मुंबई। मुंबई के बाजारों में खुलेआम कर्नाटक से हापुस प्रजाति के आए आमों को कोंकण हापुस आम के नाम पर बेचा जा रहा है। यह बिक्री नवी मुंबई और ठाणे सहित समूचे मुंबई महानगर क्षेत्र के उपनगरों के फुटकर बाजारों, गलियों, मुहल्लों में की जा रही है।
सड़कों, गलियों, बाजारों, शॉपिंग मॉल, चौराहों व सिग्नल के आस-पास, रेलवे व बस अड्डों जैसे भीड़भाड़ वाले इलाकों में खुदरा विक्रेता आसानी से देखे जा सकते हैं। ये विक्रेता समूहों में रहते हैं और सुबह से शाम तक विभिन्न उपनगरों में घूम-घूम कर आम बेचते हैं। पैदल घुमंतू विक्रेता वाशी थोक बाजार से कर्नाटक वाले आम प्रति किलो में खरीदते हैं। इसके बाद रंगीन पुट्ठों की छोटी-छोटी पेटियों में भर कर दर्जन के हिसाब से बेच देते हैं।
जीआई टैग के बाद भी ठगी
2018 में कोंकण में उत्पादित हापुस (अल्फांसो) को ‘जीआई टैग’ की पहचान मिलने से अब सिर्फ इन्हें ही ‘हापुस’ नाम से खरीदा-बेचा जा सकता है। जीआई टैग से कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के अन्य जिलों तथा इस साल से दक्षिण अफ्रीका में उत्पादित इसी प्रजाति के आमों को ‘हापुस’ नाम नहीं दिया जा रहा है। दुकानदार खुदरा विक्रेता तो इसका पालन कर रहे हैं, पर फेरीवाले नहीं।
ऐसे पहचानें असली हापुस
फल बिक्री करने वाले विजय गुप्ता ने असली हापुस की पहचान बताई है, जो इस प्रकार है।
पहचान | असली हापुस | नकली हापुस |
छिलका | पतला | मोटा |
स्वाद | सुगंधित मीठा | मीठा या खटास वाला |
आकार | लगभग गोल व बड़ा | लंबा व औसत छोटा |
बाहरी रंग | चमकदार सुनहरा | हल्के हरे रंग वाला |
भीतरी रंग | केसरिया पीला | हल्का पीला |
मौजूदा दाम (प्रति दर्जन)
किस्म | थोक दाम | खुदरा दाम |
कोंकण हापुस | 500 से 800 रुपये | 800 से 1500 रुपये |
नकली ‘हापुस’ | 200 से 350 रुपये | 300 से 500 रुपये |