कोटा। राजस्थान सरकार के वार्षिक कैलेंडर में इस बार हाड़ौती सहित प्रदेश की झीलों को अहमियत दी गई है। इसमें कोटा के किशाेर सागर का जिक्र किया गया है। वहीं, बूंदी की नवल सागर, जैतसागर, दुगारी और झालावाड़ की काडिला एवं मानसरोवर झीलों सहित मेवाड़ और प्रदेश की प्रमुख झीलों की फोटो को भी शामिल गया है।
इसमें बताया गया है कि जल संरक्षण राजस्थान की परंपरा में समाहित है। यहां जल स्रोत धार्मिक आस्था से बंधे हैं। कैलेंडर के हर महीने के पेज पर एक झील का फोटो और उसका संक्षिप्त इतिहास और महत्व दर्शाया गया है।
कैलेंडर में बताया है कि राजस्थान की झीलें यहां की अनमोल विरासत हैं। इसमें राज्य की प्राकृतिक और कृत्रिम दोनों तरह की झीलें शामिल की गई हैं।
किशोर सागर : कैलेंडर में किशोर सागर के बारे में बताते हुए लिखा है कि कोटा में स्थित किशोर सागर झील के मध्य जग मंदिर है। जिसे रानी ब्रज कंवर ने बनवाया था। किशोर सागर के किनारे पर सेवन वंडर्स पार्क, संगीतमय, फव्वारा और चौपाटी ने इसे और भी दर्शनीय बना दिया है।
जैतसागर झील : यह सुरम्य झील बूंदी में तारागढ़ किले के नजदीक है, जो शुक्ल बावड़ी दरवाजे के बाहर स्थित चारों ओर पहाड़ियों से घिरी हुई है। इसे जैता मीणा ने बनवाया था। इसकी पाल पर सुखमहल निर्मित है। मानसून और सर्दियों में यहां कमल खिलते हैं। यहां का सौंदर्य देखते ही बनता है।
इन झीलों को मिली जगह
नक्की झील (माउंट आबू), सिलीसेढ़ झील (अलवर), पुष्कर झील, आना सागर, फाई सागर (अजमेर), सांभर झील (जयपुर), बडाेपल झील, गजनेर झील (बीकानेर), गडसीसर झील (जैसलमेर), पचभद्रा झील (बाड़मेर), बुड्डा जोहड़ झील (गंगानगर), सरदार समंद झील, कायलाना झील, बालसमंद (जोधपुर), जयसमंद (अलवर), कोलायत झील (बीकानेर), रानीसर-पद्मसर (मेहरानगढ़ के पास), मानसागर (जयपुर-आमेर मार्ग पर), नवल सागर झील जैतसागर, दुगारी झील (बूंदी) और किशोर सागर (कोटा), काडिला एवं मानसरोवर झील (झालावाड़) शामिल है।