Monday, October 7, 2024
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परवन डेम परियोजना को लेकर प्रमोद भाया की पदयात्रा

  • परवन बांध के निर्माण पर सरकार की नीयत ठीक नहीं

  • पूर्व मंत्री प्रमोद भाया ने शुरू की 11वीं पदयात्रा

  • चार साल में परियोजना लागत बढकर 7800 करोड़

कोटा। कांग्रेस सरकार द्वारा स्वीकृत परवन वृहद सिंचाई परियोजना के निर्माण कार्य को प्रांरभ करवाने की मांग को लेकर प्रदेश उपाध्यक्ष एवं पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया ने बुधवार को 11वें चरण की पदयात्रा बारां के ग्राम बड़ां से प्रारंभ कर ग्राम बमूलिया जागीर, चैनपुरिया, खेडली जागीर से होते हुए ग्राम बोहत पहुंचकर सम्पन्न की।

जन जागरण पदयात्रा में जिलाध्यक्ष पानाचंद मेघवाल सहित सैकड़ों कांग्रेसजनों, किसानों और क्षेत्रवासियों ने भाग लिया।पदयात्रा में भाया ने कहा कि 4 साल का लम्बा समय निकल जाने के बावजूद ‘परवन वृहद सिंचाई परियोजना’ पर सरकार की ‘नीयत’ साफ नहीं है।

उन्होनें कहा कि कांग्रेस शासन के दौरान राज्य सरकार ने केन्द्र सरकार को 4 वर्ष में इस परियोजना को पूर्ण कराने की लिखित में अण्डरटेकिंग दी थी। लेकिन राज्य की भाजपा सरकार ने द्वेषतावश 4 वर्ष में इस परियोजना को पूर्ण कराना तो दूर रहा अब तक मौके पर कार्य भी चालू नही करवाया।

जबकि इस परियोजना की क्रियान्विती में लगातार हो रही देरी के चलते एक तरफ यहां की कृषि आधारित क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को करोड़ों रूपये का नुकसान हो गया। दूसरी ओर नोटबंदी एवं जीएसटी के चलते परियोजना लागत लगभग 231.92 प्रतिशत बढ़ कर करीब 7800 करोड़ रूपये हो गयी है।

भाजपा मंत्रियों द्वारा बताया गया कि मुख्यमंत्री परवन परियोजना को स्प्रिकंलर पद्वति से जोड़कर राष्ट्रीय परियोजना में शामिल कराने के लिए प्रयासरत है। भाया ने कहा कि अगर ऐसा हुआ तो किसान भाईयों को फ्लो इरीगेशन के स्थान पर विद्युत मोटरें लगाकर स्प्रिकंलर पाईपों से खेतों में पानी देना होगा जिससे किसान भाईयों पर प्रतिमाह बिजली बिल के भुगतान के साथ बिजली उपलब्ध होने का इंतजार करना पडेगा।

स्प्रिंकलर पाइप खेतों में लगाने के लिए किसानों को हजारों, लाखों रुपये प्रथम बार में ही खर्च करने पडेंगे। स्प्रिकंलर पाइप भी सर्दी, गर्मी एवं बरसात के कारण पांच वर्ष से ज्यादा नहीं चल पाते है, जिससे किसानों को हर पांच वर्ष में इनकी मरम्मत, रख-रखाव या नए पाइप खरीदने पड़ेंगे, जिन पर लाखों रुपये की राशि खर्च होगी।

फ्लो इरीगेशन पद्वति में किसानों का सिंचाई पर कोई खर्चा नही होता है, बिजली कटौैती से इसका कोई संबंध नहीं है। भाया ने कहा कि भाजपा सरकार परवन परियोजना को स्प्रिकंलर पद्वति की नही करें तथा कांग्रेस शासन के दौरान बनाई गई डीपीआर अनुसार ही काम को होने दें। उन्होनें कहा कि किसानो का शोषण, उनका आर्थिक नुकसान कतई सहन नहीं करेंगे।

उन्होनें कहा कि सरकार परवन परियोजना के सिंचित क्षेत्र का रकबा बढ़ाना चाहती है तो डेम की ऊंचाई कांग्र्रेस समय की डीपीआर डिजाइन में है, उसकी ऊंचाई को ओर बढावे, जिससे रकबा बढ़ जायेगा तथा किसानों पर स्प्रिंकलर पद्वति का भार नही पडेगा।

10 फीसदी काम के लिए 4 साल निकाल दिये
भाया ने कहा कि राजे सरकार ने संबंधी पत्रावली पर नई कार्यवाही जोडी है, लेकिन केवल इसके लिए परियोजना कार्य 4 साल रोकना पडा। इस सरकार का कार्य 10 फीसदी हिस्सेदारी का है, जबकि 90 फीसदी कार्य काॅग्रेस शासन के दौरान ही पूर्ण कर दिया गया था।

चूंकि परियोजना राजस्थान में राणा प्रताप सागर, माही एवं बीसलपुर के बाद चैथी वृहद परियोजना है। इसके चलते जब तक परियोजना का निर्माण कार्य पूर्ण नहीं होगा, तब तक किसी न किसी रूप में ‘औपचारिक कार्यवाही’ चलती ही रहेगी।

भाया ने संकल्प दोहराते हुए कहा कि परवन वृहद सिंचाई परियोजना निर्माण के लिए उनकी पदयात्राएं संवेदक कंपनी को कार्यादेश जारी होने एवं संवेदक कम्पनी द्वारा मौके पर निर्माण कार्य प्रारंभ होने तक निरंतर जारी रहेगी।

जिलाध्यक्ष पानाचंद मेघवाल ने कहा कि सरकार की मुखिया से लेकर क्षेत्रीय सांसद महोदय एवं कृषि मंत्री सहित भाजपा नेता परवन पर अलग-अलग बयान दे रहे हैं, लेकिन हकीक़त में रिजल्ट सामने नजर नहीं आ रहा। इस मुद्दे पर वर्तमान सरकार के सिंचाई मंत्री ने विधानसभा प्रश्न के जवाब में उन तथ्यों की पुष्टि कर दी।

जिनका जिक्र काॅग्रेस लम्बे समय से कर रही है, कि ‘परवन वृहद सिंचाई परियोजना’ की स्वीकृति के लिए आवश्यक सैद्धांतिक, प्रशासनिक, वित्तीय तथा तकनीकी स्वीकृति कांग्रेस सरकार के समय पूरी कर दी गई थी।

 

कोटा स्टोन पर जीएसटी 5 या 18 प्रतिशत, स्पष्ट नहीं होने से कारोबार प्रभावित

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कोटा। अभी तक भी केंद्र सरकार यह तय नहीं कर पाई की कोटा स्टोन पर कितना टैक्स वसूला जाना है। कोटा स्टोन के टैक्स को लेकर अभी भी अधिकारियों में संशय है। हालांकि हाल ही में हुई जीएसटी काउंसिल की बैठक में पॉलिश कोटा स्टोन को 28 प्रतिशत से घटाकर 18 फीसदी की श्रेणी में डाल दिया, लेकिन अधिकारी अभी तक भी यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि कोटा स्टोन के कौन से उत्पाद पर 18 फीसदी और कौन से उत्पाद पर 5 फीसदी टैक्स लगना है।

स्लैब पर संशय
इसी शंका के समाधान को लेकर कोटा स्टोन स्माल स्केल इण्डस्ट्रीज एसो. के पदाधिकारियों का प्रतिनिधिमंडल केन्द्रीय उत्पाद एवं सेवा शुल्क विभाग के उपायुक्त नरेश बुंदेल से मिला। उन्होंने टैक्स स्लेब स्पष्ट करने का अनुरोध किया, लेकिन वे संशोधित नोटिफिकेशन हाथ में आने के बाद ही कुछ कहने की स्थिति में नजर आए।

इस बारे में वाणिज्यिक कर विभाग के उपायुक्त से जानकारी लेनी चाही तो वे भी संतोषप्रद जवाब नहीं दे पाए। केएसएसएसआईए के अध्यक्ष जगदीश शक्तावत, उपाध्यक्ष दिनेश डपकरा, सचिव अखलेश मेड़तवाल ने बुंदेला को 26 दिसम्बर 1990 का सर्कुलर दिखाया। जिसमें स्पष्ट था कि कोटा स्टोन रफ व पॉलिश एक श्रेणी में है। व्यापारियों का कहना था कि वैट में भी कोटा स्टोन पॉलिश व रफ को एक ही कर की श्रेणी में रखा गया था, लेकिन जीएसटी में इसकी श्रेणी स्पष्ट नहीं।

नहीं कर पा रहे कारोबार
लघु उद्योग भारती के पूर्व जिलाध्यक्ष राजेंद्र जैन का कहना है कि जीएसटी में जो एचएसएन कोड है उसमें 6802 कोड में 28 प्रतिशत टाइल्स को माना गया है। एचएसएन कोड 2515 व 2516 में इसी पत्थर को 5 प्रतिशत कर श्रेणी में रखा है। वर्तमान में कोटा स्टोन की कर श्रेणी का सीधा जिक्र नहीं होने के कारण व्यापारी 5 प्रतिशत कर श्रेणी में बिल काट रहे हैं।

कुछ व्यापारी 18 प्रतिशत में बिल बना रहे हैं। जो खुलकर व्यापार नहीं कर पा रहे हैं। 750 कोटा स्टोन की खदानें, 5000 औद्योगिक इकाइयां, 150000 लोगों को मिल रहा है प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार , 1000 करोड़ का सालाना कारोबार, 100 करोड़ के कोटा स्टोन का निर्यात

वाणिज्यिक कर विभाग उपायुक्त एन.के. गुप्ता का कहना है कि कोटा स्टोन पर जीएसटी स्लेब क्या रहेगी। इस बारे में अभी कुछ भी नहीं कहा जा सकता। इसके टैक्स के बारे में अभी संशय है। जो अभी क्लियर नहीं हुआ है। केंद्रीय उत्पाद एवं सेवा शुल्क विभाग के अतिरिक्त आयुक्त नरेश बुंदेला ने कहा कि टाइल्स को 28 फीसदी की स्लेब में रखा गया था।

वहीं पॉलिश कोटा स्टोन भी 28 फीसदी की स्लेब में था। नॉन पॉलिश कोटा स्टोन 5 फीसदी की स्लेब में था, लेकिन हाल ही में जीएसटी काउंसिल की बैठक में वित्त मंत्री ने टाइल्स की स्लेब 28 से घटाकर 18 की है। उसमें कोटा स्टोन को कौनसी स्लेब में रखा है। यह तो संशोधित नोटिफिकेशन आने के बाद ही बताया जा सकता है।

एमएसएमई पखवाड़े में हजारों युवा व उद्यमी लाभांवित -उद्योग मंत्री

जयपुर । उद्योग व राजकीय उपक्रम मंत्री राजपाल सिंह ने बताया है कि एमएसएमई पखवाड़े के दौरान राज्य में लगभग 150 औद्योगिक प्रोत्साहन शिविरों का आयोजन कर हजारों नागरिकों को राज्य सरकार की औद्योगिक योजनाओं की जानकारी देकर शिविरों में ही लाभाविन्त किया गया है।

उन्होंने बताया कि एमएसएमई पखवाड़े का बड़ा लाभ युवाओं और कृषि भूमि पर उद्योग लगाने वाले ग्रामीणों को मिला है। भामाशाह रोजगार सृजन योजना में 4 % के ब्याज अनुदान को दो गुणा करते हुए 8 प्रतिशत ब्याज अनुदान देने के आदेश जारी कर सीधा युवा नए उद्यमियों को लाभ पहुंचाने का निर्णय किया वहीं प्रधानमंत्री रोजगार गांरटी योजना के ऋण वितरण को ढ़ाई गुणा तक बढ़ा दिया।

उन्होंने बताया कि खातेदारों को एक एकड़ कृषि भूमि तक सूक्ष्म, लघु उद्योग इकाई या कजावा (अस्थाई ईंट भट्टा) आदि लगाने के लिए स्वतः भूमि उपयोग संपरिवर्तन प्रमाण पत्र के आधार पर वित्तदायी संस्थाओं से ऋण सुविधा के आदेश जारी कर बडी राहत दी है।
 
उद्योग मंत्री ने बताया कि मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने 17 सितंबर को एमएसएमई दिवस पर इस वर्ष को एमएसएमई वर्ष घोषित करते हुए 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक एमएसएमई पखवाड़ा आयोजित करने की घोषणा की थी।

उन्होंने बताया कि औद्योगिक प्रोत्साहन शिविरों से रीको, राजस्थान वित निगम, खादी बोर्ड, औद्योगिक संघों, जिले की वित्तदायी संस्थाआें, आर्टिजनों और युवाओं को जोड़ते हुए उन्हें केन्द्र व राज्य सरकार की उद्योग संवद्र्धन योजनाओं की जानकारी देने के साथी ही शिविर में ही योजनाओं का लाभ दिलाने के प्रयास किए गए।

उन्होंने बताया कि शिविरों में युवाओं को रोजगार के लिए प्रधानमंत्री रोजगार गारंटी योजना, भामाशाह रोजगार सृजन कार्यक्रम की जानकारी देते हुए ऋण आवेदन तैयार कराने के साथ ही बैंकों से ऋण स्वीकृति भी करवाई गई। इसी तरह से शिविरों में आर्टिजन कार्ड, केन्द्र सरकार की जीरो इफेक्ट-जीरो डिफेक्ट व जेम पोर्टल में पंजीयन के लिए प्रोत्साहित किया गया।
 
उद्योग आयुक्त कुंजी लाल मीणा ने बताया कि पखवाड़े के दौरान जयपुर में आरएसडीसी व अब उद्योग प्रोत्साहन संस्थान और अजमेर, बीकानेर सहित कई स्थानों पर जिला उद्योग केन्द्रों द्वारा हस्तशिल्प प्रदर्शनियों का आयोजन कर शिल्पियों, बुनकरों व दस्तकारों को सीधा बाजार उपलब्ध कराया गया है। उन्होंने बताया कि पखवाडे़ के दौरान पीएमईजीपी व बीआरएसवाई योजनाओं में 2300 से अधिक युवाओं के आवेदन तैयार कराकर 648 युवाओं के बैंकों से ऋण भी स्वीकृत कराए जा चुके हैं।
 
मीणा ने बताया कि पखवाड़े के दौरान जयपुर सहित कई जिला उद्योग केन्द्रों ने प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन, टूल किट का वितरण आदि कार्य किए हैं। उन्होंने बताया कि जिला उद्योग केन्द्रों द्वार स्वच्छता अभियान व नवाचार कार्यक्रमों को भी अपनाया गया है।

सरकार से बातचीत के बाद पेट्रोल पंप डीलरों ने वापस ली हड़ताल

नई दिल्ली। पेट्रोल पंप डीलरों ने देशव्यापी हड़ताल वापस ले ली। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से बातचीत के बाद पेट्रोल पंप डीलरों ने हड़ताल वापस लेने का फैसला किया। बता दें कि देशभर के पेट्रोल डीलरों  ने आगामी 13 अक्टूबर से हड़ताल पर जाने का एलान किया था।

देश भर में करीब 54 हजार पेट्रोलियम डीलरों ने 13 अक्तूबर को देशव्यापी हड़ताल करने का एलान किया था। यूनाइटेड पेट्रोलियम फ्रंट (यूपीएफ) ने बेहतर लाभ (मार्जिन) समेत विभिन्न मांगों और पेट्रोलियम पदार्थों को भी के दायरे में लाए जाने के लिए इस हड़ताल का एलान किया था। 

फ्रंट ने मांग की है कि चार नवंबर, 2016 को तेल मार्केटिंग कंपनियों के साथ किए गए करार को लागू किया जाए। यह फैसला काफी समय से लंबित है। अन्य मांगों में डीलर मार्जिन की हर छह माह में समीक्षा, निवेश पर रिटर्न के लिए बेहतर नियम, कर्मचारियों के मुद्दों का समाधान, नुकसान से निपटने के लिए नए अध्ययन और एथेनॉल मिलाने व ट्रांसपोर्टेशन से संबंधित मुद्दे शामिल हैं।

तेल क्षेत्र में 300 बिलियन डॉलर के निवेश का मौका देगा भारत

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नई दिल्ली। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि अगले 10 वर्षों में भारत हाइड्रोकार्बन क्षेत्र में 300 अरब डॉलर के निवेश के अवसरों की पेशकश करेगा, ताकि देश की ऊर्जा मांग के साथ तालमेल बिठाया जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि ऊर्जा से संबंधित मुद्दों पर सरकार को सलाह देने के लिए विशेषज्ञों का एक समूह स्थापित किया जा रहा है।

इसके अलावा उन्होंने कहा, बाजार संचालित कीमतों के लिए एक गैस मंच के लिए एक कैबिनेट प्रस्ताव को अंतिम रूप दिया जा रहा है। केरावीक की ओर से आयोजित इंडिया एनर्जी फोरम के एक इंटरेक्शन कार्यक्रम के दौरान कहा, “हमारी भविष्य की मांग पर विचार करते हुए अगले 10 सालों में भारत 300 अरब डालर (हाइड्रोकार्बन क्षेत्र में) की परियोजना की पेशकश कर रहा है।”

आने वाले पांच वर्षों में तेल क्षेत्र में 1 खरब डॉलर के निवेश और साउदी अरामको की ओर से किए जाने वाले 300 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश के बारे में नीती आयोग के सीईओ अमिताभ कांत की टिप्पणी पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि यह एक गलत बयानी है और अरामको ने अपने वैश्विक बुनियादी ढांचे में 300 अरब डालर के निवेश करने की योजना बनाई है।

CNG ग्राहकों के लिए सरकार पेश करेगी IGL स्मार्ट कार्ड
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान बुधवार को प्रीपेड आईजीएल स्मार्ट कार्ड लॉन्च करने जा रहे हैं। इससे सीएनजी वाहन चालकों को निश्चित तौर पर बड़ी राहत मिलेगी। कार्ड की मदद से ग्राहकों को सीएनजी गैस स्टेशन पर लंबी लाइनों में नहीं लगना पड़ेगा। प्रधान इस कार्ड को दिल्ली में पेश करने वाले हैं।

कैसे मददगार होगा यह स्मार्ट कार्ड
आईजीएल स्मार्ट कार्ड की लॉन्चिंग के दौरान साइंस एंड टेक्नोलॉजी मंत्री समेत दिल्ली के सभी सात लोकसभा सांसद भी मौजूद रहेंगे। इसे सीएनडी स्टेशन पर रिटेल ग्राहकों की तरफ से भुगतान के लिए डिजायन किया गया है। ऐसा दावा किया जा रहा है कि इसकी मदद से सीएनजी स्टेशन पर भुगतान के दौरान हड़बड़ी नहीं होगी।

साथ ही लेनदेन पारदर्शी और सुविधाजनक बनेगा। सीएनजी ग्राहक आईजीएल स्मार्ट कार्ड को पिन से सुरक्षित रख सकेंगे और इसे नेट बैंकिंग, क्रेडिट या डेबिट कार्ड के जरिए स्टेशनों पर रिचार्ज किया जा सकेगा। इस कार्ड को ग्राहक सीएनजी स्टेशन से खरीद सकेंगे।

31 दिसंबर तक मान्य रहेंगे SBI सहयोगी बैंकों के चेक

नई दिल्ली । सार्वजनिक क्षेत्र के सबसे बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने अपने ग्राहकों को बड़ी राहत दी है। बैंक ने पांच पूर्व सहयोगी बैंक और भारतीय महिला बैंक की चेकबुक को अब 31 दिसंबर तक के लिए मान्य कर दिया है।

मसलन, जो चेकबुक एक अक्टूबर से अमान्य होने जा रही थीं, वे अब 31 दिसंबर, 2017 के बाद अमान्य कर दी जाएंगी। यह जानकारी भारतीय स्टेट बैंक ने अपने आधिकारिक ट्विटर एकाउंट के माध्यम से दी है। अब ग्राहक नई चेक बुक के लिए आवेदन 31 दिसंबर तक कर सकते हैं।

इस अवधि के बाद पुराने बैंक के चेक और IFS कोड वैध नहीं होंगे। एसबीआई ने ग्राहकों से कहा है कि नई चेक बुक के लिए इंटरनेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग, एटीएम या फिर शाखा में जाकर तुरंत आवेदन कर लें।

अनुपम खेर होंगे एफटीआईआई के नए चेयरमैन

नई दिल्ली। फिल्म एंड टीवी इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के नए चेयरमैन बॉलीवुड के जाने माने अभिनेता अनुपम खेर होंगे। बुधवार को अनुपम खेर की नियुक्ति की घोषणा की गई। ज्ञातव्य है कि अनुपम खेर एफटीआईआई में गजेन्द्र चौहान की जगह लेंगे।

 गजेन्द्र चौहान को एनडीए सरकार ने 9 जून 2015 को एफटीआईआई का चेयरमैन बनाया था। उस समय गजेन्द्र चौहान की नियुक्ति का छात्रों ने काफी विरोध किया था। छात्रों ने करीब 139 दिनों तक प्रदर्शन किया था।

अब गजेन्द्र चौहान की जगह अनुपम खेर एफटीआईआई के चेयरमैन होंगे। अनुपम खेर को पिछले वर्ष 2016 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था। इससे पहले उन्हें 2004 में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।

खत्म हो चुका है गजेंद्र का कार्यकाल :
ज्ञातव्य है कि गजेन्द्र चौहान का कार्यकाल इस साल मार्च महीने में खत्म होना था। इसी कारण एफटीआईआई के लिए नए चेयरमैन की तलाश हो रही थी। गजेन्द्र के कार्यकाल के दौरान कई बडे बदलाव किए गए जो कि विवाद का कारण भी बने।

सोने में तेजी थमी, 15 रुपये गिरा, चांदी 41,000 पार

नयी दिल्ली/कोटा । कमजोर वैश्विक रुख के साथ मौजूदा स्तर पर कारोबारियों की सुस्त मांग से स्थानीय सर्राफा बाजार में आज सोने में चार सत्रों से जारी तेजी थम गई और इसकी कीमत 15 रुपये घटकर 30,750 रुपये प्रति दस ग्राम रह गयी।

हालांकि, औद्योगिक इकाइयों और सिक्का निर्माताओं के उठान बढ़ने से चांदी में तेजी जारी रही और यह 75 रुपये बढ़कर 41,000 रुपये के स्तर से पर निकलकर 41,065 रुपये प्रति किलोग्राम हो गयी।

सर्राफा कारोबारियों ने कहा कि मौजूदा उच्च स्तर पर घरेलू हाजिर बाजार में आभूषण और फुटकर विक्रेताओं की मांग में गिरावट और विदेशों में कमजोरी के रुख से सोने की कीमतों में गिरावट आई है।

वैश्विक स्तर पर सिंगापुर में, सोना 0.02 प्रतिशत घटकर 1,287.10 डॉलर प्रति औंस रह गया। इसके अलावा निवेशकों को ब्याज दर में वृद्धि के संकेत को लेकर अमेरिकी फेडरल रिजर्व की सितंबर की बैठक के ब्यौरे का इंतजार दिखा।

इससे विदेशी बाजारों में कमजोरी का रुख दिखाई दिया जिससे यहां सोने की कीमतों में गिरावट आई। राष्ट्रीय राजधानी में 99.9 और 99.5 प्रतिशत शुद्धता वाले सोने का भाव 15 .. 15 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 30,750 रुपये और 30,600 रुपये प्रति दस ग्राम रह गया।

विगत चार दिनों में इस कीमती धातु की कीमत में 390 रुपये की तेजी देखने को मिली। दूसरी ओर चांदी तैयार 75 रुपये मजबूत होकर 41,065 रुपये प्रति किलोग्राम और साप्ताहिक डिलीवरी भी इतनी ही तेजी के साथ 40,265 रुपये प्रति किलोग्राम हो गयी।

कोटा सर्राफा
चांदी टंच 40400 रुपये प्रति किलोग्राम
सोना केटबरी 30600 रुपये प्रति दस, ग्राम 35700 रुपये प्रति तोला।
सोना शुद्ध 30750 रुपये प्रति दस ग्राम, 35870 रुपये प्रति तोला।

मुनाफा वसूली से गिरकर बंद हुआ बाजार, निफ्टी 10,000 से नीचे

मुंबई। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और नैशनल स्टॉक एक्सचेंज के संवेदी सूचकांक बुधवार को उछाल के साथ खुले लेकिन बाजार इस उछाल को बरकरार नहीं रख पाए। सेसेंक्स 90.42 की गिरावट के साथ 31,833.99 पर बंद हुआ जबकि निफ्टी 32.15 अंकों की गिरावट के साथ 10,000 के स्तर से नीचे चला गया।

निफ्टी 9,984.80 पर बंद हुआ। सेंसेक्स जहां 0.28 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुआ वहीं निफ्टी 0.32 प्रतिशत की गिरावट के साथ बंद हुआ। अर्निंग सीजन से पहले निवेशकों के प्रॉफिट चुनने से यह गिरावट दर्ज की गई।

सुबह बाजार बढ़त के साथ खुले। घरेलू निवेशकों द्वारा खरीदारी पर जोर देने से एक समय सेंसेक्स 32,000 के स्तर को पार कर गया, लेकिन आखिर में गिरावट के साथ बंद हुआ। दिन भर के कारोबार में निफ्टी 10,067.25 से लेकर 9,955.80 के बीच झूलता रहा।

बीएसई में रिएलिटी के शेयरों में जहां 1.99 प्रतिशत की कमी आई वहीं मेटल के शेयरों में भी 1.49 प्रतिशत की कमी रिकॉर्ड की गई। इंडस्ट्रियल और बैंक इंडेक्स में भी गिरावट दर्ज की गई। बैंकों के ओवरऑल शेयरों में 0.95 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।

आईएमएफ ने मंगलवार को 2017 के लिए भारत के विकास दर के अनुमान को घटाकर 6.7 कर दिया था। लेकिन ट्रेडर्स के मुताबिक निवेशक इससे बेअसर हैं।

कालेधन पर गठित विशेष जांच दल आरटीआई कानून के दायरे में : सीआईसी

नई दिल्‍ली। उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद कालेधन पर गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) सूचना के अधिकार कानून (आरटीआई कानून) के तहत जवाबदेह है। केंद्रीय सूचना आयोग ने यह व्यवस्था दी है।

सूचना आयुक्त बिमल जुल्का ने एसआईटी को आरटीआई कानून के दायरे में लाते हुए कहा कि सरकार का हर कदम जनता की बेहतरी और लोकहित में होना चाहिए। उच्चतम न्यायालय के आदेश पर एक सरकारी अधिसूचना के जरिये 2014 में कालेधन पर एसआईटी का गठन किया गया।

इसका मकसद अर्थव्यवस्था में कालेधन का आकलन करना और उसके सृजन पर अंकुश के लिए उपाय सुझाने के लिए किया गया। उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एमबी शाह की अध्यक्षता में कालेधन पर एसआईटी का गठन किया गया। एसआईटी विदेशों में रखे गए कालेधन के मामलों की जांच कर रही है।

इस मामले में वह भारतीय रिजर्व बैंक, खुफिया ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय और केंद्रीय जांच ब्यूरो तथा वित्तीय आसूचना इकाई और शोध एवं विश्लेषण प्रकोष्ठ के अलावा डीआरआई जैसी विभिन्न सरकारी एजेंसियों के साथ समन्वय बिठाते हुए काम रही है।

एसआईटी के आरटीआई कानून में दायरे में आने के संबंध में आरटीआई कार्यकर्ता वेंकटेश नायक ने वित्त मंत्रालय से जानकारी मांगी थी। इसमें उन्होंने सात बिंदुओं पर जानकारी मांगी थी जिसमें एचएसबीसी बैंक की जिनेवा शाखा के पूर्व कर्मचारी हर्वे फाल्सिनी द्वारा एसआईटी चेयरमैन को भेजे गए पत्र और उसकी प्रतिलिपी मांगी थी।

वित्त मंत्रालय और आयकर विभाग ने आरटीआई के तहत मांगी गई कुछ जानकारी देने से यह कहते हुए इनकार किया कि यह किसी के विश्वास का मामला है और इसमें जांच चल रही है। यह भी कहा गया कि इसमें कुछ जानकारी एसआईटी के सदस्य सचिव के पास उपलब्ध होगी। इसके बाद नायक ने सूचना आयोग का रुख किया और आयोग से इस संबंध में एसआईटी को उपयुक्त आदेश देने का आग्रह किया।