आईएएस आनन्द कुमार को बर्खास्त किया जाए, समता आन्दोलन समिति ने सौंपा ज्ञापन

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आनंद कुमार पर अनुसूचित जाति वर्ग में आरक्षण का लाभ लेने का आरोप

कोटा। समता आन्दोलन समिति कोटा ने शुक्रवार को जातिगत आधार पर प्रशासनिक अधिकारों का दुरुपयोग करके उच्च न्यायालय की अवमानना करते हुए पुलिस विभाग में जातिगत वैमनस्य फैलाने के दुष्कृत्य का दोषी बताते हुए आनन्द कुमार आईएएस, अतिरिक्त मुख्य सचिव होम को बर्खास्त करने के लिए मुख्यमंत्री भजनलाल के नाम कोटा एडीएम को ज्ञापन सौंपा।

महामंत्री रासबिहारी पारीक ने बताया कि संभागीय अध्यक्ष अनिल शर्मा के नेतृत्व में कोटा समिति ने ज्ञापन सौपा। इस अवसर पर संभागीय संयोजक राजेन्द्र गौत्तम, डॉक्टर नीतिश भारद्वाज, राजेंद्र गौतम, बनवारी लाल जिंदल, निमिष सक्सेना, प्रदोष भाटिया, शंकर लाल सिंघल, छीतर लाल, हरिशंकर सैनी, मोहन प्रकाश शर्मा, डॉक्टर बालकृष्ण मुद्गल शर्मा, डॉक्टर नीतीश तोमर, श्याम सिंह रेनगढ़, इंदर शर्मा, डॉक्टर धनराज नगर, केपी शर्मा सहित भारी संख्या में समता बंधु उपस्थित थे।

संभागीय अध्यक्ष अनिल शर्मा ने ज्ञापन के माध्यम से बताया कि राजस्थान केडर के आईएएस अधिकारी आनन्द कुमार, अतिरिक्त मुख्य सचिव होम द्वारा लगातार किये जा रहे जातिगत आधार पर प्रशासनिक अधिकारों के दुरुपयोग की ओर आकर्षित करना चाहते है।

श्री आनन्द कुमार ने अनुसूचित जाति वर्ग मे आरक्षण का लाभ लेते हुये यह पद प्राप्त किया है और अपने प्रशासनिक पदों के अधिकारों को जातिगत आधार पर दुरुपयोग करते हुये गैर अनुसूचित जाति वर्ग के लोकसेवकों और नागरिकों को दुराग्रह पूर्वक प्रताडित एवं परेशान करने का कोई अवसर नही चूकते हैं।

हाल ही में 14 मई 2024 को इन्होंने पुलिस विभाग में अपने प्रशासनिक अधिकारों का दुरुपयोग करते हुये तथा राजस्थान उच्च न्यायालय को आदेशों की अवमानना करते हुये सामान्य पदों पर आरक्षित वर्ग के लोकसेवकों को आविधिक रुप से पदौन्नति देने का एक ऐसा विवादित आदेश महानिदेशक पुलिस पर दबाव डालकर जारी करवाया जिससे पूरे पुलिस विभाग में जातिगत वैमनस्यता चरम सीमा तक फैल चुकी है।

उल्लेखनीय है कि यह आदेश कार्मिक विभाग से लगभग 17-18 माह पूर्व लिये गये उस तथाकथित मार्गदर्शन के आधार पर जारी करवाये गये हैं जिनके आधार पर 12 दिसम्बर 2022 मे जारी विवादित आदेश पर राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा पहले से ही स्थगन दिया हुआ है।

आनन्द कुमार द्वारा अपने प्रशासनिक अधिकारों का दुरुपयोग करते हुये जारी करवाये गये उपरोक्त अविधिक आदेश दिनांक 14 मई 2024 को देखते ही पूरे पुलिस विभाग में हड़कम्प मच गया और हमारे पास पुलिस विभाग मे कार्यरत सामान्य / ओबीसी वर्ग के सैकड़ो निष्ठावान, कर्मठ लोकसेवकों के फोन आने लगे।

अपने संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए लाचार और पीड़ित लोकसेवकों द्वारा पुनः न्यायपालिका में याचिका लगाई गई उसके फलस्वरुप उपरोक्त अविधिक आदेश 14 मई 2024 के क्रियान्वयन एवं प्रभाव को राजस्थान उच्च न्यायालय द्वारा पुनः स्थगित (स्टे) कर दिया गया है।