नई दिल्ली। GST Rules: सरकार वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) भुगतान करने वालों को बड़ी राहत देने की तैयारी कर रही है। सरकार केंद्रीय जीएसटी नियमों में संशोधन कर सकती है, जिससे कि वस्तु और सेवाओं के प्राप्तकर्ता को क्रेडिट नोट को स्वीकार या अस्वीकार करने तथा प्राप्त इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) को समायोजित करने के लिए 2 महीने तक का समय मिल सके।
इस समय इनवाइस मैनेजमेंट सिस्टम (आईएमएस) का इस्तेमाल करने वाले करदाताओं को क्रेडिट नोट सीधे स्वीकार या अस्वीकार करना होता है। इस कदम से करदाताओं को ज्यादा लचीलापन मिलेगा और अनावश्यक वित्तीय बोझ नहीं पड़ेगा।
क्रेडिट नोट विक्रेता द्वारा क्रेता को बिका हुआ माल वापस करने, छूट या ओवरबिलिंग के मामले में दिया जाता है, जिससे खरीदार द्वारा भुगतान की जाने वाली राशि घटाई या आगे के भुगतान में समायोजित की जा सके। आईएमएस एक स्वचालित व्यवस्था है। इसके माध्यम से व्यवसायों द्वारा जारी किए गए चालानों को ट्रैक और सत्यापित किया जाता है, जिससे उन्हें आईटीसी का दावा करने में मदद मिलती है। केंद्र सरकार ने इसे पिछले साल अक्टूबर में शुरू किया था।
मामले से जुड़े एक अधिकारी नाम सार्वजनिक न करने की शर्त पर कहा, ‘अब वस्तु एवं सेवाएं प्राप्त करने वाले को क्रेडिट नोट को एक कर अवधि (एक माह, क्योंकि जीएसटी रिटर्न मासिक आधार पर दाखिल होता है) के लिए लंबित रखने का विकल्प होगा। हालांकि अगर कर रिटर्न दाखिल करने में देरी होती है तो उसे एक महीने और क्रेडिट नोट रखने की अनुमति होगी, इससे ज्यादा नहीं।’
इस समय आईएमएस अनिवार्य नहीं है, हालांकि ज्यादातर बड़े जीएसटी भुगतानकर्ता पहले से ही इस व्यवस्था का इस्तेमाल कर रहे हैं। अधिकारी ने कहा कि प्रस्तावित कदम आईएमएस अनिवार्य करने की दिशा में एक कदम है।
सीजीएसटी नियम में बदलाव इसलिए भी अनिवार्य हो गया है क्योंकि वित्त विधेयक 2025 में सीजीएसटी ऐक्ट में बदलाव का प्रस्ताव किया गया है, जिससे आपूर्तिकर्ताओं के लिए यह अनिवार्य बनाया जाए कि वे प्राप्तकर्ता द्वारा प्राप्त आईटीसी को वापस करना सुनिश्चित करें, ताकि उनकी (आपूर्तिकर्ताओं की) कर देयता कम हो सके।
टैक्स कनेक्ट एडवाइजरी में पार्टनर विवेक जालान ने कहा कि जीएसटी के सभी 1.5 करोड़ करदाता, चाहे वे छोटे हों या बड़े, इससे प्रभावित होंगे क्योंकि क्रेडिट नोट आईएमएस का एक महत्त्वपूर्ण फीचर है।
जालान ने कहा कि इससे निश्चित रूप से करदाताओं को बहुप्रतीक्षित राहत मिलेगी। बहरहाल कर कानून में प्रत्येक राहत कुछ प्रतिबंधों के साथ आती है। इस मामले में प्राप्तकर्ता अगर क्रेडिट नोट को लंबित रखता है और उसके बाद अगली कर अवधि में इसे स्वीकार करता है, तो उसे 1 महीने के लिए ब्याज का भुगतान करना होगा। यह छूट की राह में व्यवधान है और उद्योग को इसके मुताबिक तैयारी करनी होगी।