3 दिन में जेनरेट किए गए 17 लाख ई-वे बिल, 1 अप्रैल से लागू हो चुका है नियम

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नई दिल्ली । बिजनेसेज और ट्रांसपोर्टर्स की ओर से बीते 3 दिनों में 17 लाख ई-वे बिल जेनरेट किए गए हैं। आपको बता दें कि ई-वे बिल 1 अप्रैल 2018 से ही पूरे देश में लागू कर दिया गया है। पहले ही दिन यानी एक अप्रैल को 2.59 लाख ई-वे बिल जेनरेट किए गए, जबकि 2 अप्रैल को 6.5 लाख और तीसरे दिन 8.15 लाख बिल जेनरेट हुए।

वहीं अगर राज्यों की बात की जाए तो गुजरात इस मामले में 3.6 लाख ई-वे बिल जेनरेशन के साथ टॉप पर रहा है। यहां ये बिल 1 से 3 अप्रैल के दौरान जेनरेट किए गए हैं। इसके बाद कर्नाटक का नंबर आता है जहां पर 2.65 लाख बिल जेनरेट हुए हैं।

साथ ही कर्नाटक एकलौता ऐसा राज्य भी है जहां राज्य के भीतर भी ई-वे बिल लागू कर दिया गया है। एक अधिकारी के मुताबिक इस ट्रेड को देखते हुए 4 अप्रैल को 9 लाख से ज्याद ई-वे बिल जेनरेट किए जाने की उम्मीद है। दैनिक आधार पर, हम बिल जेनरेशन में 5 से 10 फीसद की वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं।

क्या है ई-वे बिल: अगर किसी वस्तु का एक राज्य से दूसरे राज्य या फिर राज्य के भीतर मूवमेंट होता है तो सप्लायर को ई-वे बिल जनरेट करना होगा। अहम बात यह है कि सप्लायर के लिए यह बिल उन वस्तुओं के पारगमन (ट्रांजिट) के लिए भी बनाना जरूरी होगा जो जीएसटी के दायरे में नहीं आती हैं।

क्या होता है ई-वे बिल में: इस बिल में सप्लायर, ट्रांसपोर्ट और ग्राही (Recipients) की डिटेल दी जाती है। अगर जिस गुड्स का मूवमेंट एक राज्य से दूसरे राज्य या फिर एक ही राज्य के भीतर हो रहा है और उसकी कीमत 50,000 रुपए से ज्यादा है तो सप्लायर (आपूर्तिकर्ता) को इसकी जानकरी जीएसटीएन पोर्टल में दर्ज करानी होगी।

कितनी अवधि के लिए वैलिड होता है यह बिल: यह बिल बनने के बाद कितने दिनों के लिए वैलिड होता है, यह भी निर्धारित है। अगर किसी गुड्स (वस्तु) का मूवमेंट 100 किलोमीटर तक होता है तो यह बिल सिर्फ एक दिन के लिए वैलिड (वैध) होता है।

अगर इसका मूवमेंट 100 से 300 किलोमीटर के बीच होता है तो बिल 3 दिन, 300 से 500 किलोमीटर के लिए 5 दिन, 500 से 1000 किलोमीटर के लिए 10 दिन और 1000 से ज्यादा किलोमीटर के मूवमेंट पर 15 दिन के लिए मान्य होगा।