पिछले 2 सालों में बैंक फ्रॉड की रकम 1.85 लाख करोड़ रुपए हुई , RBI चिंतित

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मुंबई।मंगलवार को जारी वार्षिक रिपोर्ट में आरबीआई ने बताया कि पिछले 24 महीनों में बैंक फ्रॉड के मामला बढ़ा है। यह आंकड़ा दोगुना से भी अधिक है। करीब 1.8 लाख करोड़ रुपए के बैंक फ्रॉड में 80 फीसदी हिस्सेदारी सरकारी बैंकों की है। जबकि प्राइवेट सेक्टर में यह आकंड़ा 18 फीसदी तक रहा। मोरोटोरियम के कारण बैंकों को हो रहीं दिक्कतों पर रिपोर्ट में चिंता जताई गई है।

1.85 लाख करोड़ रुपए का बैंक फ्रॉड
आरबीआई द्वारा जारी वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक 1 लाख या उससे ज्यादा की रकम का बैंक फ्रॉड पिछले 24 महीने में दोगुना हो गया है। इस समयावधि में मामलों 28 फीसदी की बढ़त देखी गई। बता दें कि ज्यादातर फ्रॉड बैंकों के लोन पोर्टफोलियो में हुए हैं। लोन फ्रॉड की कुल रकम 1.85 लाख करोड़ रुपए में सरकारी बैंक की हिस्सेदारी 80 फीसदी और प्राइवेट बैंकों की हिस्सेदारी 18 फीसदी है। 2 फीसदी के मामले ऑफ-बैलेंस शीट, कार्ड और इंटरनेट बैंकिंग के सेगमेंट से हैं।

वर्ष 2020-21 की जून तिमाही में पिछले साल की जून तिमाही के मुकाबले फ्रॉड के मामलों में कमी आई है। रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल-जून 2020 में बैंक फ्रॉड की रकम 28,843 करोड़ रही, वहीं अप्रैल-जून 2019 में यह आंकड़ा 42,228 करोड़ रुपए का था।

एनपीए में कमी
कोरोना महामारी के कारण बैंकों काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। फ्रॉड के बाद एनपीए ने बैंकों के लिए मुश्किलें बढ़ा दी है। ग्राहकों को मुश्किल हालात से उबारने के लिए आरबीआई द्वारा मोरोटोरियम और वन टाइम सेटलमेंट की व्यवस्था की गई थी। लेकिन इसके चलते अब बैंकों की हालत बिगड़ने लगी है, जिससे आरबीआई बैंको के लिए रिकैपिटलाइजेशन का भी प्लान लेकर आ सकती है।

पहली तिमाही (अप्रैल-जून) के फाइनेंशियल रिजल्ट से पता चलता है कि जून 2019 और मार्च 2020 की तुलना में इनके एनपीए में कमी आई है। यानि ग्राहक बैंकों का बकाया रकम लौटा रहे हैं। लेकिन जुलाई में जारी फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट (एफएसआर) में आरबीआई ने बढ़ते ग्रॉस एनपीए के आंकड़ों पर चिंता जताई थी। इसमें अनुमान लगाया गया था कि इंडस्ट्री का ग्रॉस एनपीए का अनुपात मार्च 2020 में 8.5 प्रतिशत है जो मार्च 2021 में बढ़कर 12.5 प्रतिशत हो जाएगा।

भारतीय बैंक जल्द कर सकते हैं लोन रिस्ट्रक्चरिं
इंडिया रेटिंग का अनुमान है कि भारतीय बैंक जल्द ही 8.4 लाख करोड़ का लोन रिस्ट्रक्चरिंग कर सकते हैं। इसमें बड़ा हिस्सा कॉर्पोरेट लोन का होगा, जो 3.3 लाख करोड़ से 6.3 लाख करोड़ तक का हो सकता है। उधर आरबीआई मार्च से अब तक रेपो रेट की दरों में 115 पॉइंट की कटौती कर चुका है।