नई दिल्ली।जानबूझकर टैक्स चुकाने से बचने और टैक्स रिटर्न ना भरने पर ज्यादातर मामलों में क्रिमिनल ऐक्शन नहीं लिया जाएगा। सीबीडीटी ने कहा है कि 25 लाख रुपये तक टीडीएस यानी स्रोत पर कर कटौती को सरकारी खजाने में जमा कराने में अगर 60 दिन तक की देरी होगी तो आपराधिक कार्रवाई नहीं की जाएगी।
टैक्स से जुड़े मुकदमों की संख्या घटाने के मकसद से हाल में ऐसे फैसले लिए गए हैं। आदतन डिफॉल्टर्स पर केस चलाने के लिए दो चीफ कमिश्नरों या इनकम टैक्स के डीजी की मंजूरी जरूरी होगी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले महीने ट्वीट किया था, ‘मैंने रेवेन्यू सेक्रटरी को निर्देश दिया है कि वे यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाएं कि ईमानदार टैक्सपेयर्स को परेशान न किया जाए और जिन्होंने मामूली या प्रक्रियात्मक उल्लंघन किया है उन पर गंभीर ऐक्शन न लिया जाए।’
3 महीने से सात साल की सजा का प्रावधान
इससे पहले एक मामले में मई में बॉलिवुड प्रड्यूसर फिरोज नाडियावाला सुर्खियों में थे। दरअसल 8.56 लाख रुपये टीडीएस देने में देरी की वजह से मुंबई मैजिस्ट्रेटकोर्ट ने उन्हें 3 महीने के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी।
ऐसा इसलिए क्योंकि टीडीएस की सही धनराशि अगर सही समय पर समय पर जमा नहीं कराई जाती तो सेक्शन 276बी के तहत 3 महीने से लेकर 7 साल की सजा का प्रावधान है। देश में ऐसी अधिकतर सजा मैजिस्ट्रेट कोर्ट द्वारा दी जाती है।
कम्पाउंडिंग ऐप्लिकेशन फाइलिंग में 12 महीने की राहत
सीबीडीटी ने आईटी रिटर्न में इनकम छुपाने से जुड़े अपराध पर भी अभियोजन मानदंडों में छूट दी है। अगर 25 लाख या उससे कम इनकम की राशि को छिपाया गया है तो तब तक ऐसे मामलों को नहीं उठाया जाएगा जब तक कॉलेजियम की मंजूरी नहीं मिल जाती। आईटी ऐक्ट ने आईटी रिटर्न फाइल न करने पर मुकदमा चलाने के लिए 10 हजार रुपये की सीमा निर्धारित की थी। साथ ही नॉन फाइलिंग पर सश्रम 7 साल जेल की सजा हो सकती है।
सोमवार को जारी एक दूसरे नोटिफिकेशन में सीबीडीटी ने कम्पाउंडिंग ऐप्लिकेशन फाइल करने के लिए 12 महीने की राहत दी है। यह एक बार का उपाय है और कम्पाउंजिंग अथॉरिटी के साथ दिसंबर के आखिर से पहले इसे फाइल करना जरूरी है।