कोटा। दाखांबाई और बालचंद सुवालका डाबी वालों ने सोमवार को अपने पौत्र अमन के विवाह समारोह पर 10 निर्धन कन्याओं का सामूहिक विवाह किया। दरअसल, सुवालका परिवार में पांच बेटे हुए लेकिन पांचों भाईयों के बेटी नहीं होने की कसक दांखा बाई को हमेशा रही। ऐसे में पौत्र अमन का विवाह तय हुआ तो साथ में 11 कन्याओं का कन्यादान करने का निश्चय किया। अब दांखाबाई शान से कह रहीं है कि मेरे 15 बेटे और 10 बेटियां हैं।
कलाल समाज का सामूहिक विवाह सम्मेलन बूंदी रोड स्थित होटल पर सम्पन्न हुआ। इस दौरान गणेश स्थापना, तोरण, वरमाला, फेरे, पाणिग्रहण संस्कार समेत अन्य सभी रीति रिवाज परंपरागत तरीके से सम्पन्न किए गए। पुत्र अमन और दीक्षा का मंगल परिणय भी इन कन्याओं के साथ ही सम्न्न हुआ। सम्मेलन स्थल पर हजारों लोग का भेज भी किया गया था।
दूल्हे अमन ने कहा कि घर में दादा दादी और मां पिता के द्वारा सामाजिक कार्यों में सदैव रूचि रहती थी। पूर्व में कलाल समाज के अध्यक्ष रहते हुए भी स्वजातीय कलाल समाज का 78 जोड़ों का सामूहिक विवाह सम्मेलन किया था। तब भी पिता कन्हैया सुवालका ने सर्वजातीय सामूहिक विवाह सम्मेलन में 11 निर्धन कन्याओं के हाथ पीले किए थे।
ससुराल पर गर्व
दुल्हन दीक्षा ने बताया कि विवाह तय होने से पूर्व यह तो पता था कि मेरे होने वाले ससुर समाजसेवी हैं। लेकिन जब यह पता चला कि हमारे विवाह के साथ ही 10 अन्य कन्याओं का विवाह भी मेरे ससुर ही करा रहे हैं तो होने वाले ससुराल पर गर्व महसूस होने लगा। मेरे पीहर पक्ष में भी इस फैसले से सभी खुश हैं और परिजनों के लगातार शुभकामना संदेश आ रहे हैं। यह देखकर अच्छा लग रहा है कि मेरे 10 ननद भी परिवार में जुड़ रही हैं।
सभी जोड़ों को उपहार भी दिए
सभी जोड़ों को आयोजक कन्हैया सुवालका तथा मीना सुवालकां की ओर से कन्यादान के रूप में सोने का मंगलसूत्र, सोने का टीका, सोने की लौग, चांदी की पायल, बिछिया, लहंगा चुन्नी, गैस चूल्हा, पंखा, साडियां, बिस्तर, बर्तन, पलंग, दूल्हे की शेरवानी, सिलाई मशीन, सूटकेस, चांदी के गणेश, दीवार घड़ी, आयरन, डिनर सेट, मिक्सी समेत घर गृहस्थी के सभी सामान उपहार में दिए गए। सम्मेलन में भाग लेने के लिए जयपुर, मांगरोल, बूंदी, झालावाड़, बकानी, टोंक, लाखेरी, इटावा, जैथल, मनोहरथाना, मंडाना, श्रीरामगंजमंडी से जोडे आए थे।