बच्चों को बचपन से ही मिले संस्कार और सकारात्मक उर्जा: ज्ञानानंद महाराज

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कोटा। देश भर में गीता के तीन श्लोक का पाठ एक साथ किया जाएगा ऐसे करोड़ों लोगों तक गीता के तीन श्लोक प्रथम मध्य एवं अंतिम श्लोक पढ़े जाने को लेकर देश भर में वृहद स्तर पर कार्यक्रम चल रहे हैं।

इसी के तहत कोटा बूंदी दो दिवसीय कार्यक्रम में कोटा आए परम पूज्य गीता मनीषी एवं जीओ गीता परिवार के संस्थापक महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने मीडिया से वार्ता करते हुए कहा कि बच्चों को शुरू से ही संस्कारवान बनाने की आवश्यकता है।

माता-पिता का बच्चों के प्रति अपेक्षाएं अधिक करना ही उनकी समस्याओं को बढ़ाता है, वह ऊर्जा को सकारात्मकता की और नहीं लगा पाते और कुछ बच्चे आत्महत्या तक का कदम उठा लेते हैं।

उन्होंने कहा कि इसका समाधान भी गीता में है। गीता संयम रखते हुए वर्तमान को अच्छा बनाता है। उन्होंने कहा कि सिलेबस में गीता का पाठ शामिल किया जाना चाहिए। शिक्षा में संवाद की प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए। महाराज श्री ने कहा कि अभिभावक इस कार्य के लिए दोषी हैं, शिक्षक को भी आत्म मंथन की आवश्यकता है।

अ से अर्जुन और प से परशुराम पढ़ाया जाए
उन्होंने कहा कि अच्छे संस्कार राजनीति के मोहताज नहीं होते हैं। यह हर किसी की अपेक्षा होती है कि उसका बच्चा संस्कारवान हो। केरल में गीता के पाठ को बंद किए जाने पर उन्होंने नाराजगी जाहिर की। महाराज श्री ने कहा कि आक्रांताओं के पाठ की भी पाठ्यक्रम में आवश्यकता नहीं है। उन्होंने लंबे समय से चली आ रही ही शिक्षा प्रणाली पर भी प्रश्न चिन्ह उठाया और कहा कि हमें अ से अर्जुन, फ से फतेह सिंह तो, प से परशुराम और द से दयानंद सरस्वती पढ़ाया जाना चाहिए। उ से उल्लू इस तरह के शब्दों का प्रयोग बच्चों की किताबों में नहीं होना चाहिए।

निराशा में आशा का मार्ग है गीता
महाराज श्री ने कहा कि वर्तमान में तनाव बढ़ रहा है, हमें कर्तव्य निष्ठ बनना चाहिए, ऊर्जा को वर्तमान के कार्यों में लगाना चाहिए, अच्छाई की ओर देखना चाहिए, बुराई की और नहीं देखे। भगवत गीता वर्तमान की हर क्षेत्र की अपेक्षा है। उन्होंने कहा कि गीता सद्भाव बढ़े इसके ऊपर विश्वास करती है। महाराज श्री ने कहा कि युवाओं की ऊर्जा को सकारात्मक रचनात्मक आधार बनाया जाए। उन्होंने युवा पीढ़ी द्वारा सुसाइड किए जाने की घटनाओं को भी बेहद ही चिंताजनक बताया और इस पर कहा कि गीता में इसका भी समाधान है।

संस्कारवान बनाने का काम करती है गीता
गीता शुरू से ही संस्कारवान बनाने का काम करती है जिससे भविष्य मजबूत होता है। उन्होंने कहा कि संस्कारहीन तथा मूल्यहीनता के कारण युवाओं में नशे की आदत बढ़ रही है और सबसे बड़ी पीड़ा यह है कि अब बच्चियां भी नशे की शिकार होती जा रही है। इस अवसर पर जीओ गीता परिवार के संभागीय अध्यक्ष किशन पाठक सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित रहे।