नई दिल्ली। मनी लॉन्ड्रिंग और काले धन पर लगाम कसने के लिए सरकार जल्द ही सोने-चांदी की बड़ी खरीदारी के लिए पैन के बजाए आधार नंबर को अनिवार्य बना सकती है। इस संबंध में वित्त मंत्रालय में प्रस्ताव तैयार हो रहा है। वित्त मंत्रालय कई विकल्पों पर विचार कर रहा है जिसमें आधार या अन्य आईडी प्रूफ भी शामिल हो सकता है। बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के अनुसार पैन नंबर के स्थान पर आधार नंबर को प्राथमिकता दी जा रही है।
ओटीपी वेरिफिकेशन होगा जरूरी
नवंबर 2019 में नोटबंदी और जुलाई 2017 में जीएसटी लागू होने के बाद सरकार सभी वाणिज्यिक गतिविधियों पर कड़ी नजर रखी जा रही है। इसके बावजूद वाणिज्यिक गतिविधियों के संबंध में लागू नियमों की समीक्षा की जरूरत महसूस की जा रही है। पिछले कुछ महीनों में कई ज्वैलरी सोदों में पैन नंबर के गलत इस्तेमाल के बाद ऐसे सोदों के लिए आधार नंबर को ओटीपी वेरिफिकेशन के साथ अनिवार्य बनाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है।
1 फरवरी को पेश किए जाने वाले बजट में इसकी घोषणा हो सकती है। जुलाई 2019 में पेश किए गए बजट में सोना-चांदी पर आयात शुल्क को 10 फीसदी से बढ़ाकर 12.5 फीसदी किया गया है। इसका ज्वैलर्स ने विरोध किया था जिसका परिणाम यह निकला कि सोना-चांदी की तस्करी बढ़ गई है।
अभी दो लाख रुपए से ज्यादा की खरीद पर पैन जरूरी
ब्लैक मनी और मनी लॉन्ड्रिंग पर लगाम लगाने के लिए सरकार अगस्त 2017 में 50 हजार रुपए से ज्यादा की ज्वैलरी सौदों को पीएमएलए एक्ट के तहत लाई थी। लेकिन तकनीकी कारणों से इसको खत्म कर दिया था। मौजूदा समय में दो लाख रुपए से ज्यादा की सोना-चांदी की ज्वैलरी खरीदने के लिए पैन नंबर देना अनिवार्य है। हालांकि, ज्वैलर लंबे समय से इस सीमा का विरोध कर रहे हैं। ज्वैलर्स को कहना है कि इस सीमा को बढ़ाकर पांच लाख किया जाए।
नए नियम से आम लोगों को होगी समस्या
दिल्ली सर्राफा बाजार एसोसिएशन के प्रधान विमल गोयल ने कहा है कि नए नियम से आम लोगों को समस्याओं का सामना करना होगा। गोयल का कहना है कि भारत एक परंपराओं वाला देश है और यहां बेटी की शादी पर सामान्य तौर पर 2 लाख रुपए तक की ज्वैलरी दी जाती है। यदि यह नियम बनता है तो आम लोगों को इसके लिए आधार नंबर देना होगा। हालांकि, गोयल का कहना है कि सरकार नॉन ज्लैलरी कारोबार के लिए इस नियम को लागू कर सकती है।