्भवती महिलाओं से उनके नवजात शिशु को हेपटाइटिस होने के ख़तरे को वह समाप्त करने के लिए समर्पित हैं। इस दिशा में स्वास्थ्य सेवाएँ में सुधार हो, गर्भवती महिलाओं की जाँच हो, यदि वह संक्रमित हैं तो उचित इलाज और देखभाल मिले, नवजात शिशु को हेपटाइटिस-बी के ख़िलाफ़ टीका मिले, जागरूकता बढ़े जिससे कि लोग अपनी जाँच करवाएँ और ज़रूरी स्वास्थ्य सेवा का लाभ प्राप्त करें, आदि।

द यूनीयन के एशिया पेसिफ़िक क्षेत्र के निदेशक डॉ तारा सिंह बाम ने कहा कि स्वास्थ्य सुरक्षा सिर्फ़ स्वास्थ्य विभाग ही नहीं बल्कि हर सरकारी और अन्य वर्गों की भी साझी ज़िम्मेदारी है। जन-स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए राजनीतिक निर्णय यदि होंगे तो ही हर इंसान की स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा हो सकेगी और हम सब वर्तमान की महामारी और भविष्य में आने वाली महामारियों से भी बेहतर निबट सकेंगे। इसी के साथ यह भी ज़रूरी है कि वर्तमान की स्वास्थ्य चुनौतियों से हम पुरज़ोर तरीक़े से निबट रहे हों। वाइरल हेपटाइटिस के कार्यक्रम को तेज़ी से सक्रिय करने के साथ-साथ, अन्य स्वास्थ्य और विकास कार्यक्रमों के साथ तालमेल में सक्रिय करना होगा जिससे कि संक्रामक रोगों पर अंकुश लग सके।

विश्व स्वास्थ्य संगठन की विशेषज्ञ डॉ पो-लीन चैन ने कहा कि जो वादा सरकारों ने किया है कि, 2030 तक वाइरल हेपटाइटिस का उन्मूलन हो, वह साकार हो सकता है यदि हम लोग वर्तमान में सक्रिय सभी प्रभावकारी कार्यक्रमों को पूर्ण कार्यसाधकता के साथ संचालित करें और उनको बिना विलम्ब विस्तारित करे जिससे कि हर ज़रूरतमंद तक स्वास्थ्य सेवा पहुँच रही हो।

सभी नवजात बच्चों का निःशुल्क टीकाकरण हो जिसमें वाइरल हेपटाइटिस टीके की 3 खुराक शामिल हों, गर्भवती महिलाओं को एकीकृत स्वास्थ्य सेवा का लाभ मिले जिससे कि हेपटाइटिस, एचआईवी और सिफ़िलिस संक्रमण रुकें, रक्त और रक्त-सम्बंधित उत्पाद (जैसे कि प्लेटलेट) आदि सभी संक्रमण रहित हों, सुरक्षित यौन सम्बन्ध आदि कार्यक्रम अधिक प्रभावकारी बने, सभी स्वास्थ्यकर्मियों को संक्रमण नियंत्रण के लिए सभी आवश्यक सहयोग मिले और सार्वभौमिक सावधानी सम्भव हो सके, हर स्वास्थ्य केंद्र पर सुरक्षित इंजेक्शन सुनिश्चित हो, आदि।