जीवन में प्रबंधन का अभाव दुख का कारण बनता है: आदित्य सागर मुनिराज

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कोटा। आदित्य सागर मुनिराज संघ ने जैन मंदिर ऋद्धि-सिद्धि नगर कुन्हाड़ी में बुधवार को भव्य चातुर्मास के अवसर पर अपने नीति प्रवचन में कहा कि जीवन में प्रबंधन का अभाव दुख का कारण बनता है। जब भी किसी काम को सही तरीके से प्रबंधित नहीं किया जाता, तो व्यक्ति को जीवन में संघर्ष और कष्ट का सामना करता है।

उदाहरण के रूप में, झाड़ू की तुलना की गई है, जो सही ढंग से इस्तेमाल होने पर सफाई करती है, लेकिन यदि वह बिखर जाए, तो खुद कचरा बन जाती है। इसी तरह, जीवन में अनुशासन और संकल्प शक्ति का होना आवश्यक है।

भगवान राम का उदाहरण देकर यह समझाया गया कि राम ने अपने जीवन का उद्देश्य कभी नहीं भुलाया। यद्यपि कुछ बाधायें आईं, पर वे अपने संकल्प से कभी विमुख नहीं हुए। यह दर्शाता है कि जब व्यक्ति अपने संकल्प को भूल जाता है, तो उसका जीवन दुखी हो जाता है और जो अपने संकल्प को याद रखता है, वह सुखी रहता है।

इसके अलावा, आचार्य योगेंद्र देव का उल्लेख करते हुए कहा गया कि संकल्प ही बंद (बंधन) और मोक्ष (मुक्ति) का कारण है। वितरागी संकल्प (वैराग्यपूर्ण संकल्प) मोक्ष का कारण बनता है, जबकि संसार से जुड़ा संकल्प बंधन का कारण बनता है।

व्यक्ति को अपने उद्देश्य का ध्यान रखना चाहिए, चाहे वह मंदिर जाए या घर में भोजन करे। हर काम में सही उद्देश्य और प्रबंधन होना चाहिए। यह प्रवचन आध्यात्मिक प्रबंधन के बारे में है, जिसमें तीन महत्वपूर्ण कदम बताए गए हैं: सुनना, अनुमोदना करना, और जीवन में उतारना।

उन्होंने कहा कि अक्सर लोग प्रवचन सुनते हैं, सराहना करते हैं, लेकिन उसे जीवन में लागू नहीं करते, जो कि गलत कदम है। प्रवचन का उद्देश्य केवल सुनना नहीं है, बल्कि उसे आत्मसात करना और व्यवहार में लाना होता है।

उदाहरण के रूप में गुरु और शिष्य का संबंध बताया गया है गुरु जो कहते हैं। वह महत्वपूर्ण होता है, न कि वे जो करते हैं। इसी तरह, अगर कोई मंत्र सिर्फ बाहरी तौर पर पढ़ा जाए और अंदर से उसे आत्मसात न किया जाए, तो उसका असर नहीं होता।

चातुर्मास समिति के अध्यक्ष टीकम चंद पाटनी ने बताया कि पंच कल्याणक महोत्सव के झंडा रोहन कर्ता मनोज जैसवाल को चातुर्मास समिति द्वारा सम्मानित किया गया। इस अवसर पर सकल दिगम्बर जैन समाज के कार्याध्यक्ष जे के जैन, चातुर्मास समिति के अध्यक्ष टीकम चंद पाटनी, मंत्री पारस बज आदित्य, कोषाध्यक्ष निर्मल अजमेरा, ऋद्धि-सिद्धि जैन मंदिर अध्यक्ष राजेन्द्र गोधा, सचिव पंकज खटोड़, कोषाध्यक्ष ताराचंद बडला, पारस कासलीवाल, पारस लुहाड़िया, दीपक नान्ता, पीयूष बज, दीपांशु जैन, राजकुमार बाकलीवाल, जम्बू बज, महेंद्र गोधा, पदम बाकलीवाल, अशोक पापड़ीवाल सहित कई शहरों के श्रावक उपस्थित रहे।