कोटा। फ़ोबिया एक मानसिक बीमारी है, जिसमें किसी खास चीज़, गतिविधि या स्थिति से अत्यधिक डर लगता है, जैसे अंधेरे से, अकेले रहने से, ट्रैफिक से, ऊंचाई से, जानवरों से आदि। यह जानकारी रविवार को आयोजित एक कार्यशाला में मनोचिकित्सक नीना विजयवर्गीय ने दी। उन्होंने कार्यशाला में फोबिया विकार, इसके लक्षण, संभावित कारण, इसकी व्यापकता, इससे जुड़ी भ्रांतियां व तथ्य, निवारण, उपचार के उपाय आदि के बारे में विस्तारपूर्वक बताया गया।
फोबिया में डर का स्तर सामान्य डर से बहुत अधिक होता है और यह डर व्यक्ति के दैनिक जीवन को प्रभावित कर सकता है। फोबिया में डर तर्कहीन होता है। यानी व्यक्ति को पता होता है कि उसका डर अवास्तविक है, लेकिन वह उससे छुटकारा नहीं पा सकता। फ़ोबिया के लक्षणों में पसीना आना, सांस लेने में तकलीफ़, तेज़ हृदयगति, कम्पन, ठंड लगना, सीने में दर्द, मुंह सूखना, चक्कर आना, सिरदर्द आदि शामिल हैं।
फोबिया के कारणों में आनुवंशिक कारक, बचपन के अनुभव या जीवन में हुई कोई घटना शामिल हो सकती है। कुछ अध्ययनों से पता चलता है कि विशिष्ट फोबिया महिलाओं में पुरुषों की तुलना में अधिक आम है। लगभग 8 में से 1 व्यक्ति अपने जीवन में कभी न कभी सामाजिक चिंता विकार से पीड़ित होता है।
फोबिया का इलाज संभव है और इसमें काउंसलिंग, संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी (CBT), एक्सपोजर थेरेपी, या दवा शामिल हो सकती है। इस कार्यशाला के दौरान काउंसलर व विषय विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम द्वारा जानकारी प्रदान की गई कि फोबिया से पीड़ित रोगी कैसे अपने डर को कम कर सकता है और कैसे अपने जीवन को सुचारू रूप से जी सकता है।