नई दिल्ली। केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के चेयरमैन प्रमोद चंद्र मोदी ने कहा कि ‘विवाद से विश्वास’ स्कीम लंबित प्रत्यक्ष कर विवादों को निपटाने के लिए एक बेहतर अवसर पेश करती है। उन्होंने लोगों से आगे आकर इस योजना का लाभ उठाने का आग्रह किया।
आयकर की नई व्यवस्था के बारे में उन्होंने कहा कि इसका मकसद आयकर प्रणाली को आसान बनाना है। विवाद से विश्वास योजना’ के तहत करदाता को 31 मार्च, 2020 तक बकाए की केवल विवादित कर राशि ही जमा करानी होगी। जुर्माना और ब्याज माफ होगा।
यह योजना 30 जून 2020 तक खुली रहेगी, लेकिन जो लोग 31 मार्च के बाद कर का भुगतान करेंगे उन्हें कर राशि पर 10 फीसदी अतिरिक्त भुगतान करना होगा। वहीं, जो विवाद ब्याज या जुर्माना राशि से ही जुड़े हैं, वहां करदाता को 31 मार्च तक विवादित राशि का 25 फीसदी और उसके बाद 30 जून तक 30 फीसदी ही भुगतान करना होगा।
आयकर प्रणाली को आसान बनाना है मकसद
एक परिचर्चा में प्रमोद चंद्र मोदी ने कहा, ”मेरा मानना है कि यह एक उचित पेशकश है। मैं लोगों से आग्रह करता हूं कि वह लंबित मामलों के बारे में फिर से विचार करें और आगे आकर इस योजना का लाभ उठाएं।” आयकर की नई व्यवस्था के बारे में उन्होंने कहा कि इसका मकसद आयकर प्रणाली को आसान बनाना है।
स्टार्टअप कंपनियों आखिरी बाधा भी समाप्त कर दी
प्रमोद चंद्र मोदी ने कहा कि स्टार्टअप कंपनियों से जुड़े विभिन्न मुद्दों का समाधान पिछले बजट में ही कर दिया गया था। इस बार के बजट में कर्मचारी शेयर विकल्प योजना (इसॉप्स) से जुड़े मुद्दे का भी समाधान कर दिया गया है। सीबीडीटी, आयकर विभाग के लिए नीतियां बनाने वाली शीर्ष निकाय है और यह वित्त मंत्रालय के तहत काम करता है।
मोदी ने कहा, ‘तो अब स्टार्टअप के लिए आखिरी बाधा माने जाने वाले मुद्दे का भी समाधान कर दिया गया है। यह स्टार्टअप के लिए अब सबसे अच्छा माहौल है।’ इसके तहत कर भुगतान को पांच साल या जब तक वे कंपनी नहीं छोड़ देते या उसे बेच नहीं देते, जो भी पहले होगा, तक के लिए टाला जाएगा।’
आमतौर पर स्टार्टअप कंपनियां अपने पैरों पर खड़े होने के दौर में योग्य लोगों को कर्मचारी के तौर पर रखने के लिए इसॉप का इस्तेमाल करती हैं। यह उनके वेतन का एक अहम हिस्सा होता है। वर्तमान में जब कर्मचारी इसॉप से मिली हिस्सेदारी को भुनाते हैं तो उन्हें इस पर कर देना होता है।