नई दिल्ली। यदि आप अपने लिए घर या फ्लैट की बुकिंग कराई है और लंबे इंतजार के बाद भी पजेशन नहीं मिल पाई है तो आपके लिए अच्छी खबर है। राष्ट्रीय विवाद निवारण आयोग ने एक ऐतिहासिक फैसला दिया है। आयोग ने कहा है कि यदि खरीदार को एक साल में घर या फ्लैट की पजेशन नहीं मिल पाती है तो वह रिफंड लेने का हकदार है।
दिल्ली निवासी शलभ निगम ने 2012 में गुरुग्राम के अल्ट्रा लग्जरी हाउसिंग प्रोजेक्ट ग्रीनपोलिस में एक करोड़ रुपए में फ्लैट बुक कराया था। इसके लिए शलभ प्रोजेक्ट की निर्माता कंपनी ओरिस इंफ्रास्ट्रक्चर को 90 लाख का भुगतान कर चुके थे।
कंपनी ने बुकिंग के समय 36 महीने में पजेशन देने का समझौता किया था। लेकिन समय बीतने के बाद भी फ्लैट का निर्माण पूरा न होने पर पजेशन नहीं मिल पाया। इस पर निगम ने राष्ट्रीय विवाद निवारण आयोग में याचिका दायर की।
आयोग ने दिया यह फैसला
मामले की सुनवाई के दौरान आयोग ने फैसला दिया कि यदि बिल्डर की ओर से घर या फ्लैट की पजेशन देने की तारीख के एक साल बाद भी घर नहीं मिलता है तो खरीदार रिफंड का दावा कर सकता है। जस्टिस प्रेम नारायण की एकल पीठ ने कहा कि एक साल से ज्यादा की देरी वास्तव में परेशानी का सबब बन जाती है ऐसे में खरीदार को रिफंड का अधिकार है।
इस दौरान बिल्डर ने बायर्स के किस्त भरने के दौरान रिफंड मांगने पर 10 प्रतिशत राशि बयाना के रूप में छोड़ने की बात कही। इस पर आयोग ने कहा कि खरीदारों ने सातवें चरण तक की किस्त दी है, लेकिन निर्माण कार्य रूक गया है। ऐसे में कोई राशि नहीं छोड़ी जाएगी।
यह है प्रॉसेस
पजेशन में देरी पर देना होगा मुआवजा
आयोग ने कहा कि यदि खरीदार घर लेना चाहता है तो उसे सितंबर 2019 तक पजेशन दे दी जाए। यदि पजेशन में देरी होती है तो बिल्डर को 6 प्रतिशत वार्षिक की दर से मुआवजा देना होगा। यदि पजेशन में देरी पर खरीदार रिफंड लेना चाहता है तो बिल्डर को 10 प्रतिशत ब्याज के साथ धनराशि देनी होगी।
आपको बता दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट समेत कई न्यायिक संस्थाए पजेशन में देरी पर रिफंड का दावा करने की बात कह चुकी हैं लेकिन इसकी अवधि को लेकर विवाद बना हुआ था। अब आयोग ने अवधि तय करके घर खरीदारों को बड़ी राहत दी है।