महापड़ाव के पहले झुकी सरकार, 3200 रुपये क्विंटल के भाव से लहसुन खरीदेगी 

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    5 हजार रुपये  क्विंटल के भाव से खरीद हो, अन्यथा 15 से महापड़ाव डालेंगे ,किसान संघ की चेतावनी

    कोटा। भारतीय किसान संघ के महापड़ाव की घोषणा होते ही सोमवार को सरकार किसानों से बाजार हस्तक्षेप नीति के तहत लहसुन खरीदने को तैयार हो गई है। राजफैड संभाग में पांच केंद्रों कोटा, खानपुर, छीपाबड़ौद, केशवरायपाटन प्रतापगढ़ में 3200 रुपए क्विंटल के हिसाब से 10 हजार मीट्रिक टन लहसुन खरीदेगा।

    सहकारिता मंत्री अजय सिंह किलक ने बताया कि प्रदेश के किसानों से लहसुन खरीद की इजाजत भारत सरकार से भी मिल गई है। यह लहसुन खरीद एमआईएस के तहत की जाएगी। मंत्री ने कहा राजफैड यह खरीद प्रदेश के पांच केंद्रों कोटा, खानपुर, छीपाबड़ौद, केशवरायपाटन प्रतापगढ़ में करेगा।

    किलक ने बताया कि राजफैड किसानों से यह खरीद 3200 रुपए प्रति क्विंटल पर करेगा। किसानों से 10 हजार मीट्रिक टन लहसुन खरीदा जाएगा। मंत्री ने बताया कि किसानों की लहसुन की उपज खराब नहीं हो, किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य मिले यह सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि जल्द ही खरीद प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।

    सरकार की लहसुन खरीद की घोषणा के बावजूद किसान संतुष्ट नहीं हैं। भारतीय किसान संघ के प्रदेश सहमंत्री जगदीश शर्मा ने कहा कि सरकार कम से कम 5 हजार रुपए क्विंटल में लहसुन खरीदे। संघ 15 जून से संभाग मुख्यालय पर महापड़ाव देगा। प्रांत मंत्री शंकरलाल नागर ने कहा कि धरने में संभाग के गांव-गांव से किसान शामिल होंगे। चित्तौड़ प्रांत के अध्यक्ष मोहनलाल नागर ने कहा कि प्रधानमंत्री उपज का 50% बोनस दें।

    क्या है बाजार हस्तक्षेप नीति
    किसी भी कृषि उत्पाद की बाजार रेट से नुकसान हो रहा हो तो उसके उचित मूल्य दिलवाने के लिए सरकार बाजार में हस्तक्षेप कर सकती है। बाजार रेट से ऊंचे दाम में वह  उत्पाद को खरीद सकती है। केंद्र सरकार के पास मूल्य स्थिरीकरण योजना में 1500 करोड़ रुपए का बजट पड़ा हुआ है। अधिकांश राज्य इस योजना को काम में नहीं लेते। केंद्र सरकार राज्यों को इसके लिए बजट देती है। हालांकि 50 फीसदी पैसा राज्यों को लगाना पड़ता है।