बैंक अब हर तीन महीने में बदलेंगे कर्ज की ब्याज दर

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नई दिल्ली। फ्लोटिंग दर पर होम लोन लेने वाले ग्राहकों की अक्सर यह शिकायत होती है कि भारतीय रिजर्व बैंक की तरफ से कर्ज की ब्याज दरें घटने के बावजूद बैंक उन्हें इसका फायदा नहीं देते हैं। वाणिज्यिक बैंकों की इस सुस्ती पर आरबीआइ भी कई बार नाराजगी जता चुका है।

अब आरबीआइ ऐसी व्यवस्था करने जा रहा है, जिससे कर्ज की दरों में बदलाव होने का असर ग्राहकों से वसूले जाने वाले कर्ज की दरों पर भी जल्द ही पड़ेगा। अप्रैल, 2018 से बैंकों के लिए ब्याज दरों को तय करने की नई व्यवस्था लागू की जा रही है, जिसमें फ्लोटिंग दर पर कर्ज स्कीमों पर अब हर तिमाही ब्याज दरों को निर्धारित करना होगा।

अभी कई बैंक अमूमन साल में एक बार ब्याज दर में बदलाव करते हैं। बैंकों में अभी मार्जिनल कास्ट (एमसीएलआर) आधारित ब्याज दर तय करने की व्यवस्था है। इसमें संशोधन करने के लिए गठित आरबीआइ की आतंरिक समिति की रिपोर्ट ने जो नई व्यवस्था लागू करने की सिफारिश की है, वह ज्यादा पारदर्शी और कर्ज लेने वाले ग्राहकों पर तुरंत असर डालने वाली होगी।

रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि एमसीएलआर के तहत कर्ज की दरों को तय करने की व्यवस्था के तहत बैंक आम तौर पर ग्राहकों को तुरंत रेपो रेट में कटौती का फायदा नहीं देते है। समिति ने कहा है कि फ्लोटिंग दर पर कर्ज लेने की जो नई व्यवस्था होगी उसमें हर तीन महीने पर कर्ज की दरों में बदलाव करने की बात होगी।

माना जा रहा है कि अभी जो फ्लोटिंग दर पर कर्ज लेने वाले ग्राहक हैं उन्हें अप्रैल, 2018 में कुछ राहत मिलेगी। समिति ने यह भी कहा है कि जिन ग्राहकों ने पहले से बेस रेट या बेंचमार्क प्राइम लेंडिंग रेट (बीपीएलआर) के आधार पर कर्ज लिया है उनके बकाए राशि को भी एमसीएलआर के तहत लाया जाना चाहिए।