कोटा। रासेश्वरी देवी ने कहा कि केवल मनुष्य के शरीर में ही ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है, अन्य जितनी भी योनियां है वह केवल भोग योनि है। अतः इस शरीर से हमें अविनाशी तत्व भगवान का ज्ञान पाना चाहिए । यह कितने दुख की बात है कि अज्ञानता के कारण हम संसार में आसक्त रहते हैं और जानते हुए भी अपनी मृत्यु को देख नहीं पाते। गीता भवन में रासेश्वरी देवी ने आज प्रवचन के दूसरे दिन यह बात कही।
उन्होंने कहा कि मृत्यु को देख नहीं पाने के कारण शास्त्रों के ज्ञान को सुनने की भी इच्छा नहीं होती । जब तक शास्त्रों के द्वारा आत्मा के ज्ञान को धारण नहीं करेंगे, तब तक दुखी रहेंगे। जिस ज्ञान से आप भगवान को देख सकते हैं, उनको पा सकते हैं। उसी ज्ञान को पाने से ही हमारे दुख के निवृति होगी । यह आत्मा का ज्ञान और भगवान का ज्ञान केवल मनुष्य शरीर में ही संभव है ।
इसी क्रम में उन्होंने कहा कि कुछ लोगों का तो यहां तक मानना है कि जब तक जियो खूब मौज मस्ती करो। वे कहते हैं कि जब तक जियो सुख से जियो, कर्जा करके घी पीयो। पर चाहे भगवान को कोई माने, ना माने, लेकिन मृत्यु सबकी होती है । सब जानते हैं कि यह शरीर यहीं रह जाता है और आत्मा जो सूक्ष्म होती है, वह हमारे साथ से चली जाती है। आत्मा नष्ट नहीं होती । शरीर बदलता है, आत्मा वही रहती है।
उन्होंने कहा कि इस नाशवान मानव शरीर से अविनाशी को पा लेने पर ही हमारा यह दुख जाएगा और सुख मिलेगा । सुख पाना ही जीव का चरम लक्ष्य है। हम ऐसा सुख चाहते हैं| उन्होंने कहा कि इस नाशवान मानव शरीर से अविनाशी को पा लेने पर ही हमारा यह दुख जाएगा और सुख मिलेगा । भगवान के बिना सुख प्राप्ति की कल्पना तक नहीं हो सकती ।अतः यदि परम चरम लक्ष्य सुख पाना है, तो भगवान को पाना ही होगा।