नई दिल्ली। रिजर्व बैंक की जांच में देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के बीते वित्त वर्ष के फंसे कर्ज (एनपीए) में करीब 12,000 करोड़ रुपये का अंतर पाया गया है। इसी प्रकार पंजाब नैशनल बैंक (पीएनबी) के बीते वित्त वर्ष के फंसे कर्ज (गैर निष्पादित परिसंपत्ति) 2,617 करोड़ रुपये ज्यादा पाई गई है। आरबीआई की जोखिम आकलन रिपोर्ट में यह जानकारी दी है।
एसबीआई ने शेयर बाजारों को भेजी सूचना में कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा किए गए आकलन के अनुसार, बीते वित्त वर्ष में एसबीआई का सकल एनपीए 1,84,682 करोड़ रुपये था। यह बैंक द्वारा दिखाए गए 1,72,750 करोड़ रुपये के सकल एनपीए से 11,932 करोड़ रुपये अधिक है।
इसी तरह बैंक का शुद्ध एनपीए 77,827 करोड़ रुपये था, वहीं एसबीआई ने 65,895 करोड़ रुपये का शुद्ध एनपीए दिखाया था। इस तरह शुद्ध एनपीए में भी 11,932 करोड़ रुपये का अंतर था। इस वजह से बैंक को अपने बही-खाते में 12,036 करोड़ रुपये का अतिरिक्त प्रावधान करना पड़ता, जिससे अनुमानित घाटा 6,968 करोड़ रुपये रहता।
पंजाब नैशनल बैंक ने शेयर बाजार को बताया कि केंद्रीय बैंक की ओर से किए आकलन के अनुसार 2018-19 में पीएनबी का सकल एनपीए 81,089.70 करोड़ रुपये था। यह बैंक द्वारा दिखाए गए 78,472.70 करोड़ रुपये के सकल एनपीए से 2,617 करोड़ रुपये अधिक है।
इतना ही नहीं, आरबीआई ने शुद्ध एनपीए में भी 2,617 करोड़ रुपये का अंतर पाया है। वहीं, फंसे कर्ज के लिए प्रावधान में 2,091 करोड़ रुपये का अंतर निकला है। बैंक ने कहा कि आरबीआई के आकलन के आधार पर उसे 2018-19 में 11,335.90 का शुद्ध घाटा हुआ होता जबकि बैंक ने 9,975.49 करोड़ रुपये का शुद्ध घाटा दिखाया था।
पीएनबी ने कहा उसने पिछले वित्त वर्ष में 78,472.70 करोड़ रुपये का सकल एनपीए दिखाया जबकि आरबीआई के आकलन के मुताबिक यह आंकड़ा 81,089.70 करोड़ रुपये था। इसी प्रकार, पीएनबी ने बीते वित्त वर्ष में शुद्ध एनपीए 30,037.66 करोड़ रुपये बताया।
आरबीआई के मूल्यांकन के हिसाब से शुद्ध एनपीए 32,654.66 करोड़ रुपये था। बैंक ने 2018-19 में फंसे कर्ज के लिए 48151.15 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था लेकिन इसके लिए 50,242.15 करोड़ रुपये का प्रावधान किए जाने की जरूरत थी।