नयी दिल्ली । सरकार ने वाणिज्यिक माल निर्यातकों को निर्यात ऋण पर तीन प्रतिशत ब्याज सहायता देने का निर्णय किया है। यह फैसला बुधवार को आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की बैठक में किया गया। सरकार के इस कदम से निर्यातकों के पास पूंजी उपलब्धता बेहतर होगी और निर्यात को प्रोत्साहन दिया जा सकेगा।
‘‘इस फैसले से निर्यातकों को ब्याज समानीकरण योजना का लाभ योजना की शेष अवधि के लिये मिलेगा और इससे उन्हें करीब 600 करोड़ रुपये का फायदा होगा।’’ इस संबंध में वाणिज्य विभाग के एक प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। प्रस्ताव में वाणिज्यिक वस्तुओं के निर्यातकों को भी ब्याज समानीकरण योजना में शामिल करने को कहा गया।
इसके तहत उन्हें योजना के दायरे में आने वाले 416 उत्पादों के निर्यात के वास्ते शिपमेंट से पहले और बाद में लिये जाने वाले रुपया निर्यात रिण पर तीन प्रतिशत की दर से ब्याज समानीकरण सुविधा का लाभ देने को कहा गया। इन उत्पादों का उत्पादन अमूमन लघु एवं मझोले उद्योग या ऐसे क्षेत्रों में होता है जहां श्रम की अधिक की जरूरत होती है। यह उत्पाद कृषि, कपड़ा, चमड़ा, हस्तशिल्प और मशीनरी क्षेत्र से जुड़े हैं।
योजना के तहत वाणिज्यिक निर्यातकों को शामिल करने से निर्यात क्षेत्र अधिक प्रतिस्पर्धी बनने की उम्मीद है। इससे निर्यातक एमएसएमई क्षेत्र में बने उत्पादों का अधिक निर्यात करने को प्रोत्साहित होंगे। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु समय समय पर निर्यात रिण में गिरावट का मुद्दा उठाते रहे हैं। वह सुझाव देते रहे हैं कि निर्यातकों को दिये जाने वाले रिण को प्राथमिक क्षेत्र के रिण के तौर पर माना जाना चाहिये।
निर्यात रिण में कमी से निर्यातकों का काम तो प्रभावित हो ही रहा है एमएसएमई इकाइयों पर इसका ज्यादा बुरा असर पड़ रहा है। सुरेश प्रभु ने आरबीआई के आंकड़ों का उल्लेख करते हुये कहा कि 22 जून 2018 को बकाया निर्यात रिण 22,300 करोड़ रुपये रह गया जो कि 23 जून 2017 को 39,000 करोड़ रुपये पर था।
निर्यातकों के महासंघ फियो के अध्यक्ष गणेश कुमार गुप्ता ने कहा कि इस कदम से निर्यात को प्रोत्साहन मिलेगा। ‘‘सस्ती दर पर कर्ज मिलने से निर्यातकों को निर्यात बढ़ाने में मदद मिलेगी।’’ चालू वित्त वर्ष के दौरान अप्रैल से नवंबर 2018 की अवधि में देश का वस्तु निर्यात 11.58 प्रतिशत बढ़कर 217.5 अरब डालर रहा है।