मुंबई। जेट एयरवेज जहां कैश की कमी से जूझ रही है और किराया नहीं देने के कारण पट्टे पर लिए गए उसके प्लेन जमीन पर खड़े हैं। वहीं माना जा रहा है कि अमेरिका के डेलावेयर की कंपनी फ्यूचर ट्रेंड कैपिटल संभवतः जेट एयरवेज में निवेश के लिए नरेश गोयल की जेटएयर ग्रुप की मदद कर रही है। जेटएयर ग्रुप, जेट एयरवेज की जनरल सेल्स एजेंसी है, जिससे इस कंपनी का जन्म हुआ था।
फ्यूचर-जेटएयर की बोली पिछले शुक्रवार को शाम 6.08 बजे मिली थी, जबकि इसकी डेडलाइन शाम 6 बजे की थी। जेट एयरवेज को कर्ज देने वाले बैंक जब कंपनी के लिए निवेशक चुनेंगे तो वे इस बात पर भी गौर कर सकते हैं। फ्यूचर ट्रेंड के साथ गोयल के कनेक्शन और बोली लगाने में देरी के बारे में पूछे गए सवालों का जेटएयर के प्रवक्ता ने जवाब नहीं दिया।
फ्यूचर ट्रेंड के बारे में अधिक जानकारी नहीं है, लेकिन माना जा रहा है कि जेट एयरवेज में हिस्सेदारी लेने के लिए उसे फंड की कमी नहीं होगी। कंपनी के लिए बोली लगाने की शर्तों के मुताबिक, निवेशक की नेटवर्थ 1,000 करोड़ रुपये होनी चाहिए और उसके पास जेट में लगाने के लिए और हजार करोड़ रुपये हों। सूत्रों ने बताया कि लंदन की कंपनी Adi पार्टनर्स भी जेटएयर और फ्यूचर ट्रेंड के ग्रुप के साथ जुड़ी हुई है।
एक बैंकर ने बताया कि जेट को बचाने का एक रास्ता यह हो सकता है कि इससे कई निवेशक जोड़े जाएं, जिनका आपस में कोई रिश्ता न हो। उन्होंने बताया, ‘एतिहाद एयरवेज, नैशनल इंफ्रास्ट्रक्चर ऐंड इनवेस्टमेंट फंड (एनआईआईएफ) और टीपीजी कैपिटल या इंडिगो पार्टनर्स जैसे प्राइवेट इक्विटी फंड अगर निवेश करें और कंपनी के बढ़े हुए इक्विटी पूल में तीनों में से हरेक 24 पर्सेंट या उससे कम स्टेक लें तो ओपन ऑफर नहीं लाना पड़ेगा।
एतिहाद जेट एयरवेज में अपनी हिस्सेदारी 24 पर्सेंट से अधिक नहीं बढ़ाना चाहती।’ एतिहाद संयुक्त अरब अमीरात की दूसरी सबसे बड़ी एयरलाइन है और उसके पास जेट एयरवेज के 24 पर्सेंट शेयर हैं। कंपनी के पास सिर्फ 6 प्लेन बचे हैं। जेट के पूर्व वाइस प्रेजिडेंट और इंडिपेंडेंट एविएशन मैनेजमेंट प्रफेशनल मनीष रनिगा ने बताया, ‘बैंक अगर अंतरिम फंडिंग दें तो जेट एयरवेज को बचाया जा सकता है।
अगर जेट को नहीं बचाया जाता है तो इससे देश में हवाई सेवा पर बुरा असर पड़ेगा। अगर कंपनी की स्थिति खराब होती रही तो निवेशकों की दिलचस्पी भी घट सकती है।’एक अन्य बैंकर ने कहा, ‘गोयल और उनके सहयोगियों को जेट एयरवेज की बोली लगाने से नहीं रोका जा सकता। फॉरेंसिक रिपोर्ट में उनके खिलाफ कुछ नहीं निकला था।
साथ ही, जेट का लोन रिजॉल्यूशन दिवाला कानून के तहत नहीं हो रहा है, जिसमें मौजूदा प्रमोटरों के कंपनी के लिए बोली लगाने पर पाबंदी है। हालांकि, बोर्ड और कंपनी के मैनेजमेंट से उन्हें दबाव डालकर निकाला गया था। ऐसे में उनकी बोली स्वीकार करनी है या नहीं, यह फैसला कंपनी को कर्ज देने वाले बैंकों को करना है।’
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