कोटा। कोटा रेलवे स्टेशन समेत पश्चिम मध्य रेलवे के 17 स्टेशन लीज पर देने की तैयारी हो चुकी है। दिल्ली-मुंबई रेलमार्ग पर स्थित कोटा स्टेशन 300 करोड़ में लीज पर जा सकता है। कोटा मंडल के सवाईमाधोपुर और भरतपुर स्टेशन भी लीज पर दिए जाएंगे। रेलवे बोर्ड ने देश के 400 रेलवे स्टेशनों को लीज पर देने का फैसला किया है। इसके तहत प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।
पहले चरण में देश के 23 रेलवे स्टेशनों को लीज पर दिया जाएगा। इसमें राजस्थान का उदयपुर सिटी रेलवे स्टेशन भी शामिल है। पश्चिम मध्य रेलवे के 17 रेलवे स्टेशन को इस योजना में शामिल किया गया है। इसमें प्लस श्रेणी के रेलवे स्टेशन शामिल किए गए हैं। निजी फर्म को रेलवे स्टेशन का बाहरी क्षेत्र लीज पर दिया जाएगा।
फर्म को ही रेलवे स्टेशन को रिडवलप करने के लिए पैसा खर्च करना होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि कोटा रेलवे स्टेशन 300 करोड़ में बिक सकता है। रोजाना कोटा से 102 ट्रेनें चलती गुजरती हैं। सीपीआरओ सुरेंद्र यादव ने बताया कि पश्चिम मध्य रेलवे के हबीबगंज सहित 17 स्टेशनों को लीज पर देना है।
सुविधाओं के बदले लेंगे शुल्क
एग्जीक्यूटिवलाउंज सहित अन्य बेहतर सुविधाएं उपलब्ध करवाने के बदले लीज होल्डर यात्रियों से पैसा भी वसूलेगा। अभी तक लोकमान्य तिलक, ठाणे, पूना, विशाखापट्टनम, हावड़ा, इलाहाबाद, कानपुर सेन्ट्रल, अजमेर मंडल का उदयपुरसिटी, कामाख्या, जम्मूतवी, फरीदाबाद, विजयवाड़ा, सिकंदराबाद, रांची, बंगलौर कैंट, यशवंतपुर, चेन्नई सेन्ट्रल, कालीकट, भोपाल, इंदौर, मुंबई सेन्ट्रल, बांद्रा टर्मिनस और बोरिवली स्टेशन के लिए टेंडर मांगे गए हैं।
ये सुविधाएं होंगी
- वीआईपीलाउंज बनवाया जाएगा
- स्टेशन के पास बजट होटल की सुविधा
- लगेज कोच तक ले जाने के लिए ट्रॉली
- मनोरंजन के लिए टीवी सहित अन्य संसाधन
- अलग-अलग वाहनों के लिए अलग-अलग पार्किंग की व्यवस्था
- नाश्ता खानपान की सुविधा के लिए फूड प्लाजा
किस स्टेशन पर कितना होगा इन्वेस्ट
लोकमान्य तिलक 250 करोड़, ठाणे 200 करोड़, पुणे 200 करोड़, विशाखापट्टनम 200 करोड़, हावड़ा 400 करोड़, इलाहाबाद 150 करोड़, कानपुर सेन्ट्रल 200 करोड़, उदयपुरसिटी 100 करोड़, कामाख्या 228 करोड़, जम्मूतवी 75 करोड़, फरीदाबाद 70 करोड़, विजयवाड़ा 94 करोड़, सिकंदराबाद 282 करोड़, रांची 100 करोड़, बंगलौर कैंट 80 करोड़, यशवंतपुर 100 करोड़, चेन्नई सेन्ट्रल 350 करोड़, कालीकट 75 करोड़, भोपाल 75 करोड़, इंदौर 75 करोड़, मुंबई सेन्ट्रल 250 करोड़, बांद्रा 200 करोड़, बोरिवली के लिए 280 करोड़ रुपए इन्वेस्टर को खर्च करने होंगे।
ये निजीकरण की शुरुआत, इससे इंडियन रेलवे को घाटा ही होगा
ये इंडियन रेलवे के निजीकरण की शुरुआत है। पीपीपी का मतलब पब्लिक प्राइवेट पार्टनशिप है, लेकिन इस फैसले से पब्लिक गायब है। साइकिल स्टैंड, स्टॉल्स, रिफ्रेशमेंट रूम, ट्रॉली और कुलियों की लाइसेंस फीस से रेलवे को राजस्व मिलता है। लीज पर दिए जाने पर इनको शामिल नहीं किया जाना चाहिए। रेलवे जमीन उपलब्ध करवाता और फर्म अपने स्तर पर सुविधाएं विकसित कर यात्रियों को उपलब्ध करवाती। स्टेशनों को 45 साल के लिए लीज पर दिया जा रहा है। इतने लंबे समय में बहुत बदलाव जाएगा। रेट आज के हिसाब से तय होगी। इससे भी रेलवे को घाटा होगा।
-मुकेश गालव, सहायक महामंत्री, एआईआरएफ
कोटा जंक्शन की फेक्ट फाइल
- कोटा जंक्शन का कुल क्षेत्रफल 880 किमी।
- राजस्थान, एमपी, यूपी, महाराष्ट्र, गुजरात, गोवा और दिल्ली को जोड़ता है
- 102 ट्रेनें रोजाना कोटा जंक्शन से गुजरती हैं, जिनमें सवार होते हैं 21 हजार यात्री