नई दिल्ली। Delhi New CM Atishi: अरविंद केजरीवाल आज दिल्ली के एलजी विनय कुमार सक्सेना को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। सुबह 11 बजे आप की बैठक में आतिशी के नाम का प्रस्ताव आया, जिसपर सभी विधायकों ने अपनी सहमति दे दी। सुषमा स्वराज, शीला दीक्षित के बाद आतिशी दिल्ली की तीसरी महिला सीएम बनी हैं।
दिल्ली की नई मुख्यमंत्री चुनी गईं आतिशी ने कहा है कि वह अरविंद केजरीवाल की इस पद पर दोबारा वापसी तक उनके मार्गदर्शन में काम करेंगी। आतिशी ने कहा कि वह सुनिश्चित करेंगी कि दिल्ली वालों को मुफ्त बिजली, अच्छी शिक्षा और मुफ्त इलाज जैसी सुविधाएं मिलती रहीं।
विधायक दल की नेता चुनी गईं आतिशी ने अपनी पहली प्रतिक्रिया में खुशी से ज्यादा इस बात का दुख जाहिर किया कि केजरीवाल को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। इस दौरान उनके चेहरे पर मायूसी भी साफ झलक रही थी।
आतिशी ने दिल्ली के विधायकों और जनता से अपील की कि कोई उन्हें बधाई ना दे और ना ही कोई माला पहनाए। आम आदमी पार्टी के बाद खुद आतिशी ने भी साफ किया कि वह इस सरकार के कार्यकाल के पूरा होने तक ही मुख्यमंत्री रहेंगी और नए चुनाव के बाद यदि पार्टी के पक्ष में जनादेश आता है तो केजरीवाल ही मुख्यमंत्री होंगे।
पार्टी ने मंगलवार को आतिशी को लेकर सर्वसम्मति से सहमति व्यक्त की। अरविंद केजरीवाल ने पार्टी के विधायकों की बैठक में अपने उत्तराधिकारी के रूप में उनका नाम प्रस्तावित किया।
बता दें कि आतिशी (Atishi) पार्टी के साथ-साथ सरकार का भी प्रमुख चेहरा हैं और उनके पास वित्त, शिक्षा और पीडब्ल्यूडी समेत कई विभाग हैं। केजरीवाल ने रविवार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के अपने फैसले की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि वह तभी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठेंगे जब लोग उन्हें ‘‘ईमानदारी का प्रमाणपत्र’’ दे देंगे।
आबकारी नीति मामले में जमानत पर तिहाड़ जेल से रिहा होने के बाद ‘आप’ के राष्ट्रीय संयोजक केजरीवाल ने रविवार को कहा था कि वह 48 घंटे के भीतर इस्तीफा दे देंगे और दिल्ली में जल्द चुनाव कराने की मांग करेंगे।
उन्होंने कहा था कि जब तक लोग उन्हें ‘‘ईमानदारी का प्रमाणपत्र’’ नहीं दे देते, तब तक वह मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठेंगे। केजरीवाल ने कहा था कि वह कुछ दिनों में आप विधायकों की बैठक करेंगे और पार्टी का कोई नेता मुख्यमंत्री बनेगा।
‘आप’ ने सोमवार को कई बैठकें कीं। केजरीवाल ने पार्टी की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था-राजनीतिक मामलों की समिति (पीएसी) के सदस्यों से अपने आधिकारिक आवास पर ‘एक-एक करके’ बैठकें कीं और अगले मुख्यमंत्री को लेकर उनकी राय मांगी।