नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में सजा काट रहे आसाराम ने 10 हजार करोड़ रुपये की सम्पत्ति कैसे अर्जित की। आइये जानें – गिरफ्तार हुआ, उससे पहले तक आश्रम से दो मैग्जीन प्रकाशित हुआ करती थीं। ऋषिप्रसाद तथा लोक कल्याण सेतु नामक इन पत्रिकाओं की तकरीबन 14 लाख प्रतियां हर महीने बिक जाती थीं।
साल में 50 सत्संग होते थे। जिनकी लिखित प्रतियों, सीडी, वीसीडी तथा ऑडियो कैसेट्स की बड़ी संख्या में बिक्री होती थी। सत्संग के दौरान अन्य उत्पादों की भी बड़ी मात्रा में बिक्री होती थी। उसे आयुर्वेदिक साबुन, तेल और धूपबत्ती की बिक्री से भी मोटी रकम मिल जाती थी।
इससे कमाई का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आश्रमों के उत्पादों की पैकेजिंग का सालाना ठेका ही 350 करोड़ रुपए में दिया गया था। इन सभी तरीकों से आई नकदी का एक बड़ा हिस्सा वह अपने करीबियों की मदद से लोगों व कंपनियों को ब्याज पर दे देता था। जमानत के रूप में वह चेक या जमीनों के दस्तावेज रख लिया करता था।
इनकम टैक्स विभाग को 2013 का एक ऐसा दस्तावेज भी मिला है जो बताता है कि सालभर में ही आसाराम को ब्याज के रूप में ही 419 करोड़ रुपए की रािश मिली है। तब 163 करोड़ रुपए उसके पास नकद भी थे।
4 थैलों में आ सके लेन-देन के दस्तावेज
आश्रम के नाम पर हासिल या कब्जाई जमीन पर खेती से भी उसे आमदनी होती थी। बाकी पैसा कई तरीकों से खुदके या अनुयाइयों के नाम पर निवेश कर रखा था। निवेश रियल एस्टेट में, म्युचुअल फंड में, शेयर बाजार में, किसान विकास पत्रों में और फिक्स्ड डिपोजिट में किया गया था।
इस तरह जमीन को जोड़े बिना ही आसाराम की कुल संपत्ति करीब 10 हजार करोड़ रुपए आंकी गई है। यह बात 2014 में आसाराम के विभिन्न आश्रमों में छापों के दौरान बरामद दस्तावेजों से साबित भी हुई है। तब पुलिस के हाथ वित्तीय लेन-देन के इतने दस्तावेज लगे थे कि इन्हें चार बड़े थैलों में रखना पड़ा था।
आसाराम साल में 10 से 20 भंडारों के नाम पर देशभर से 150 से 200 करोड़ रुपए चंदा जुटा लिया करता था। साथ में श्रद्धालुओं से आने वाला अन्य तरह का चंदा उसकी आय का स्रोत थे। 10 करोड़ रुपए तक का मुनाफा सालाना होता था इनसे आसाराम को । 01 करोड़ रुपए दो-तीन दिन में आसाराम के खाते में आ जाते थे सत्संग के दौरान।