Mustard: मंडियों में नई फसल की आवक बढ़ने से सरसों की कीमतों में नरमी का रूख

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नई दिल्ली। हालांकि केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने रबी सीजन की सबसे प्रमुख तिलहन फसल- सरसों का घरेलू उत्पादन पिछले साल के 132.60 लाख टन से 3.90 लाख टन घटकर इस वर्ष 128.70 लाख टन रह जाने का अनुमान लगाया है लेकिन मंडियों में पुराने माल के साथ-साथ नई फसल की आवक का दबाव बढ़ने से कीमतों में नरमी का माहौल देखा जा रहा है।

42% कंडीशन सरसों: 8/14 मार्च वाले सप्ताह के दौरान 42 प्रतिशत कंडीशन वाली सरसों का भाव दिल्ली में 100 रुपए घटकर 6000 रुपए प्रति क्विटल तथा जयपुर में 50 रुपए गिरकर 6100 रुपए प्रति क्विटल पर आ गया।

गुजरात: सामान्य औसत क्वालिटी वाली सरसों का दाम गुजरात की डीसा एवं धनेरा मंडी में 200-200 रुपए नीचे आया और हरियाणा की मंडियों में भी 50-100 रुपए की नरमी रही। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में सरसों 200 रुपए टूटकर 5500/5600 रुपए प्रति क्विटल रह गई।

राजस्थान: इसी तरह सबसे प्रमुख उत्पादक प्रान्त- राजस्थान की मंडियों में सरसों के मूल्य में 100 से 400 रुपए प्रति क्विटल तक की गिरावट दर्ज की गई। वहां बीकानेर में भाव 400 रुपए घटकर 5100/5400 रुपए प्रति क्विटल रह गया। उत्तर प्रदेश में सरसों हापुड़ में 50 रुपए तथा आगरा में 100 रुपए नरम रही।

भाव: सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य इस बार 5950 रुपए प्रति क्विटल नियत किया गया है जबकि सामान्य औसत क्वालिटी वाले माल का दाम घटकर इससे काफी नीचे आ गया है। इसके बावजूद विभिन्न मंडियों में इसकी भरपूर आवक होने लगी है।

आवक: घरेलू मंडियों में सरसों की आवक 8 मार्च को 7.25 लाख बोरी हुई थी जो 10 मार्च को उछलकर 11 लाख बोरी, 11 मार्च को बढ़कर 11.50 लाख बोरी तथा 12 मार्च को सुधरकर 12.25 लाख बोरी पर पहुंच गई। होली से ठीक एक दिन पहले महज 4 लाख बोरी सरसों की आवक हुई। सरसों की भरपूर आवक होने से इसकी जोरदार क्रशिंग हो रही है जिससे तेल की आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति सुगम हो गई है।

सरसों तेल: सामान्य मांग के कारण 8-14 मार्च वाले सप्ताह में सरसों तेल की कीमतों में 20-25 से लेकर 50-60 रुपए प्रति 10 किलो तक की गिरावट दर्ज की गई। दिल्ली में एक्सपेलर का दाम 25 रुपए घटकर 1290 रुपए प्रति 10 किलो तथा भरतपुर में 60 रुपए घटकर 1260 रुपए प्रति 10 किलो रह गया।

सरसों खल (डीओसी):सरसों खल की कीमतों में मिश्रित रुख देखा गया मगर सरसों के डीओसी की अच्छी मांग से इसके दाम में 200 से 800 रुपए प्रति टन तक की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई।