हवा में मौजूद रसायनिक प्रदूषण त्वचा और खोपड़ी के सामान्य संतुलन को बिगाड़ देते हैं जिससे त्वचा में रूखापन, संवेदनहीनता लाल चकत्ते, मुहांसे और खुजली आदि जैसी समस्याएं उभर जाती हैं। लेकिन इन सभी के बावजूद घरेलू उपचार और प्राचीन पद्वति की मदद से प्रदूषण के सौंदर्य पर पढ़ने वाले प्रभाव को रोका जा सकता है।
यदि आपकी त्वचा शुष्क है तो आपको क्लीजिंग क्रीम और जैल का प्रयोग करना चाहिए जबकि तैलीय त्वचा में क्लीनिंग दूध या फेसवॉश का उपयोग किया जा सकता है। सौंदर्य पर प्रदूषण के प्रभावों को कम करने के लिए चंदन, यूकेलिप्टस, पूदीना, नीम, तुलसी, घृतकुमारी जैसे पदार्थो का उपयोग कीजिए। इन पदार्थो में विषैले तत्वों से लड़ने की क्षमता होती है। एक चम्मच सिरका और घृतकुमारी में एक अंडा मिलाकर मिश्रण बना लीजिए। मिश्रण को हल्के-2 खोपड़ी पर लगाएं। इस मिश्रण को खोपड़ी पर आधा घंटा लगा रहने दें। बाद में खोपड़ी को ताजा और साफ पानी से धो लें। आप वैकल्पिक तौर पर गर्म तेल की थैरेपी भी दे सकते हैं। नारियल तेल को गर्म करके इसे सिर पर लगाएं। अब गर्म पानी में एक तौलिया डुबोएं, तौलिए से गर्म पानी निचोड़ने के बाद उसे सिर के चारों ओर पगड़ी की तरह बांध कर इसे पांच मिनट तक रहने दीजिए और इस प्रक्रिया को 3-4 बार दोहराईए। इस प्रक्रिया से बालों और खोपड़ी पर तेल को सोखने में मदद मिलती है। इस तेल को पूरी रात सिर पर लगा रहने दे और सुबह ताजे ठंडे पानी से धो लें।
वायु में प्रदूषण और गंदगी से आंखों में जलन तथा लालिमा आ सकती है। आंखों को ताजे पानी से बार-2 धोना चाहिए। कॉटनवूल पैड को ठंडे गुलाब जल या ग्रीन-टी में डुबोइए और इसे आंखों में आई पैड की तरह प्रयोग कीजिए। आंखों में आई पैड लगाने के बाद जमीन में गद्दे पर 15 मिनट तक आराम में शवआसन की मुद्रा में लेट जाइए। इससे आंखों में थकान मिटाने में मदद मिलती है और आंखों में चमक आती है। वायु में प्रदूषण से शहरों में रहने वाले नागरिको के स्वास्थ्य और तंदरूसती पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
इसके अलावा अंजीर, बरगद, पीपल का वृक्ष स्पाईडर प्लांट भी हवा को साफ करने में काफी सहायक माना जाता है क्योंकि यह हवा में विद्यमान जहरीले तत्वों को सोख लेते है। इसके अलावा सान्सेवीरिया जिसे सामान्य भाषा में स्नेक प्लांट कहा जाता है भी वायु प्रदूषण को रोकने तथा ताजा स्वच्छ हवा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। स्नेक प्लांट को सामान्य बैडरूम में रखा जाता है तथा इसकी देखभाल भी काफी आसान तथा सामान्य है। इसके अलावा ऐरेका पाम, इंग्लिश आईवी, वोस्टनफर्न तथा पीस लिलो जैसे पौधे भी भारत में आसानी से मिल जाते है तथा पर्यावरण मित्र माने जाते है।