चीते अब भी देश के पर्यावरण प्रेमियों के लिए चिंतन का विषय

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कूनो अभयारण्य में छोड़ने से पहले पिंजरे में कैद चीता।
अफ्रीकी देशों से चीते खरीद कर देश में आबाद करने का फैसला राजनीतिक आधार पर किया गया। मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार थी, इसलिए वहां के श्योपुर जिले के कूनो अभयारण्य में चीतों को बसाया गया। जबकि कोटा के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के दरा अभयारण्य क्षेत्र के 82 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाले हिस्से में चीतों को बसाने के नजरिये से काफी उपर्युक्त गया था। अब तो उच्चतम न्यायालय भी यह कह चुका है कि जब कूनो में चीते मर रहे हैं तो उन्हें राजस्थान में क्यों नहीं बसाया जाता?

-कृष्ण बलदेव हाडा –
Musings On Tiger: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी 17 सितंबर को यानी आज अपना 73वां जन्मदिन (PM Narendra Modi birthday) मनाने जा रहे हैं और इस दिन उनकी पार्टी भारतीय जनता पार्टी और उनके अपने समर्थक इस दिन को सेवा कार्य सहित कई रूप में मना रहे हैं।

लेकिन देश के वन एवं वन्यजीव प्रेमी इस दिन को खासतौर पर इसलिए याद करते हैं, क्योंकि इसी दिन पिछले साल नौ दशक से भी अधिक समय पहले देश से विलुप्त प्राय घोषित किए गए चीतों को केन्द्र सरकार की ओर से खरीद कर मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) में आबाद किया गया था।

लेकिन दुर्भाग्य ने अभी भी पीछा छोड़ा नहीं है, क्योंकि वन्यजीव प्रेमियों की चिंता इस बात को लेकर है कि एक ही साल में अफ्रीकी देशों से चीते लाकर बसाये गए चीतों में से अब तक नौ चीतों की मौत हो चुकी है। और यह सिलसिला लगातार जारी है जो वन एवं वन्यजीव संरक्षण में रुचि रखने वाले पर्यावरण प्रेमियों के लिए गंभीर चिंता और चिंतन का विषय बना हुआ है।

17 सितम्बर 2022 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने जन्मदिन पर नामीबिया (namibia) से लाए गए 8 चीतों को कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) में छोड़ा था। उसी साल 18 फरवरी को दक्षिण अफ्रीका से 12 और चीतों को कूनो में छोड़ा गया था। यानी कुल 20 चीते लाए गए थे। इनमें से अब तक 9 चीतों की मौत हो चुकी है।

भारत ने वर्ष 1952 में खुद को ‘चीता विलुप्त’ देश घोषित कर लिया। यह दुखद है कि 1947 में देश आजाद हुआ और उसके पांच वर्ष बाद ही देश एक नायाब वन्यजीव चीता मुक्त भी हो गया। ऎसा कहा जाता है कि कभी मध्यप्रदेश का हिस्सा रहे किन्तु अब के छत्तीसगढ़ प्रदेश स्थित कोरिया रियासत के महाराज ने आखिरी तीन चीतों का शिकार किया था।

रिसासतकाल से ही राजा-महाराजाओं के शिकार के शौक ने चीतों सहित कई अन्य जंगली जीवों को विलुप्त होने का जिम्मेदार माना जाता है। इस प्रवृत्ति को देश के नए गौरे शासक अंग्रेजो ने भी खूब आगे बढ़ाया जो देशी रियासतों के हुकुमरानों के न्यौते पर वहां जाते थे और राजा-नवाबों के साथ शिकार करते थे। लेकिन यह इकलौती वजह नहीं है, बल्कि कई वजहों में से एक हो सकती है।

क्योंकि चीता सहित कई अन्य जंगली जीवों को विलुप्त होने से पहले वन विभाग की लापरवाही के कारण व्यापक पैमाने पर पूरे देश में गैर कानूनी तरीके से चीतों सहित अन्य वन्यजीवों का शिकार हुआ जिसमें से दुर्भाग्यपूर्ण तरीके से चीते तो विलुप्त ही हो गए।

एक वक्त था जब चीते पूरे भारतीय उप-महाद्वीप में पाए जाते थे। वो झाड़ियों को अपना आशियाना बनाते थे और घास के खुले मैदान में अठखेलियां करते हुए शिकार किया करते थे। भारत में अब भी घास के खुले मैदान हैं। हालांकि सरकारी उपेक्षाओं और वन महकमें में व्याप्त घोर भ्रष्टाचार के कारण उनका क्षैत्रफ़ल जरूर घटा है। ऎसी ही कुछ वजहों के चलते फिर चीते विलुप्त होते चले गए।

पिछले साल अपने जन्मदिन के मौके पर अपनी फ़ितरत के अनुरूप देशी-विदेशी मीडिया का मजमा लगाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी ने कूनो अभयारण्य में नामीबिया से खरीद कर लाए गए चीते छोड़कर जमकर वाहवाही लूटी।बाद में जब कूनो अभयारण्य में चीतों के मरने का सिलसिला शुरू हुआ तो प्रधानमंत्री या उनके कार्यालय की ओर से चीतों को बचाने के लिए अब तक कोई सार्थक पहल की गई हो, ऐसी कोई मीडिया रिपोर्ट सामने नहीं आई।

बहरहाल मध्य प्रदेश सरकार और केन्द्रीय वन विभाग की ओर से दावे तो खूब किए गए लेकिन देश के उच्चतम न्यायालय के इस सुझाव की ओर अभी तक ध्यान नहीं दिया जा रहा है कि जब कूनो अभयारण्य में चीते मर रहे हैं तो उन्हें राजस्थान में क्यों नहीं बसाया जा रहा है?

उल्लेखनीय है कि भारत सरकार के इच्छा जताए जाने के बाद देश में चीते बसाए जाने के लिए मुफीद अभयारण्य की तलाश में दक्षिण अफ्रीकी देशों के चीता विशेषज्ञों के दल ने देश के विभिन्न इलाकों का दौरा किया था और कुछ अभयारण्यमें को चीते बसाने की दृष्टि से काफी उपयुक्त पाया गया था, जिनमें राजस्थान के कोटा-झालावाड़ जिले में विस्तृत मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व भी शामिल है।

इसमें भी खासतौर से दरा क्षेत्र के 82 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल को चीते को बसाने की दृष्टि से सर्वाधिक उपयुक्त माना गया था। हालांकि उस समय अफ्रीकी चीता विशेषज्ञों ने कूनो अभयारण्य को भी चीता बसाने की दृष्टि से उपयुक्त पाया था, लेकिन फ़ैसला राजनीतिक आधार पर हुआ।

चूकि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार थी तो केंद्र सरकार ने भाजपा शासित राज्य मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले के कूनो अभयारण्य में चीता बसाना उचित समझा लेकिन अब बुरे परिणाम भी सामने आ रहे हैं, तो ऐसे में दरा अभयारण्य क्षेत्र में चीते बसाने पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए।

क्योंकि ताजा रिपोर्ट यह है कि केंद्र सरकार फिर अफ्रीकी देशों से चीते खरीद कर लाकर भारत में बसाना चाहती है तो परिस्थितिजन्य नजाकत को देखते हुए इन चीतों को कोटा जिले के मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व में बसाया जाना चाहिए, जिसकी लगातार मांग कोटा जिले की सांगोद विधानसभा सीट से कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक भरत सिंह कुंदनपुर करते आ रहे हैं और मुख्यमंत्री सहित कई केंद्रीय नेताओं को इस संबंध में वे पत्र भी लिख चुके हैं।