यादें छोड़, पंचतत्व में विलीन हुईं सुषमा स्वराज

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नई दिल्ली। प्रखर वक्ता और हर दिल अजीज नेता रहीं सुषमा स्वराज बुधवार को पंचतत्व में विलीन हो गईं। नम आंखों के साथ हजारों लोगों ने अपनी प्रिय नेता को आखिरी विदाई दी। दिल्ली स्थित लोधी रोड शवदाह केंद्र पर तमाम हस्तियों की मौजूदगी में उनका राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। अंतिम संस्कार की रस्मों को उनकी बेटी बांसुरी स्वराज ने पूरा किया।

सुषमा को आखिरी विदाई देने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री राजनाथ सिंह, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला, लाल कृष्ण आडवाणी, मोदी कैबिनेट के तमाम अन्य सदस्यों समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री और जानी-मानी हस्तियां मौजूद थीं।

पूर्व विदेश मंत्री और दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री सुषमा स्वराज का दिल का दौरा पड़ने से 67 साल की उम्र में मंगलवार रात निधन हो गया था। दिल्ली सरकार ने उनके निधन पर 2 दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है। निधन से कुछ घंटे पहले ही उन्होंने ट्वीट कर जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई दी थी और कहा था कि वह अपने जीवन में इस दिन को देखने का इंतजार कर रही थीं।

सुषमा स्वराज अपने ओजस्वी भाषणों से गजब का समां बांध दिया करती थीं और अपने अकाट्य तर्कों से विरोधियों को निरूत्तर कर देती थीं। यूपीए-2 सरकार के दौरान वह लोकसभा में विपक्ष की नेता थीं। उस दौरान उन्होंने संसद में कई यादगार भाषण दिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल में उन्होंने विदेश मंत्री की जिम्मेदारी संभाली।

यहां भी उन्होंने अपनी छाप छोड़ी और दुनिया में कहीं भी फंसे हुए भारतीयों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहने वाली ‘आम लोगों की मंत्री’ की छवि हासिल की। वह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के तीनों कार्यकाल में उनके कैबिनेट में रहीं। वह दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री थीं। 1977 में वह 25 साल की उम्र में हरियाणा सरकार में कैबिनेट मंत्री रही थीं और उनके नाम सबसे कम उम्र में कैबिनेट मंत्री बनने का रेकॉर्ड है।