डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने मंत्री पद से इस्तीफा दिया, बीजेपी सरकार को बड़ा झटका

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जयपुर। Dr. Kirori Lal Meena Resignation: राजस्थान की भजनलाल शर्मा सरकार को गुरुवार को बड़ा झटका लगा है। मंत्री मंडल के वरिष्ठ सदस्य डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। डॉ. मीणा के इस्तीफे से भाजपा में खलबली मच गई है।

पार्टी के वरिष्ठ नेता डॉ. किरोड़ीलाल मीणा को पिछले कई दिनों से मनाने की कोशिश कर रहे थे क्योंकि डॉ. मीणा पहले ही कह चुके थे कि वे इस्तीफा देंगे। कई नेताओं ने सोचा था कि यह केवल बयानबाजी है लेकिन मंत्री पद से इस्तीफा देकर डॉ. मीणा ने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को भी चौंका दिया है। यह भी बताया गया है कि डॉ. मीणा ने सरकार को अपना इस्तीफा 20 जून को ही सौंप दिया था। इसी वजह से वो पिछले दिनों हुई सरकार की अहम बैठकों में भी शामिल नहीं हुए।

हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव में पूर्व राजस्थान में भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था। डॉ. किरोड़ीलाल को पूर्व राजस्थान की सात लोकसभा सीटों की जिम्मेदारी पीएम नरेंद्र मोदी ने दी थी। इन सात सीटों में से तीन सीटों पर भाजपा को हार का सामना करना पड़ा। दौसा और टोंक लोकसभा क्षेत्र में उनका बड़ा प्रभाव है।

चुनाव के दौरान उन्होंने दावा किया था कि दौसा और टोंक में भाजपा प्रत्याशियों की भारी मतों से जीत होगी। अगर भाजपा के प्रत्याशी जीत नहीं पाते हैं तो वे अपने पद से इस्तीफा दे देंगे। भाजपा के प्रत्याशी दोनों ही सीटों पर हार गए। बताया जा रहा है डॉ. किरोड़ी लाल मीणा दो दिन पहले ही मंत्री पद से इस्तीफा दे चुके थे।

लोकसभा चुनाव का परिणाम आने के दिन 4 जून की दोपहर को जब रिजल्ट आने शुरू हुए तो पता चल गया था कि दौसा और टोंक सीट से भाजपा के प्रत्याशी चुनाव हारने वाले हैं। इस स्थिति को देखते हुए डॉ. किरोड़ीलाल मीणा ने ट्वीट किया जिसमें लिखा कि ‘प्राण जाय पर वचन ना जाए।’

डॉ. मीणा के इस ट्वीट से भी भाजपा में खलबली मच गई थी। पार्टी के वरिष्ठ नेता उन्हें मनाने की कोशिशें करते रहे। मीडिया के सामने डॉ. मीणा ने चुप्पी साध ली थी और अब उन्होंने अपना वचन निभाते हुए मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।

सरकारी सुविधाएं पहले ही छोड़ चुके डॉ. मीणा
लोकसभा चुनाव की आचार संहिता के दौरान मंत्रियों को सरकारी वाहन नहीं मिला था। चुनाव परिणाम आने के बाद यानी आचार संहिता हटने के बाद सभी मंत्रियों ने सरकारी वाहन और अन्य सुविधाओं का उपयोग शुरू कर दिया था लेकिन डॉ. किरोड़ीलाल मीणा ने ना तो सरकारी वाहन का इस्तेमाल किया और ना ही अन्य कोई सरकारी सुविधाएं ली। डॉ. मीणा ने सचिवालय स्थित कृषि विभाग के दफ्तर भी जाना छोड़ दिया था। भाजपा के प्रदेश मुख्यालय में हुई समीक्षा बैठकों में डॉ. मीणा शामिल नहीं हुए। यहां तक कि भाजपा विधायक दल की बैठक और बजट की तैयारी के लिए हुई मंत्रिमंडल और कैबिनेट की बैठकों से भी दूरी बना ली थी।

किरोड़ी के इस्तीफे पर विपक्ष लगातार रहा हमलावर
लोकसभा चुनाव में दौसा और टोंक सहित अन्य सीटों पर हुई हार के बाद कांग्रेस के नेता डॉ. किरोड़ी लाल मीणा पर लगातार हमलावर रहे। पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा सहित कई नेता बार बार डॉ. किरोड़ी लाल मीणा को उनका वचन याद दिलाते रहे। ‘रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाय पर बचन न जाय’ के वादे को निभाने को लेकर बयान देते रहे। डोटासरा ने तो यहां तक कि कहा था कि डॉ. मीणा अपने वचन के पक्के हैं। उन्हें इस बार भी बचन निभाना चाहिए। वहीं हुआ, डॉ. मीणा 20 जून को ही अपना इस्तीफा दे चुके। मुख्यमंत्री को इस्तीफा सौंपने के बाद वे दिल्ली भी गए और दिल्ली में पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात भी कर चुके।