Epileptic seizure: मिर्गी को लेकर लोगों की भ्रांतियां और अंधविश्ववास को किया दूर

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कोटा। राष्ट्रीय मिर्गी दिवस पर रविवार को आयोजित जनजागृति अभियान के अवसर पर लोगों की भ्रांतियों और अंधविश्वास को दूर किया गया। इस अवसर पर मिर्गी को लेकर आमजन में जागरूकता फैलाने के विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन भी गया।

मिर्गी एक बहुत ही आम बीमारी है जिसके दुनियाभर में लगभग 7 करोड़ मरीज हैं। लेकिन जानकारी के अभाव में इसका सही से इलाज नहीं हो पाता और बीमारी बढ़ती जाती है, जिससे पीड़ित एक प्रभावी जीवन नहीं जी पाता।

कार्यशाला में मनोचिकित्सक एवं काउंसलर डॉ. नीना विजयवर्गीय द्वारा मिर्गी और इसके लक्षण, संभावित कारण, रोकथाम, बचाव के उपाय, इससे जुड़ी भ्रांतियों आदि के बारे में विस्तारपूर्वक बताया गया।

डॉ. नीना ने बताया कि मिर्गी एक ऐसी बीमारी है, जिसमें दिमाग की तंत्रिका कोशिकाओं की गतिविधि में गड़बड़ी हो जाती है। इसकी वजह से मिर्गी के दौरे पड़ते हैं। दौरे के दौरान पीड़ित का शरीर अकड़ जाता है। झटके आते हैं, कभी-कभी मुंह से झाग आ जाते हैं या बेहोशी भी आ सकती है। इसके कारणों में दिमाग में कोई चोट, इंफेक्शन, पारिवारिक इतिहास, नशे का सेवन आदि हो सकते हैं।

भारत में लगभग एक करोड़ लोग मिर्गी से पीड़ित हैं। भारत में प्रत्येक 1000 में से 6-10 लोगों को मिर्गी के दौरे आते हैं। इसके उपचार में दवाइयां, सर्जरी या दिमाग में दौरे को नियंत्रित करने के लिए उपकरण लगाना शामिल हैं। यह अनुमान लगाया गया है कि यदि उचित निदान और उपचार किया जाए तो मिर्गी से पीड़ित 70 प्रतिशत लोग दौरे से मुक्त रह सकते हैं।

इस कार्यशाला के दौरान काउंसलर व विषय विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम द्वारा जानकारी प्रदान की गई कि कैसे मिर्गी के दौरों को प्रभावी तरीके से संभाला जाए और किस तरह से पीड़ित का ध्यान रखने वाले परिजन उपचार में अपनी भूमिका निभा सकते हैं।

इस कार्यशाला का लाभ हॉस्पिटल में उपस्थित मरीज, उनके परिजन, आमजन और हॉस्पिटल स्टॉफ ने उठाया। यह भी जानकारी दी गई की मिर्गी का दौरा आने पर मरीज को अनावश्यक टोने टौटके, चाबी या जूता सुंघाने जैसे उपाय नहीं करने चाहियें। उसे तुरंत ही चिकित्सक को दिखा कर सही उपचार कराएं ।