Monday, October 7, 2024
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हड़ताल की तो होगी कार्रवाई, पंप मालिकों को चेतावनी

नई दिल्ली । यदि पेट्रोलियम डीलर 13 अक्टूबर को घोषित राष्ट्रव्यापी हड़ताल से पीछे नहीं हटे तो पेट्रोलियम कंपनियां उन पर सख्त कार्रवाई करेगी। यह बात मंगलवार को पेट्रोलियम कंपनियों अधिकारियों ने एक संवाददाता सम्मेलन में कही।

मुंबई में बुलाए गए संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में भारत पेट्रोलियम, हिंदुस्तान पेट्रोलियम एवं इंडियन ऑयल के विपणन निदेशकों ने कहा कि कुछ माह पहले ही डीलरों की कई समस्याएं सुलझाई जा चुकी हैं।

इसके बावजूद फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया पेट्रोलियम ट्रेडर्स, द ऑल इंडिया पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन एवं कंसोर्टियम ऑफ इंडियन पेट्रोलियम डीलर्स ने 13 अक्टूबर को एक दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल एवं इसके बाद 27 अक्टूबर से अनिश्चित कालीन हड़ताल का आह्वान किया है।

हालांकि कई डीलर्स ने पेट्रोलियम कंपनियों से संपर्क कर कहा है कि वे हड़ताल में शामिल नहीं होंगे। इन्होंने हड़ताल की योजना इसलिए बनाई है ताकि व्यापार विसंगतियों में सुधार समेत अपनी अन्य मांगों को मनवाने के लिए सरकार पर दबाव बनाया जा सके।

पेट्रोलियम डीलर्स का कहना है कि विपणन अनुशासन दिशानिर्देश (एमडीजी) में हालिया संशोधन 2 लाख तक के डीलरों को दंडित करने के लिए मनमाना और अनुचित है।

ट्रकों की हड़ताल समाप्त
ट्रक मालिकों की दो दिवसीय सांकेतिक हड़ताल मंगलवार को समाप्त हो गई। हड़ताल का नेतृत्व करने वाले संगठन एआइएमटीसी ने कहा है कि सरकार ने अगर मांगें नहीं मानी तो दिवाली के बाद अनिश्चितकालीन हड़ताल की जाएगी।

GST रिटर्न न भरने वालों के खिलाफ होगी कानूनी कार्रवाई

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सरकार जीएसटी रिटर्न दाखिल न करने वाले कई लाख व्यापारियों की राज्यवार सूची तैयार कर रही है, इसके बाद केंद्र और राज्यों के अधिकारी उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे

नई दिल्ली । जानबूझकर जीएसटी रिटर्न दाखिल नहीं करने वाले कारोबारियों को अब टैक्स अधिकारियों के सवालों का सामना करना पड़ेगा। सरकार जीएसटी रिटर्न दाखिल न करने वाले कई लाख व्यापारियों की राज्यवार सूची तैयार कर रही है। नॉन फाइलर्स व्यापारियों की सूची सभी राज्यों को भेजी जाएगी। इसके बाद केंद्र और राज्यों के अधिकारी उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे।

सरकार यह कदम ऐसे समय उठा रही है जब बार-बार रिटर्न दाखिल करने की सीमा बढ़ाए जाने के बावजूद छह लाख से अधिक व्यापारियों ने जुलाई के लिए जीएसटीआर-3बी जमा नहीं किया है जबकि जीएसटीआर-1 रिटर्न दाखिल न करने वालों की संख्या इससे भी अधिक है।

यही वजह है कि अपेक्षानुरूप रिटर्न दाखिल न होने के कारण केंद्र और राज्य दोनों चिंतित हैं। बिहार के उपमुख्यमंत्री और जीएसटी नेटवर्क पर बने मंत्रिसमूह के प्रमुख सुशील कुमार मोदी ने ‘दैनिक जागरण’ को बताया कि जिन व्यापारियों ने जीएसटी रिटर्न दाखिल नहीं किया है ऐसे ‘नॉन फाइलर्स’ की राज्यवार सूची तैयार की जा रही है।

आखिर कौन से ऐसे कारोबारी हैं जो रिटर्न फाइल नहीं कर रहे हैं, इसका ब्यौरा तैयार किया जाएगा। ऐसे कारोबारियों से रिटर्न फाइल न करने की वजह पूछी जाएगी। मोदी ने कहा कि शुरू में जीएसटी आइटी सिस्टम की व्यस्तता के चलते कारोबारी रिटर्न फाइल नहीं कर पा रहे थे लेकिन अब सिस्टम बेहतर ढंग से काम कर रहा है।

हर घंटे एक लाख रिटर्न फाइल किए जा सकते हैं। अगर जीएसटी नेटवर्क में कोई तकनीकी दिक्कत होती तो 53 लाख कारोबारी जीएसटीआर-3बी रिटर्न दाखिल नहीं कर पाते। उल्लेखनीय है कि जुलाई का जीएसटी रिटर्न (जीएसटीआर-1) फाइल करने की अंतिम तिथि 10 अक्टूबर थी और सरकार ने कारोबारियों से रिटर्न जमा करने का आग्रह किया। केंद्र ने स्पष्ट किया है कि अब रिटर्न भरने की अंतिम तिथि को नहीं बढ़ाई जाएगी।

जुलाई के लिए 59.57 लाख कारोबारियों को रिटर्न दाखिल करना है जिसमें से 10 अक्टूबर शाम छह बजे तक करीब 44 लाख कारोबारियों ने ही जीएसटीआर-1 फाइल किया। ऐसे में माना जा रहा है कि जितने लोगों ने जुलाई में जीएसटीआर-3बी दाखिल किया था उसके मुकाबले करीब आठ लाख कारोबारी ऐसे होंगे जो अपना जीएसटीआर-1 निर्धारित समयावधि में दाखिल नहीं कर पाए हैं।

खास बात यह है कि जुलाई में छह लाख से अधिक व्यापारियों ने जीएसटीआर-3बी दाखिल नहीं किया था। रिटर्न फाइल कम रहने पर जीएसटी काउंसिल की छह अक्टूबर को हुई 22वीं बैठक में भी चर्चा हुई थी। इसके अलावा राजस्व सचिव हसमुख अढिया ने भी अधिकारियों को रिटर्न दाखिल न करने वाले 200-200 व्यापारियों की पहचान कर उनसे यह सवाल करने को कहा है कि आखिर उन्होंने जीएसटी रिटर्न क्यों नहीं दाखिल किया।

मोदी सरकार का 44 इकनॉमिक कॉरिडोर बनाने का प्लान

कॉरिडोर में हैदराबाद-पणजी, संबलपुर-रांची, मुंबई-कोच्चि-कन्याकुमारी और बेंगुलुरु-मेंगलुरु शामिल हैं

नई दिल्ली। सड़क परिवहन मंत्रालय ने 5 लाख करोड़ के खर्च से 44 इकनॉमिक कॉरिडोर बनाने का प्लान तैयार किया है।

इसे जल्द कैबिनेट की मंजूरी मिल सकती है। इसके तहत 24,000 किलोमीटर हाइवे बनाने की बात है। इसमें सड़कों के साथ फीडर रूट भी बनाए जाएंगे।

इसका मकसद माल ढुलाई की रफ्तार को तेज करना है। अहम कमर्शल सेंटरों के आसपास मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स हब और पार्क भी बनाए जाएंगे। सड़क परिवहन मंत्रालय के एक सीनियर अधिकारी ने बताया, ‘हमने प्रस्ताव को कैबिनेट के पास मंजूरी के लिए भेजा है।’

उनके मुताबिक 80 फीसदी काम सरकारी फंडिंग वाले इंजिनियरिंग प्रोक्योरमेंट ऐंड कंस्ट्रक्शन (ईपीसी) प्रॉजेक्ट्स होंगे। बाकी हाइब्रिड एन्युइटी मॉडल के तहत पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल के तहत किए जाएंगे।

सरकार अगले 5 साल में प्रॉजेक्ट पर खुद 4 लाख करोड़ से ज्यादा खर्च करेगी। एक इंटरव्यू में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि उनका मंत्रालय बजट आवंजन से अलग फंड जुटाने पर भी काम कर सकता है।

मसलन- लाइफ इंश्योरेंस कॉरपोरेशन, प्रविडेंट फंड ऑर्गेनाइजेशन और बाकी इंस्टिट्यूशनल इनवेस्टर्स से फंड जुटाकर बड़े हाइवे प्रोजेक्ट्स पर काम किया जा सकता है। एक्सपेंडिचर सेक्रेटरी की अगुवाई वाले पब्लिक इनवेस्टमेंट बोर्ड ने इकनॉमिक कॉरिडोर प्रॉजेक्ट को हाल में हरी झंडी दी थी।

इसके बाद ड्राफ्ट कैबिनेट नोट पेश किया गया था। अधिकारी ने बताया, ‘प्रॉजेक्ट के पहले चरण की शुरुआत अगले साल की शुरुआत में होगी। हमारा इरादा पहले इन प्रॉजेक्ट्स पर काम करना है, ताकि दो साल में इसे पूरा किया जा सके।’

ग्लोबल कंसल्टेंसी फर्म एटी कियर्नी इकनॉमिक कॉरिडोर के लिए प्रॉजेक्ट रिपोर्ट तैयार कर रही है। कॉरिडोर में हैदराबाद-पणजी, संबलपुर-रांची, मुंबई-कोच्चि-कन्याकुमारी और बेंगुलुरु-मेंगलुरु शामिल हैं। सड़क परिवहन मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, ‘हमने जिन रूट्स की पहचान की है, वे फिलहाल नेशनल हाइवे नहीं हैं।

ये वैसे रूट्स हैं, जहां 2,00,000 से ज्यादा गाड़ियों का ट्रैफिक होता है और वे टू लेन हाइवे हुआ करते थे। इन रूट्स को अब 200 से ज्यादा बड़े शहरों की जरूरतें पूरी करने के लिए डिवेलप किया जाएगा।’

मुद्रा कोष के विकास दर अनुमान घटाने का शेयर बाजार पर असर नहीं

मुंबई। भले ही आईएमएफ ने भारत की इकॉनमिक ग्रोथ के अनुमान में 0.5 पर्सेंट की कमी कर दी है, लेकिन शेयर बाजार पर इसका कोई असर नहीं दिखा है।

बुधवार को सेंसेक्स 100 अंकों की उछाल के साथ 32,021 के स्तर पर खुला, वहीं निफ्टी भी 10,050 के मनोवैज्ञानिक स्तर के करीब पहुंच गया। हालांकि रुपये में डॉलर के मुकाबले 10 पैसे की गिरावट दिखी है और फिलहाल यह 65.26 के स्तर पर कारोबार कर रहा है।

आईएमएफ के अनुमानों के बाद भी बाजार में यह तेजी उत्साहजनक संकेत कही जा सकती है। हालांकि यह फेस्टिव सीजन के चलते भी हो सकता है।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भारत की अर्थव्यवस्था की रफ्तार का अनुमान वित्त वर्ष 2018 में 6.7 प्रतिशत रखा है, यह पहले 7.2 प्रतिशत था। वित्त वर्ष 2019 में भी भारत की जीडीपी का अनुमान 7.7 प्रतिशत से घटाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया है।

एमसीएक्स का सोने में ऑप्शन धनतेरस तक

एनसीडीईएक्स को सेबी से ग्वार में ऑप्शन कारोबार शुरू करने की मंजूरी

मुंबई। जिंसों में ऑप्शन कारोबार संभवतया अगले सप्ताह धनतेरस तक हकीकत बन सकता है। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर सोने में ऑप्शन कारोबार शुरू होने के आसार हैं। एमसीएक्स जिंसों में ऑप्शन शुरू करने वाला देश का पहला एक्सचेंज है। इसे सोना (1 किलोग्राम) वायदा पर आधारित गोल्ड ऑप्शन सौदे शुरू करने के लिए सेबी की मंजूरी मिल गई है। 
 
सरकार ने सबसे पहले फरवरी 2015 में जिंसों में ऑप्शन को मंजूरी दी थी। दो साल पहले जिंस नियामक के सेबी में विलय से ऑप्शन कारोबार को अमलीजामा पहचाने का रास्ता साफ हो गया था। जिंसों में ऑप्शन को मंजूरी मिले करीब दो साल हो गए हैं और अब जल्द ही यह हकीकत बनने जा रहा है।

एक अन्य एक्सचेंज एनसीडीईएक्स को सेबी से ग्वार में ऑप्शन कारोबार शुरू करने की मंजूरी मिली है। ग्वार एनसीडीईएक्स पर सबसे ज्यादा कारोबार वाली जिंसों में से एक है। सूत्रों के मुताबिक एनसीडीईएक्स जोखिम प्रबंधन प्रणाली और अन्य मसलों का परीक्षण कर रहा है। 
 
एमसीएक्स ने एक परिपत्र में कहा कि तारीख की घोषणा बाद में की जाएगी, लेकिन कारोबारियों का अनुमान है कि एक्सचेंज दीवाली से पहले कारोबार शुरू कर देगा। एमसीएक्स 1 किलोग्राम सोना वायदा पर आधारित ऑप्शन को मंजूरी दे रहा है। इसका मतलब है कि गोल्ड मिनी जैसे अन्य वैरिएंट में ऑप्शन कारोबार की मंजूरी नहीं होगी।

दो प्रकार यानी कॉल एवं पुट ऑप्शन उपलब्ध होंगे। कॉल ऑप्शन को खरीदने का मतलब है कि खरीदार को कीमतों में बढ़ोतरी के आसार नजर आ रहे हैं और पुट ऑप्शन खरीदने का मतलब है कि खरीदार को कीमतों में गिरावट के आसार दिखाई दे रहे हैं। दोनों ही मामलों में कीमत हलचल के अनुमान सही साबित होते हैं तो ऑप्शन का प्रीमियम और खरीदार का लाभ बढ़ेगा। 
 
सेलिंग ऑप्शन में इसके ठीक विपरीत होता है। भारत में बाजार नियामक सेबी ने यूरोपीय शैली के ऑप्शन को मंजूरी दी है, जिसका मतलब है कि परिपक्वता की एक निश्चित अवधि होगी और जिंसों में ऑप्शन उन वायदा अनुबंधों में शुरू किए जाएंगे, जो कारोबार के लिए शुरू किए गए हैं।

हालांकि ऑप्शन के निपटान का तीरका इक्विटी से अलग होगा। इक्विटी में ऑप्शन का निपटान नकद में होता है, लेकिन जिंसों में भौतिक डिलिवरी में भी निपटान की मंजूरी होने के कारण ऑप्शन में यह विकल्प भी होगा। इसलिए अगर निश्चित समयावधि में स्कवेयर ऑफ न करने पर सभी ऑप्शन परिवक्वता पर ïवायदा अनुबंध बन जाएंगे। 
 
इसके वायदा अनुबंध बनने के बाद इस पर वायदा के सभी नियम लागू होंगे और तब डिलिवरी भी दी जा सकेगी। एमसीएक्स के परिपत्र में विस्तार से बताया गया है कि ऑप्शन का कारोबार और निपटान कैसे होगा।

जब कोई व्यक्ति ऑप्शन खरीदता है तो वह बोला जा रहा प्रीमियम चुकाता है और अगर रुझान पलट जाता है तो उसे अधिक से अधिक चुकाए गए प्रीमियम का ही नुकसान होता है, जबकि ऑप्शन का विक्रेता बाजार आधारित प्रीमियम नुकसान का असीमित जोखिम उठाता है।

आयातक बैंक एवं एजेंसियां और कारोबारी एवं सराफ अपने कीमत जोखिमों की हेजिंग के लिए ऑप्शन खरीदते हैं। इसमें अहम यह होगा कि कौन ऑप्शन बेचता है। 

कॉलेज शिक्षा और इग्नू के बनाए कोर्सेज से बदलेगी युवाओं की तकदीर

इग्नू व आयुक्तालय कॉलेज शिक्षा के सहयोग से राजकीय महाविद्यालयों में शुरू होंगे 16 नए कोर्सेज -किरण माहेश्वरी  

जयपुर। उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी ने कहा कि प्रदेश के कॉलेजों में अध्ययनरत छात्रों को अध्ययन के दौरान ही कौशल विकास के ऎसे खास कोर्सेज करवाए जाएंगे ताकि स्नातक होते ही वे आत्मनिर्भर और स्वालंबी बन सकें। ऎसे कोर्सेज प्रदेश के युवाओं की तकदीर बदल देंगे।

माहेश्वरी मंगलवार को इग्नू व आयुक्तालय कॉलेज शिक्षा राजस्थान के संयुक्त तत्वाधान में संचालित परियोजना एवं प्राचार्यों व समन्वयकों की एक दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में बोल रही थीं। उन्होंने कहा कि भारत में पहली बार राजस्थान में ऎसा अनूठा प्रयोग हो रहा है।

इसके तहत कॉलेज शिक्षा विभाग, इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) की मदद से प्रदेश की सभी राजकीय महाविद्यालयों में 16 ऎसे सर्टीफिकेट और डिप्लोमा पाठ्यक्रमों की शुरूआत कर रहा है, जिनको करने से न केवल छात्रों के लिए रोजगार की संभावना बढ़ेगी बल्कि उनमें उद्यमिता का विकास होगा। ये कोर्सेज सभी महाविद्यालयों में 1 अक्टूबर से प्रारंभ होंगे।

कॉलेजों में कोर्सेज बेहतर तरीके से संचालित हो सकें इसके लिए प्रदेश के महाविद्यालयों के प्राचार्यों को एक दिवसीय प्रशिक्षण भी आज की कार्यशाला में दिया गया। प्रदेश के 219 महाविद्यालयों में 4 लाख से ज्यादा छात्र अध्यनरत हैं।

कॉलेज शिक्षा आयुक्तालय ने सभी महाविद्यालयों को 16 (12 सर्टिफिकेट और 4 डिप्लोमा कोर्सेज) में से उद्योगों की मांग और छात्रों की पसंद के अनुसार इनमें से 5 कोर्स शुरू कर दिए हैं।

अब तक 94 कॉलेजों में 5646 से ज्यादा विद्यार्थियों ने इन कोर्सेज के लिए पंजीकरण भी करवा लिया है। ये कोर्सेज अनुसूचित जाति और जनजाति के छात्र-छात्राओं के अलावा सभी वर्ग की छात्रओं के लिए निशुल्क रहेंगे जबकि सामान्य वर्ग के लिए बेहद कम शुल्क पर उपलब्ध कराए जाएंगे।

इग्नू के कुलपति प्रोफेसर रवीन्द्र कुमार ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा बेहतरीन कोर्स संचालित किए जा रहे हैं और आगे भी विभाग की मांग के आधार पर नए कोर्स भी डिजाइन किए जा सकेंगे।

उन्होंने बताया कि इग्नू के पाठ्यक्रम स्तरीय और बेहतरीन तरीके से बनाए हुए हैं। इस अवसर पर सेटेलाइट से चलने वाले ज्ञान सरिता की भी विधिवत रूप से शुरूआत की, इससे देश भर में कहीं भी छात्र ऑनलाइन शिक्षा ले सकेंगे।

इससे पहले अतिरिक्त मुख्य सचिव राजहंस उपाध्याय ने कहा कि प्रदेश के छात्रोें के लिए यह बेहतरीन अवसर है कि वे पढ़ाई के साथ पसंदानुसार करियर का चुनाव कर सकें।

उन्होंने कहा कि यह प्रयास छात्रों के लिए मील का पत्थर साबित होगा। कॉलेज शिक्षा आयुक्त आशुतोष पेंडणेकर ने कहा कि कौशल विकास को सामान्य शिक्षा से जोड़ने का कदम अभूतपूर्व है, यह छात्रों को आत्मनिर्भर बनाने और रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए बेहतरीन प्लेटफॉर्म साबित होगा।

ये कोर्सेज होंगे प्रारंभ
सभी महाविद्यालयों में फूड एंड न्यूट्रिशन, कम्यूनिकेशन एंड आईटी स्किल्स, टूरिज्म स्टडी, ऑर्गनिक फार्मिंग, इंफोर्मेेशन टेक्नोलॉजी, बिजनेस स्किल्स, वाटर हार्वेस्टिंग, एनजीओ मैनेजमेंट, एंटप्रेन्योरशिप, लैब टैक्नीक्स, बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग-फाइनेंस एंड अकाउंटिंग, फूड सेफ्टी, वैल्यू एडेड प्रोडक्ट्स फ्रॉम फ्रू्रट एंड वेजीटेबल्स और इंफोर्मेशन सिक्योरिटी जैसे कुछ अन्य कोर्सेज में से छात्र किसी को भी चुन सकेंगे।

कार्यशाला में इग्नू के क्षेत्रीय सेवा प्रभाग के निदेशक डॉ. वी. वेणूगोपाल रेड्डी व उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के अधिकारीगण के सहित सभी महाविद्यालयों के प्राचार्य और नोडल ऑफिसर उपस्थित रहे।

खाद्य विभाग ने की अनियमिता के विरूद्ध कड़ी कार्यवाही

4 डीएसओ 10 ईओ-आई निलंबित, 3 जिलों में 12 राशन डीलर्स के लाइसेंस रद्द करने की कार्यवाही, एफआईआर दर्ज

जयपुर । खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री  बाबू लाल वर्मा के निर्देश पर विभाग द्वारा राशन वितरण के कार्य में अनिमियताएं पाये जाने पर कड़ी कार्यवाही करते हुए मंगलवार को 4 जिला रसद अधिकारियों एवं 10 प्रवर्तन अधिकारी एवं प्रवर्तन निरीक्षकों को निलंबित करने की कार्रवाई करते हुए यह स्पष्ट कर दिया है कि राज्य सरकार किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नही करेंगी।

इन सभी अधिकारियों के विरूद्ध प्राप्त शिकायतों की जांच विचाराधीन है। विभाग द्वारा भीलवाडा जिले में 1, उदयपुर जिले में 1 एवं जयपुर में 10 राशन की दुकानदारों के लाइसेंस निलंबित कर दिये गये हैं तथा इन सभी राशन डीलर्स के विरूद्ध एफआईआर दर्ज करने की कार्यवाही भी की जायेंगी। विभाग द्वारा पहली बार इतने वृहद स्तर पर कार्यवाही की गई है।

मुख्यमंत्री वसुंधराराजे ने कहा है कि राशन के गेहूं पर पहला और आखिरी हक गरीब का है, इसमें जो भी कोई गड़बड़ी करेगा और दोषी होगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा। मुख्यमंत्री ने राशन के कालाबाजारियों के खिलाफ मुख्य सचिव और खाद्य नागरिक आपूर्ति विभाग के अधिकारियों को तुरंत सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। गरीबों का गेहूं बाजार में बिकने के मामले को चिंताजनक मानते हुए राजे ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली व्यवस्था को एक माह में ऑनलाइन किए जाने के निर्देश दिए हैं। 

व्यवस्था में पारदर्शिता के लिए उठाये कदम
 राज्य सरकार की मंशा के अनुरूप  प्रदेश में सार्वजनिक वितरण प्रणाली में पारदर्शिता लाने, कालाबाजारी रोकने व लक्षित लाभार्थियों तक राशन सामग्री की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए अनेक कदम उठाये गये है। इसके तहत  कम्प्यूटरीकरण का कार्य किया गया है ।

इस व्यवस्था पर पूर्ण निगरानी के साथ ही मुख्यालय द्वारा एवं अन्तर जिलों से टीमों का गठन कर सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सुदृढ़ बनाने के लिए नियमित रूप से जांच भी की जा रही है। 

पोस मशीन से शत-प्रतिशत खाद्यान वितरण
पोस मशीन के माध्यम से बायोमैट्रिक सत्यापन के बाद 100 प्रतिशत खाद्यान्न वितरण किया जा रहा हैं। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के तहत प्रदेश में कुल 4.20 करोड लाभार्थी हैं। इन लाभार्थियों के लिए 1.74 लाख मीट्रिक टन गेहूं का आवंटन प्रतिमाह किया जा रहा है।

लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत भारत सरकार के निर्देशानुसार डोर-स्टेप-डिलीवरी  प्रणाली प्रदेश में भी लागू है। इस प्रणाली के तहत भारतीय खाद्य निगम से गेहूं का उठाव कर सीधे ही उचित मूल्य दुकान (एफपीएस) तक पहुंचाया जाता है। 

अनियमितता पर कार्यवाही 
पोस मशीन लागू किये जाने के उपरांत समय-समय पर विभाग द्वारा जिलों में खाद्यान्न के उठाव व वितरण की जांच करवाई गई है, जिसमें जोधपुर, बीकानेर, हनुमानगढ, उदयपुर, करौली, सीकर, सवाई माधोपुर, बारां, झालावाड व गंगानगर जिले शामिल हैं।

इन जिलों में अब तक पाई गई अनियमितता के कारण, विभाग द्वारा की गई कार्रवाई के तहत 108 उचित मूल्य दुकानदारों के प्राधिकृत पत्र (लाइसेंस) निलंबित किये गये है एवं 108 के ही विरूद्ध एफआईआर भी दर्ज करवायी गई है।

इसके साथ ही विभागीय अधिकारियों में 27 जिला रसद अधिकारियों, 5 प्रवर्तन अधिकारी व प्रवर्तन निरीक्षक के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है एवं 3 प्रबंधक, खाद्य नागरिक आपूर्ति को भी निलंबित किया जा चुका है। आधार के दुरउपयोग की शिकायत मिलने पर 263 राशन डीलर्स के लाईसेन्स निलम्बन, 91 एफआई दर्ज एवं 63 लाईसेन्स निरस्त किये गये है।

पोस मशीनों के लिए टोल फ्री हैल्पलाईन भी
पोस मशीनों में आ रही समस्याओं के निराकरण हेतु विभाग द्वारा एक टोल फ्री हैल्पलाईन भी (1800-180-6127) शुरू की गई हैं।

इसके व्यापक प्रचार-प्रसार के लिए विभाग की ओर से निर्देश दिए गए हैं कि 26 अक्टूबर 2017 तक प्रदेश के सभी अटल सेवा केन्द्रों, पंचायत समिति मुख्यालय, जिला परिषद मुख्यालय, शहरी क्षेत्रों में नगर पालिका, नगर परिषद एवं नगर निगम मुख्यालयों पर सनबोर्ड के माध्यम से इस हेल्पलाइन की जानकारी हर व्यक्ति तक पहुुंचाना सुनिश्चित किया जाए।   

‘कर्मचारियों में तनाव से हर साल होता 2.5 खरब डॉलर का नुकसान’

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कोटा। रोटरी क्लब राउंड टाउन की अोर से मंगलवार बूंदी रोड स्थित एक होटल में मल्टी डिस्ट्रिक मीट हुई। इसमें मेंटल हेल्थ एट वर्क प्लेस विषय पर वक्ताओं ने अपनी बात रखी। कॉन्फ्रेंस में मुख्य वक्ता वरिष्ठ मनोरोग विशेषज्ञ डाॅ. एमएल अग्रवाल ने कहा कि विश्व मानसिक स्वास्थ्य संगठन ने इस वर्ष का यही नारा दिया है।

मानसिक स्वास्थ्य प्रबंधन नहीं होने और भेदभाव की नीति के कारण उत्पादकता पर बहुत अधिक असर पड़ता है। जिसकी वजह से विश्व में 2.5 खरब डालर के नुकसान का अनुमान लगाया गया है, जो 2030 तक 6 खरब अमरीकी डालर तक पहुंचने की उम्मीद है।

कार्यस्थल पर अवसाद की वजह से लोग काम बंद कर देते हैं और अवसाद के प्रकरण में औसतन 36 कार्य दिवस व्यर्थ कर दिए जाते हैं और 50 फीसदी अवसाद ग्रसित लोगों का इलाज नहीं किया जाता है। उन्होंने कहा कि 43 फीसदी प्रबंधकों को बेहतर नीतियां चाहिए, लोगों को यह बताने में मुश्किल होता है। कार्यस्थल पर मानसिक स्वास्थ्य समस्या है।

अवसाद और अन्य मानसिक बीमारियों से ग्रस्त लोगों में हमेशा भय बना रहता है कि कोई किसी को उनकी बीमारी के बारे में पता नहीं लग जाए, जिसकी वजह से वो अक्सर काम से अनुपस्थित रहने लग जाते हैं या अपनी पूर्ण क्षमता से कार्य नहीं करते है।

अतः इसके लिए आवश्यकता है नियोक्ता मानसिक रोगियों से भेदभाव की नीति करके स्टिग्मा को नहीं बढ़ाए और मानसिक स्वास्थ्य प्रबंधन कार्यस्थल पर करके अपनी उत्पादकता को बढ़ाए। एक सर्वे में माना गया है कि अगर नियोक्ता 1 डालर मानसिक स्वास्थ्य प्रबंधन पर खर्च करता है तो 4 डालर के उत्पादन में वृद्वि होती है।

अतः मानसिक स्वास्थ्य के बारे में प्राथमिकता से सोचा जाए। डाॅ. अरुणा अग्रवाल ने कहा कि बालिकाओं को किशोर अवस्था में इसके बारे में समझाना होगा।,

सीएम बिरला ने एनजीओ को इस कार्य में सबको मिल जुलकर कार्य करने के लिए का। कार्यक्रम में प्रद्युम्न पाटनी, राजेश अग्रवाल, प्रदीप सिंह गौड़, कांता मदनानी, राम गोपाल अग्रवाल, लक्ष्मण नैनानी, पीपी गुप्ता मौजूद थे। संचालक यज्ञदत्त हाड़ा ने किया।

सरकार भी उठाएगी आवश्यक कदम: विधायक हीरालाल नागर ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए सरकार भी आवश्यक कदम उठाएगी। इस काम में सामाजिक संस्थानों का पूरा सहयोग किया जाएगा।
काेर्स में लिया जाए यह विषय: कार्यक्रम में एडवोकेट भुवनेश शर्मा ने कहा कि इस विषय को दसवीं और बारहवीं कक्षा की किताबों में शामिल किया जाना चाहिए। मंच पर मौजूद लोगों ने बताया कि इसके बारे में सरकार को प्रस्ताव बनाकर भेजा है।

क्लब अध्यक्ष विमल जैन ने बताया कि मल्टी डिस्ट्रिक मीट के मुख्य अतिथि विधायक हीरा लाल नागर थे। विशिष्ट अतिथि मेयर महेश विजय, पूर्व प्रांत पाल सत्यनारायण लाठी, सीएम बिरला थे।

टीम रक्तदाता ने बचाई 8 माह के बच्चे की जान

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कोटा। टीम रक्तदाता ने आज मेडिकल कॉलेज, कोटा में डेंगू पीड़ित 8 माह के बच्चे के लिए ओ पोजीटिव एसडीपी रक्तदान कर उसके परिवार को खुशियां लौटाई।

डेंगू पीड़ित आठ माह का बालक।

एसडीपी टीम रक्तदाता के संयोजक नीरज सिंह ने सूचना मिलते ही स्वयम रक्त दिया। पिछले दो माह में उन्होंने छठी बार एसडीपी रक्तदान किया। बच्चे के मामा हरीश यादव सोमवार रात से परेशान हो रहे थे।

क्योकि बच्चे की प्लेटलेट्स गिरकर मात्र 6000 रह गई थी, जिससे उसके नाक से ब्लीडिंग शुरू हो गई थी। उन्होंने टीम रक्तदाता के संयोजक हरजिंदर सिंह और कुशाल जैन से संपर्क किया।

एक अन्य मामले में टीम के सदस्यों ने श्योपुर निवासी इम्तियाज़ फ़ातेमा के लिए भी ए-नेगेटिव एसडीपी डोनेट करवाई। शिक्षक हेमराज ने ए-नेगेटिव एसडीपी दी। गौरतलब है कि इन दिनों डेंगू रोगियों को कोटा में टीम रक्तदाता द्वारा तुरन्त प्लेटलेट्स मुहैया कराने से परिजनों को बड़ी राहत मिल रही है।

कमजोर उठाव से धनिया ,उड़द और तिल्ली में गिरावट

कोटा। भामाशाह अनाज मंडी में मंगलवार को माल की आवक 1लाख बोरी की रही । लहसुन की आवक 20000 हजार कट्टे की रही । नई सोयाबीन की लगभग 60000 एवं नई धान की 5000 बोरी की आवक रहीं।

कमजोर उठाव से धनिया ,उड़द और तिल्ली में गिरावट धनिया 200 रुपए प्रति क्विंटल ,उडद हल्का 200रुपए प्रति क्विंटल, तिलली में 400रुपए प्रति क्विंटल मंदा रहा।

गेहूं मिल 1500से 1531 लोकवान 1600से 1700पीडी 1650 से 1700 टुकडी 1600से 1700 रुपए प्रति क्विंटल। धान सुगंधा 2000 से 2350 पूसा 1 2000 से 2300 पूसा4 (1121) 2000 से 2500 धान (1509) 2000 से 2400 सोयाबीन 2200 से 2731 सरसो 3200 से 3421 तिल्ली 5000 से 6500 रुपए प्रति क्विंटल।

मैथी 2000 से 2400 धनिया बादामी 3400 से3600 ईगल 3600 से 3800 रंगदार 4000 से 5000 मूंग 3500 से 4100 उडद नया 2400 से 3900 चना 5000 से 5200 चना काबुली 7000 से 10500 रुपए प्रति क्विंटल।

चना पेपसी 4800 से 5800 चना मौसमी 4800 से 5800 मसूर 3500 से 4000 ग्वार 2500से 3050 मक्का नई 1000 से 1200 जौ 1100 से 1200 ज्वार 1300 से 2000रुपए प्रति क्विंटल । लहसुन 800 से 4050 रुपए प्रति क्विंटल ।