सरकार गोल्ड पॉलिसी बनाने के लिए तैयार

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मुंबई। सरकार ने व्यापक गोल्ड पॉलिसी तैयार करने की तरफ अपना पहला कदम बढ़ा दिया है। उसने एक दर्जन इंडस्ट्री स्टेकहोल्डर्स की अस्थायी कमिटी बनाई है, जो कॉमर्स मिनिस्टर सुरेश प्रभु के सुझाव के मुताबिक गोल्ड और जूलरी के लिए डमेस्टिक काउंसिल का स्ट्रक्चर तय करेगी।

इस काउंसिल का सबसे अनूठा हिस्सा हैंडमेड और कस्टमाइज्ड आभूषणों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए सबसे छोटे साझीदारों-कारीगरों और सुनार से लेकर सबसे बड़े स्टेकहोल्डर्स- जूलर और बुलियन डीलर का व्यापक रूप से प्रतिनिधित्व होगा, जिससे नौकरियों के ज्यादा मौके बनेंगे।

पिछले गुरुवार को इंडिया इंटरनैशनल जूलरी शो मुंबई में हुआ था, जिसमें चीफ गेस्ट के तौर पर आमंत्रित प्रभु ने कहा था, ‘हम भारत में पहली बार एक गोल्ड काउंसिल बना रहे हैं। प्रधानमंत्री का विजन है कि गोल्ड एक कमोडिटी बने, जिसका वैश्विक स्तर पर निर्यात किया जा सके। हमारे पास करीब हरेक गांव में जूलर हैं। वे कस्टमाइज्ड जूलरी बना सकते हैं।’

उनका कहना था, ‘हमारे पास हैंडमेड जूलरी बनाने वाले सुनार हैं। इस बात की कल्पना कीजिए कि कस्टमाइज्ड और हैंडमेड जूलरी के लिए ग्लोबल मार्केट में अपार संभावनाएं हैं। हमें उन्हें बढ़ावा देना चाहिए और उनसे देश में बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा होंगे। डमेस्टिक गोल्ड काउंसिल बनाने के अलावा हम निर्यात को बढ़ावा देने की भी कोशिश कर रहे हैं, जिसके लिए हमने एक रणनीति भी बनाई है।’

कमिटी में इंडिया बुलियन ऐंड जूलर्स असोसिएशन (आईबीजेए), जेम ऐंड जूलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी), भारत डायमंड बोर्स (बीडीबी), तमिलनाडु जूलर्स फेडरेशन और इंडिया जूलर्स फोरम का प्रतिनिधित्व रहेगा। इंडस्ट्री सूत्रों ने बताया कि इसके अलावा ऑल इंडिया जेम ऐंड जूलरी डमेस्टिक काउंसिल (जीजेसी) और रिफाइनरीज के असोसिएशन भी कमिटी का अहम हिस्सा हो सकते हैं।