नई दिल्ली। पिछले साल की तुलना में इस वर्ष खरीफ सीजन के दौरान दलहनी फसलों का बिजाई क्षेत्र 119.28 लाख हेक्टेयर से 9.30 लाख हेक्टेयर या 7.4 प्रतिशत बढ़कर 128.58 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया लेकिन इसके बावजूद केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने दलहनों का कुल उत्पादन 69.74 लाख टन से 20 हजार टन घटकर 69.54 लाख टन पर सिमटने का अनुमान लगाया है।
इसका प्रमुख कारण उड़द की पैदावार में करीब 4 लाख टन की भारी गिरावट आना है। कुछ समीक्षकों का कहना है कि कृषि मंत्रालय ने तुवर के उत्पादन में बढ़ोत्तरी का जो अनुमान लगाया है वह वास्तविकता से कुछ कम है।
हालांकि अरहर (तुवर) के बिजाई क्षेत्र में अच्छी बढ़ोत्तरी हुई है मगर सरकार ने इसका उत्पादन गत वर्ष के 34.17 लाख टन से महज 85 हजार टन बढ़कर इस बार 35.02 लाख टन पर पहुंचने का अनुमान लगाया है।
मूंग का उत्पादन 11.54 लाख टन से बढ़कर 13.83 लाख टन पर पहुंचने की संभावना व्यक्त की गई है मगर उड़द का उत्पादन 16.04 लाख टन से लुढ़ककर 12.09 लाख टन पर सिमटने का अनुमान लगाया गया है जो पिछले एक दशक का सबसे निचला स्तर है।
एक अग्रणी संस्था के अनुसार तुवर का उत्पादन इस वर्ष बेहतर होने की उम्मीद है क्योंकि कर्नाटक एवं महाराष्ट्र जैसे शीर्ष उत्पादक राज्यों में फसल काफी अच्छी हालत में है। लेकिन अभी ठहर कर इंतजार करना होगा। नवम्बर के अंत या दिसम्बर के आरंभ से तुवर के नए माल की आवक शुरू हो सकती है। तुवर का बिजाई क्षेत्र बढ़कर इस बार 46.50 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया।
कर्नाटक में फसल की हालत सामान्य बताई जा रही है और इसकी उपज दर में ज्यादा बढ़ोत्तरी होने की संभावना नहीं है क्योंकि जब पौधों में फूल लग रहे थे तब मौसम अनुकूल नहीं था। लगातार होने वाली बारिश के कारण पौधों का विकास खड़ी लाइन में न होकर क्षैतिज लाइन में हुआ।