माया संसार को नचाती है और भक्ति भगवान को नचाती है: संत चिन्मय दास

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कोटा। श्री पिप्पलेश्वर महादेव मंदिर के षष्ठम प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव (पाटोत्सव) के तहत शनिवार को वृंदावन धाम के संत चिन्मय दास महाराज ने भक्तमाल की कथा सुनते हुए कहा कि इस संसार को माया नचाती है। भक्ति भगवान को नचाती है। त्रिलोक के स्वामी ठाकुर जी छछिया भर माखन के लिए गोपियों के आगे-पीछे नाचते हैं। यह प्रेम व भक्ति की शक्ति है। उन्होंने कहा कि हमें इस नश्वर शरीर का अभिमान नहीं करना चाहिए एक दिन यह समाप्त हो जाएगा।

जो सुख वृंदावन में है वह बैकुंठ में नहीं
चिन्मयदास महाराज ने वृंदावन धाम की महिमा बताते हुए कहा कि वृंदावन धाम में प्रवेश करने से ही सच्चिदानंद मिल जाते है। ये भूमि श्रीराधा रानी की भूमि है, नंदलाल की भूमि है। यदि हम वृन्दावन में प्रवेश करते है तो समझ लेना कि ये श्रीराधा-रानी की कृपा है। जो हमें वृंदावन आने का न्योता मिला। उन्होंने कहा कि कान्हा गाय को गाय पशु नहीं मानते थे, वह माता के समान पूजनीय है। उनकी सेवा में वह जंगल में चराने जाते थे। अगर गाय जूता नहीं पहनती तो मैं क्यों पहनूं। अतः बृज में ठाकुर जी ने 11 वर्ष तक नंगे पैर बृज की गलियों व मैदानों में गाय चराई। जबकि बैकुंठ की भूमि में ठाकुर जी की चरण रज ढूंढने से भी नहीं मिलती। अतः श्री वृंदावन धाम तो बैकुंठ से भी ऊपर है।

विद्या का अर्थ दूसरों का अपमान नहीं
भक्त की रक्षा के लिए भगवान स्वयं तैयार रहते हैं । भक्त का अपमान भगवान को सहन नहीं होता है। उसकी मदद के लिए वह स्वंय चले आते हैं। जब पंडित बाबा माधव दास को शास्त्रार्थ के बहाने अपमानित करने का मन बनाया और उनका मुंह काला कर गधे पर बिठाकर जूतों की माला पहनाने का षड्यंत्र रचा तो भक्त की रक्षा के लिए भगवान स्वयं आ गए। पण्डित ने बिना शास्त्रार्थ किए बाबा माधव दास को अपमानित किया तो वह बिना कुछ बोले वहां से आ गए। तब भगवान बटुक वेश में वहां पहुंचे और बोले कि मैं तुमसे शास्त्रार्थ करूंगा। मैं 1008 श्री बाबा माधव दास का शिष्य हूं। अहंकारी पंडित ने तुरंत प्रस्ताव मान लिया और भगवान ने सर्व प्रथम उसकी मति को शून्य कर दिया और सरल से प्रश्न का वह उत्तर भी न दे सका फिर मुंह काला कर गधे पर उस अभिमानी पंडित को घुमाया गया। भगवान ने स्वंय आकर अपने भक्त की रक्षा की।

आज बहेगी भक्ति रस की सरिता
कोषाध्यक्ष गजेंद्र गुप्ता ने बताया कि दिव्य भक्तिमय वातावरण में 21 अप्रैल को रात्रि 8.00 बजे राधा-रानी नाम के साथ श्री कृष्ण भक्ति रस की सरिता बहाई जाएगी। मंदिर परिसर में राधा-कृष्ण की सुंदर झांकी सजाई जाएगी और क्षेत्रवासी देर रात तक भजनों का आनंद उठायेंगे। इसी क्रम में 22 अप्रैल को सायं 6 बजे से एक श्याम खाटू के नाम का आयोजन किया जाएगा।

प्रवक्ता जोगिंद्र पाल ने बताया कि श्री पिप्पलेश्वर महादेव मंदिर के “षष्ठम प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव (पाटोत्सव) में आम भण्डारा विशेष होता है। इसमें हजारों की संख्या में लोग प्रसादी प्राप्त करते है। दोपहर से प्रारंभ भण्डारा देर रात तक चलता है।