नई दिल्ली। नए वैरिएंट के कारण टेस्टिंग में कोरोना के नहीं पकड़े जाने की आशंकाओं को सरकार ने खारिज कर दिया है। सरकार का कहना है कि मौजूदा टेस्टिंग किट कोरोना के सभी वैरिएंट की पहचान कर पाजिटिव रिजल्ट देने में 100 फीसद कारगर है। शुक्रवार तक 13 हजार से अधिक कोरोना वायरस के जिनोम सिक्वेंसिंग के आधार पर यह दावा किया गया है।
पिछले कुछ दिनों से टेस्टिंग में कोरोना वायरस का पता नहीं चलने की बात सामने आ रही थी। कई प्रकार की आशंकाएं जताई जा रही थीं। इनमें से एक आशंका यह भी थी कि पिछले एक साल में कोरोना का वायरस काफी बदल गया गया है और उसके कई वैरिएंट सामने आ गए हैं। जबकि अभी भी एक साल पुराने कोरोना वायरस के आधार पर तैयार की गई टेस्टिंग किट से उसकी जांच की जा रही है।
इस कारण टेस्टिंग किट कोरोना वायरस के नए वैरिएंट को नहीं पकड़ पा रही है। अब सरकार ने इन आशंकाओं को निर्मूल बताया है। सरकार का कहना है कि देश में प्रयोग की जा रहीं टेस्टिंग किट दो जीन को टारगेट कर कोरोना वायरस की मौजूदगी का पता लगाती हैं और इससे वायरस का बच निकलना मुश्किल है।
दरअसल, कोरोना वायरस के ब्रिटेन और दक्षिण अफ्रीका के वैरिएंट सामने आने के बाद देश की चोटी की 10 लेबोरेटरी का एक कंसोर्टियम बनाया गया था, जिनमें सभी पाजिटिव मामलों में से कुछ सैंपल की जिनोम सिक्वेंसिंग की जाती है। 27 दिसंबर को गठित होने के बाद इस कंसोर्टियम की लेबोरेटरी में 13,614 सैंपल की जिनोम सिक्वेंसिंग की गई है। सरकार के अनुसार, इनमें से सिर्फ 1,189 मामले ही कोरोना के विभिन्न वैरिएंट के पाए गए। इनमें से 1109 ब्रिटिश वैरिएंट, 79 दक्षिण अफ्रीकी वैरिएंट और एक ब्राजील वैरिएंट के कोरोना वायरस पाए गए हैं।
लेकिन सरकार ने यह साफ नहीं किया कि डबल वैरिएंट वाले कोरोना वायरस के कितने मामले मिले हैं। जबकि भारत में कोरोना संक्रमण के मौजूदा विस्फोट के लिए इसी डबल वैरिएंट को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। सरकार का कहना है कि डबल वैरिएंट वाले कोरोना वायरस आस्ट्रेलिया, बेल्जियम, जर्मनी, आयरलैंड, नांबिया, न्यूजीलैंड, सिंगापुर, ब्रिटेन और अमेरिका में पाए गए हैं और इसके बहुत ज्यादा संक्रामक होने की सत्यता अभी तक स्थापित नहीं हो पाई है।