कोटा। ईएनटी विशेषज्ञ डॉ. अजय कुलकर्णी ने कहा कि अगर सही समय पर कैंसर के लक्षणों को पहचान कर जल्द इलाज शुरू कर दिया जाए, तो बीमारी होने पर भी एक लंबा जीवन जीया जा सकता है। वे सोमवार को इण्डियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से विश्व कैंसर दिवस पर सीवी गार्डन पर कैंसर डिटेक्शन कैम्प में सम्बोधित कर रहे थे।
उन्होंने आमजन को स्वयं ही शरीर में उंगली के माध्यम से परीक्षण करने की सलाह दी। डाॅ. कुलकर्णी ने कहा कि हर साल हजारों लोग सही समय पर इस बीमारी के लक्षण नहीं पहचानने और सही स्टेज में इलाज शुरू नहीं करने की वजह से अपनी जान गंवा देते है । इसी बात को ध्यान में रखते हुए कैंसर के प्रति लोगों को जागरूक करने की आवश्यकता है।
इण्डियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से आयोजित कैम्प में कैंसर विशेषज्ञ डाॅ0 आरके तंवर, डाॅ. अंजना रायजादा, डाॅ. अजय कुलकर्णी, डाॅ. भावना गुप्ता, डाॅ. हर्ष गोयल के द्वारा 143 लोगों की स्क्रीनिंग और जांच की गई।
आईएमए कोटा चैप्टर के अध्यक्ष डाॅ. एसएन सोनी तथा सचिव डाॅ. कुलदीप सिंह राना ने बताया कि विशेषज्ञों के द्वारा लोगों को कैंसर की भयावहता और इससे बचाव के उपायों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। वहीं कैंसर को लेकर समाज में चलने वाले मिथकों की सच्चाई से भी अवगत कराया।
भारत में हर साल 14 लाख नए कैंसर रोगी
डाॅ. एसएन सोनी ने कहा कि कैंसर से पूरे विश्व में हर साल लगभग 1 करोड़ 80 लाख से भी ज्यादा लोग प्रभावित होते हैं। वहीं, अगर भारत की बात करें तो हर साल लगभग 14 लाख केस कैंसर के सामने आते हैं। आधुनिक समय में दिनचर्या में आए व्यापक बदलाव के कारण लोगों में कैंसर का खतरा बढ़ता जा रहा है।
कैंसर विशेषज्ञ डॉ. आरके तंवर ने कहा कि कैंसर एक गंभीर बीमारी है। जिससे प्रत्येक वर्ष अनेक लोगों की मृत्यु होती है। ज्यादातर लोग इस बीमारी के लक्षणों तथा कारणों से परिचित नहीं है। जिससे वे इसके बारे में जान नहीं पाते।
डॉ. अंजना रायजादा ने स्तन कैंसर के बारे में बताया और स्वयं स्तन जांच हेतु महिलाओं को प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के आंकड़ों के अनुसार, भारत में प्रति वर्ष 50,000 महिलाओं में से एक में स्तन कैंसर का मामला सामने आता है। 2030 तक हर वर्ष 50000 महिला पर यह संख्या 2 से अधिक होने की आशंका है।
गर्भाशय कैंसर सबसे अधिक प्रचलित बीमारी
स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डाॅ. भावना गुप्ता ने गर्भाशय के कैंसर एवं लक्षणों के बारे में विस्तार से चर्चा की और पहचान के चिन्ह बताए। उन्होंने बताया कि महिलाओं में स्तन कैंसर के बाद गर्भाशय कैंसर सबसे अधिक प्रचलित बीमारी है। इस बीमारी से बचाव किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि अनियमित मासिक धर्म समेत इसके कई लक्षण हैं, पर कभी-कभी यह लक्षण देर से उभरते हैं। इसलिए 40 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं को हर साल पेप्समीयर, काल्पोस्पोकी जांच करानी चाहिए, ताकि इस प्रकार के कैंसर से बचा जा सके। जागरूकता बढ़ाकर इस कैंसर को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।
कुलदीप सिंह राणा कान नाक गला विशेषज्ञ ने तंबाकू सेवन और लाल मंजन से बचने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि धुआंरहित तंबाकू के उपयोगकर्ताओं की संख्या में वृद्धि हुई है, क्योंकि पहले के तंबाकू विरोधी विज्ञापनों में सिगरेट और बीड़ी की तस्वीरें दिखाई जाती थीं और घातक बताया जाता था। इससे लोगों को लगता था कि केवल सिगरेट और बीड़ी का सेवन हानिकारक है। परिणामस्वरूप धीरे-धीरे धुआंरहित तंबाकू की खपत बढ़ गई है।
डॉ हर्ष गोयल ने विभिन्न कैंसर के उपचार पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आधुनिक चिकित्सा पद्धति के कारण से कैंसर अब लाइलाज रोग नहीं रह गया है। राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत चिकित्सक डाॅ. आरसी साहनी ने विशेष रूप से उपस्थित रह कर कैन्सर के बारे में जागरूकता पर जोर दिया। संचालन डॉ. सत्येंद्र जेलिया ने किया। कैंसर शिविर में डॉ. गोपाल सिंह भाटी, डॉ. हेमंत गुप्ता, रवि वया, डॉ. एमएल अग्रवाल ने भी भाग लिया।